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Punjab Election 2022: यहां लग सकता है कांग्रेस को बड़ा झटका, 10 सीटों पर अपनों से ही लड़ रही पार्टी
Punjab Election 2022: पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कम से कम 10 विधानसभा क्षेत्रों में गंभीर नुकसान का संभावित खतरा है। ये वह सीटें हैं जहां इसके कुछ प्रमुख नेता या तो निर्दलीय के रूप में लड़ रहे हैं निर्दलीय या पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ प्रतिद्वंद्वियों में शामिल हो गए हैं।
Punjab Election 2022: पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) में कांग्रेस को कम से कम 10 विधानसभा क्षेत्रों में गंभीर नुकसान का संभावित खतरा है। ये वह सीटें हैं जहां इसके कुछ प्रमुख नेता या तो निर्दलीय के रूप में लड़ रहे हैं निर्दलीय या पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ प्रतिद्वंद्वियों में शामिल हो गए हैं। ये सब ऐसे नेता हैं जिन्हें अपने या अपने पसंदीदा लोगों के लिए टिकट से वंचित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री चन्नी के भाई डॉ मनोहर ने मौजूदा विधायक गुरप्रीत सिंह के खिलाफ बस्सी पठाना निर्वाचन क्षेत्र (जिला फतेहगढ़ साहिब) में कांग्रेस नेतृत्व को परेशानी में डाल रखा है।
- कांग्रेस ने जब खन्ना क्षेत्र के एक प्रमुख रियल एस्टेट बिजनेसमैन रूपिंदर सिंह राजा गिल को मैदान में उतारने का फैसला किया तो नाराज हो कर चार बार के कांग्रेस विधायक अमरीक सिंह ढिल्लों (Congress MLA Amrik Singh Dhillon) अपनी समराला (जिला लुधियाना) सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
- नुकसान का एक और संभावित खतरा तीन बार के पूर्व विधायक हरमिंदर सिंह जस्सी (Former MLA Harminder Singh Jassi) से है, जो जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के रिश्तेदार हैं वे पार्टी उम्मीदवार खुशबाज़ सिंह जट्टाना (Khushbaz Singh Jattana) के खिलाफ तलवंडी साबो सीट (जिला बठिंडा) से चुनाव लड़ रहे हैं।
- नवांशहर सीट (Nawanshahr seat) से कांग्रेस के मौजूदा विधायक अंगद सिंह (MLA Angad Singh) की जगह जब पार्टी ने सतवीर सिंह पल्ली झिक्की को टिकट दे दिया तो अंगद सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। अंगद को कांग्रेस ने टिकट से इसलिए वंचित कर दिया क्योंकि उनकी पत्नी अदिति सिंह यूपी में भाजपा में शामिल हो गईंथीं।
- कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत (cabinet minister rana gurjit) के बेटे राणा इंदर प्रताप सिंह, कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी (Sultanpur Lodhi) से पार्टी उम्मीदवार नवतेज सिंह चीमा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि राणा गुरजीत स्वयं कपूरथला से कांग्रेस प्रत्याशी हैं।
- इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मोहिंदर सिंह केपी (Former Congress President Mohinder Singh KP) और पूर्व मंत्री जगमोहन सिंह कांग (Former Minister Jagmohan Singh Kang) जैसे कुछ अन्य नेता भी हैं, जो अपनी-अपनी सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार के चयन से नाराज हैं।
- वरिष्ठ नेता केपी को टिकट से वंचित करने की वजह उनकी और उनके परिवार के सदस्यों की लगातार तीन हार रही है। वह 2017 में आदमपुर से शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के उम्मीदवार पवन टीनू से हार गए थे और इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में होशियारपुर सीट (Hoshiarpur seat) से भाजपा के विजय सांपला (Vijay Sampla of the BJP) से हार गए थे। उनकी पत्नी सुमन कापी 2012 का चुनाव अपने गृह क्षेत्र जालंधर (पश्चिम) से हार गईं थीं। इतनी पराजयों के बाद भी केपी टिकट की उम्मीद लगाए हुए थे।
- इसी तरह, अमरजीत सिंह टिक्का (Amarjit Singh Tikka) और उनके भतीजे सुखविंदर सिंह बिंद्रा सहित कुछ अन्य नेता भी हैं, जो क्रमशः जालंधर (दक्षिण) और साहनेवाल (लुधियाना) सीटों के लिए टिकट चाहते थे, लेकिन ये खाली हाथ राह गए। एक अन्य तेजतर्रार नेता और युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव, दमन बाजवा को सुनाम (जिला संगरूर) से टिकट नहीं मिला। ये तीनों बीजेपी में शामिल हो गए हैं और कांग्रेस प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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