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Punjab Election 2022: डेरा सच्चा सौदा का किसी एक पार्टी को समर्थन नहीं, उम्मीदवारों के हिसाब से सपोर्ट करने का फैसला

जानकार सूत्रों का कहना है कि डेरा ने इस बार किसी एक विशेष पार्टी का समर्थन न करने का फैसला किया है। डेरा सच्चा सौदा की ओर से विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में उम्मीदवारों को देखकर समर्थन का फैसला किया गया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Divyanshu Rao
Published on: 19 Feb 2022 5:08 PM IST
Punjab Election 2022
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डेरा सच्चा सौदा की तस्वीर 

Punjab Election 2022: पंजाब में विधानसभा की 117 सीटों पर इस बार कड़ा सियासी संघर्ष हो रहा है। रविवार को होने वाले मतदान के लिए चुनावी शोर थम चुका है। राज्य की अधिकांश सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला होने के कारण कई बड़े सियासी दिग्गजों की सीटें भी फंसी हुई हैं। पंजाब के विधानसभा चुनाव में डेरों की भी प्रमुख भूमिका रहती है। ऐसे में हर किसी की नजर डेरा सच्चा सौदा का समर्थन पाने पर टिकी हुई है। डेरा सच्चा सौदा की राजनीतिक विंग की ओर से चुनाव में समर्थन को लेकर फैसला किया जा चुका है। हालांकि अभी इस बाबत कोई खुलकर बात नहीं कही जा रही है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि डेरा ने इस बार किसी एक विशेष पार्टी का समर्थन न करने का फैसला किया है। डेरा सच्चा सौदा की ओर से विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में उम्मीदवारों को देखकर समर्थन का फैसला किया गया है। सूत्रों के मुताबिक रविवार को मतदान शुरू होने से पहले ही डेरा प्रेमियों के पास यह मैसेज पहुंच जाएगा कि उन्हें किस उम्मीदवार को समर्थन देना है। वैसे कई क्षेत्रों में दौरा प्रेमियों के पास जुबानी संदेश पहुंचाया भी जाने लगा है।

बादल भी समर्थन पाने के लिए सक्रिय

पंजाब के चुनाव में डेरों की भूमिका काफी अहम मानी जाती रही है और इस बार काफी नजदीकी संघर्ष होने के कारण डेरों की भूमिका और भी ज्यादा अहम हो गई है। मालवा इलाके की 69 विधानसभा सीटों पर डेरा सच्चा सौदा का असर माना जाता है और इसी कारण तमाम नेता इस डेरे का समर्थन पाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।


अभी हाल में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने डेरा प्रमुख के परिवार से मुलाकात की थी। इस मुलाकात का मकसद डेरे का समर्थन हासिल करना बताया जा रहा है। 93 वर्षीय पूर्व सीएम लंबी विधानसभा क्षेत्र में इस बार खुद कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं और इसी कारण उन्होंने डेरे का समर्थन हासिल करने की कोशिश की है।

अलग-अलग प्रत्याशियों को समर्थन

जानकारों का कहना है कि डेरा सच्चा सौदा की राजनीतिक विंग ने इस बार किसी एक राजनीतिक दल का समर्थन न करने का फैसला किया है। विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्याशियों को देखते हुए डेरा की ओर से समर्थन दिया जाएगा। मतदान की शुरुआत से पहले ही डेरा प्रेमियों को इस बाबत सूचित कर दिया जाएगा। कई चुनाव क्षेत्रों में डेरा प्रेमियों को जुबानी संदेश के जरिए भी डेरा की पसंद बताई जा रही है। पंजाब के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में डेरा की ओर से बैठकों का आयोजन भी किया गया है और इन बैठकों में भी डेरा प्रेमियों को समर्थन के बारे में संदेश दिया गया है।

समधी को जिताने के लिए जुटे डेरा प्रेमी

तलवंडी साबो विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे डेरा प्रमुख के समधी हरमंदर जस्सी को डेरा की ओर से खुला समर्थन दिया गया है। तीन चुनावों में हार का सामना कर चुके जस्सी को इस बार डेरा की राजनीतिक विंग की ओर से समर्थन देकर जिताने की भरपूर कोशिश की जा रही है। हालांकि जस्सी कांग्रेस का टिकट न मिलने के कारण इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में किस्मत आजमाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं।

इस बार और अहम हो गई है भूमिका

मालवा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर डेरा प्रेमियों की संख्या ज्यादा है। मालवा इलाके की सीटों पर डेरा की ओर से कहीं भाजपा तो कहीं अकाली दल तो कहीं आप प्रत्याशी को समर्थन दिया गया है। वैसे तो पंजाब का हर चुनाव में डेरों कोई भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती रही है मगर इस बार कड़ा मुकाबला होने के कारण डेरा की भूमिका और भी अहम हो गई है। राज्य की सभी सीटों पर एक ही चरण में रविवार को मतदान होना है और ऐसे में विभिन्न दलों और प्रत्याशियों की ओर से डेरा का समर्थन पाने की जी तोड़ कोशिश की जा रही है।

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम फरलो पर जेल से बाहर है मगर तमाम बंदिशों में बंधा होने के कारण अभी तक उन्होंने किसी से खुलकर कोई मुलाकात नहीं की है। वैसे डेरा की ओर से किसी एक पार्टी को समर्थन न देने से सियासी दलों को राहत मिली है क्योंकि इस फैसले से किसी एक दल को बड़ा फायदा है या दूसरे को नुकसान होता नहीं दिख रहा है।

Divyanshu Rao

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