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Punjab Election 2022: पंजाब में मुस्लिम संगठनों ने उठाई आवाज, पार्टियों के सामने रखी मांगें

Punjab Election 2022: पंजाब में मुस्लिम आबादी करीब दो फीसदी है और इस बार के चुनाव में इस समुदाय अपनी ने अपनी मांगों के लिए आवाज उठाई है। कुछ दिनों पूर्व लुधियाना की जामा मस्जिद में एक मुस्लिम पंचायत का आयोजन किया गया जहां विभिन्न संगठनों ने राजनीतिक दलों के लिए एक ज्ञापन तैयार किया जिसमें मुस्लिमों की कुछ मांगें शामिल थीं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Deepak Kumar
Published on: 7 Feb 2022 10:03 AM GMT
Punjab Election 2022
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(फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Punjab Election 2022: पंजाब में मुस्लिम आबादी करीब दो फीसदी है और इस बार के चुनाव में इस समुदाय अपनी ने अपनी मांगों के लिए आवाज उठाई है। कुछ दिनों पूर्व लुधियाना की जामा मस्जिद (Jama Masjid of East Ludhiana) में एक मुस्लिम पंचायत का आयोजन किया गया जहां विभिन्न संगठनों ने राजनीतिक दलों के लिए एक ज्ञापन तैयार किया जिसमें मुस्लिमों की कुछ मांगें शामिल थीं।

पंचायत के आयोजक मजलिस-ए-अहरार इस्लाम हिंद पार्टी (Majlis-e-Ahrar Islam Hind Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शाही इमाम मौलाना उस्मान लुधियानवी (National President Shahi Imam Maulana Osman Ludhianvi) ने कहा कि दो दर्जन से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में, मुस्लिम वोट 10,000 से अधिक है। इस बार पंचकोणीय मुकाबले के साथ हमें वोट बैंक के रूप में नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। मुस्लिम फ्रंट पंजाब (Muslim Front Punjab) के अध्यक्ष हंस राज मोफर (President Hans Raj Moffer) ने कहा कि वे 1999 से समुदाय से जुड़े मुद्दों को उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में मुस्लिम नेताओं को बहुत कम प्रतिनिधित्व दिया जाता है, खासकर वे जो मूल रूप से पंजाबी हैं। पंजाब में सक्रिय कुछ मुस्लिम परिवार यूपी या अन्य राज्यों से पलायन कर गए हैं।

पंजाब के सबसे प्रमुख मुस्लिम नेताओं में से एक रजिया सुल्ताना

पंजाब के सबसे प्रमुख मुस्लिम नेताओं में से एक रजिया सुल्ताना हैं, जो पंजाब के एकमात्र मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र मलेरकोटला से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। इस क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के लगभग 95,000 सदस्य हैं। रजिया सुल्ताना की असली ताकत उनके रिटायर्ड डीजीपी पति मोहम्मद मुस्तफा हैं। वह भी मूल रूप से यूपी के रहने वाले हैं। मोहम्मद मुस्तफा ने 20 जनवरी को एक भड़काऊ भाषण दिया थी जिसके बाद उनपर "समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने" का मुकदमा कायम किया गया। मुस्तफा ने अब तक जमानत के लिए आवेदन नहीं किया है। न ही पुलिस ने उसे हिरासत में लेने का प्रयास किया है।

बहरहाल, मौलाना लुधियानवी ने मलेरकोटला के अलावा अमरगढ़, सुजानपुर, लुधियाना उत्तर, पूर्व, दक्षिण, लहरगागा, अमलोह और मोहाली जैसी अन्य सीटों को सूचीबद्ध किया जहां मुस्लिम बड़ी संख्या में हैं। उन्होंने कहा कि हमें कम से कम पांच-छह विधानसभा सीटों से टिकट मिलना चाहिए। तभी हम विधानसभा में अपने समुदाय के मुद्दों को उठा पाएंगे। शाही इमाम (Shahi Imam) के मीडिया सचिव मोहम्मद मुस्तकीम (Media Secretary Mohammad Mustakim) के अनुसार, मुसलमान पूरे राज्य में फैले हुए हैं, लेकिन राजनीतिक दल ऐसा प्रोजेक्ट करते हैं जैसे कि केवल मलेरकोटला तक वे सीमित हैं। केवल एक मुस्लिम विधायक हमारे समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

फतेहगढ़ साहिब जिले (Fatehgarh Sahib District) में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ (Minorities Cell) के अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस से जुड़े सैफ अहमद ने कहा, कि हमें बस और अधिक अवसर और बुनियादी सुविधाएं चाहिए। मुस्लिम सिख फेडरेशन ऑफ पंजाब (Muslim Sikh Federation of Punjab) के सचिव वसीम शेख (Secretary Wasim Sheikh) ने कहा कि मुस्लिम मतदाताओं को भी विकास की बात करने वाले व्यक्ति को विवेकपूर्ण तरीके से वोट देना चाहिए।

कई मांगें

मुस्लिम पंचायत में उठाई गई मांगों में हर जिले में एक इस्लामिया हाई स्कूल (Islamia High School) बनाने की बात है। इसके अलावा वक्फ बोर्ड द्वारा इमामों के वेतन में वृद्धि, बोर्ड के वार्षिक अनुदान में 100 करोड़ रुपये की वृद्धि; चारदीवारी के साथ कब्रिस्तान के लिए भूमि का आरक्षण; हर जिले में एक मुस्लिम सामुदायिक केंद्र, यूपी और बिहार की तर्ज पर एक मदरसा बोर्ड बनाने के मांग की गई है। इसके अलावा, पंचायत ने गुर्जर विकास बोर्ड (Gujjar Development Board) और नगर निगम चुनावों में मुसलमानों के लिए प्रतिनिधित्व की भी मांग की।

अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा (Daljit Singh Cheema) ने कहा कि हम हमेशा अल्पसंख्यकों का ख्याल रखते हैं, क्योंकि हम भी अल्पसंख्यक समुदाय (सिख) का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह सच है कि हमारी पार्टी केवल मलेरकोटला में मुसलमानों को टिकट देती रही है, और कई अन्य सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं, लेकिन हम सभी समुदायों को विभिन्न स्तरों पर प्रतिनिधित्व देने में विश्वास करते हैं। हमारी सरकार ने एक शिकायत समिति भी बनाई थी जिसमें पंजाब के हर अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व किया गया था।

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