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पंजाब की इस हॉट सीट पर होगा कड़ा मुकाबला, सिद्धू को घेरने के पीछे अकाली दल की क्या है रणनीति

Punjab Election 2022: अकाली दल ने सिद्धू के धुर विरोधी माने जाने वाले बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को अमृतसर ईस्ट सीट से उतारकर इस सीट को हॉट सीट बना दिया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 27 Jan 2022 11:37 AM IST
पंजाब की इस हॉट सीट पर होगा कड़ा मुकाबला, सिद्धू को घेरने के पीछे अकाली दल की क्या है रणनीति
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नवजोत सिंह सिद्धू -बिक्रमजीत सिंह मजीठिया (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Punjab Election 2022: पंजाब के विधानसभा चुनाव (Punjab Vidhan Sabha Seat) में अब सबकी नजरें अमृतसर ईस्ट सीट (Amritsar East Assembly Seat) पर लगी हुई है क्योंकि इस सीट पर दो सियासी दिग्गजों के बीच कड़ा मुकाबला होने जा रहा है। सत्तारूढ़ दल ने इस सीट से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को चुनाव मैदान में उतारा है और अब अकाली दल (Shiromani Akali Dal) ने सिद्धू के धुर विरोधी माने जाने वाले बिक्रमजीत सिंह मजीठिया (Bikram Singh Majithia) को इसी चुनाव क्षेत्र से उतारकर अमृतसर ईस्ट सीट (Amritsar East Seat) को हॉट सीट बना दिया है। प्रदेश विधानसभा की यह पहली सीट है जहां दो बड़े चेहरे चुनावी अखाड़े में आमने-सामने होंगे।

दो सियासी दिग्गजों के बीच इस लड़ाई का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि दोनों नेताओं ने आज तक एक भी चुनाव नहीं हारा है। इसलिए जो भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में हारेगा, उसकी पहली राजनीतिक हार होगी। इस सीट से सिद्धू का टिकट पहले ही घोषित किया जा चुका था मगर अकाली दल ने बुधवार को अचानक मजीठिया को इस चुनाव क्षेत्र से उतारने की घोषणा कर दी। पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Vidhan Sabha Chunav) में सिद्धू कांग्रेस की ओर से स्टार प्रचारक हैं और मजीठिया को इस सीट से उतारने के पीछे अकाली दल की रणनीति उनको इसी चुनाव क्षेत्र में बांधे रखने की है। मजीठिया के चुनाव मैदान में उतरने से अब यह तय है कि सिद्धू को अपने चुनाव क्षेत्र में ज्यादा वक्त देना होगा।

बिक्रमजीत सिंह मजीठिया (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मजीठिया के धुर विरोधी हैं सिद्धू

ड्रग्स मामले को लेकर सिद्धू ने काफी दिनों से मजीठिया के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सिद्धू की ओर से लगातार दबाव बनाए जाने के बाद ही चन्नी सरकार ने गत 20 दिसंबर को मजीठिया के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में केस दर्ज किया था। हालांकि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल और मजीठिया हमेशा यह आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हें राजनीतिक रंजिश की वजह से इस मामले में फंसाया गया है।

मजीठिया अभी तक अमृतसर की मजीठा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं और यहां उन्होंने लगातार तीन बार चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की है। अकाली दल ने इस बार मजीठिया को मजीठा के अतिरिक्त अमृतसर ईस्ट सीट पर भी चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया है।

नवजोत सिंह सिद्धू (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अभी तक हमेशा जीतते रहे हैं सिद्धू

सिद्धू पंजाब में कांग्रेस का बड़ा चेहरा है और उन्होंने आज तक एक भी चुनाव नहीं हारा है। उन्होंने 2004 में अमृतसर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर पहली जीत हासिल की थी। 2006 में गैर इरादतन हत्या के मामले में सजा होने पर उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 2007 में वे इस सीट पर लोकसभा का उपचुनाव जीतने में फिर कामयाब हुए थे।

2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अमृतसर ईस्ट सीट पर बड़ी जीत हासिल की थी। उन्होंने अकाली दल-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार राजेश कुमार हनी को 42,809 मतों से हराया था। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सर्वजोत ध॔जल तीसरे स्थान पर पिछड़ गए थे। अब सिद्धू एक बार फिर अपनी उसी पुरानी सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं।

कांग्रेस का रहा है दबदबा

वैसे अगर अमृतसर ईस्ट सीट के इतिहास को देखा जाए तो इस सीट पर कांग्रेस का ही दबदबा रहा है। 2002 और 2007 के चुनावों में कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की थी मगर 2012 के चुनाव में यह सिलसिला टूट गया। 2012 के विधानसभा चुनाव में सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर जीत हासिल की थी। 2016 में सिद्धू दंपति ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में सिद्धू को कांग्रेस ने इसी सीट से चुनाव मैदान में उतारा और वे विजयी होने में कामयाब रहे।

बादल ने इसलिए खोला मोर्चा

सिद्धू और मजीठिया के बीच होने वाली सियासी लड़ाई को काफी अहम माना जा रहा है। मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स केस दर्ज करवाने में सिद्धू की बड़ी भूमिका रही है। दूसरी ओर अकाली नेता सुखबीर बादल ने चुनौती दी है कि यदि चन्नी सरकार मजीठिया के खिलाफ एक भी सबूत पेश कर दे तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। उनका आरोप है कि राजनीतिक रंजिश की वजह से मजीठिया को ड्रग्स केस में फंसाया गया है। ड्रग्स केस में फंसने के बाद मजीठिया की मुसीबतें बढ़ गई हैं और वे गिरफ्तारी से बचने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

सिद्धू के लिए काफी अहम है चुनाव

अकाली दल मजीठिया को उतारकर सिद्धू को उन्हीं के क्षेत्र में घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि मजीठिया के चुनाव मैदान में उतरने से सिद्धू को अब अपने चुनाव क्षेत्र में ज्यादा समय देना होगा। यह उनके लिए बड़ी सियासी लड़ाई है और इस लड़ाई में हारने पर सीएम पद को लेकर उनकी दावेदारी ही पूरी तरह खत्म हो जाएगी। वे सिर्फ इसी सीट से चुनाव मैदान में उतर रहे हैं जबकि मजीठिया के पास मजीठा सीट का भी विकल्प है। यही कारण है कि सिद्धू इस लड़ाई को जीतने के लिए पूरी ताकत लगाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दूसरी और अकाली दल ने भी सिद्धू की तगड़ी घेराबंदी के लिए अभियान शुरू कर दिया है।

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