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Punjab Election 2022: कैप्टन के उम्मीदवारों ने अपनी पार्टी का सिंबल ठुकरा मांगा कमल का सिंबल, जानें आखिर क्या है मामला
Punjab Election 2022: पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों की तरफ से आए अचानक इस मांग को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बीजेपी से बातचीत शुरू कर दी है जिसमें पार्टी का सिंबल देने की सहमति बन गई है।
Punjab Election 2022: पाकिस्तान की सरहद से सटा पंजाब (Punjab) इन दिनों विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है। कुछ समय पहले तक ये राज्य मजबूत और प्रभावी किसान आंदोलन के चर्चाओं में था।
किसान आंदोलन (Kisan Andolan) को सफलतापूर्वक पंजाब से उठा दिल्ली की सीमा पर पहुंचाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले अपनी सीएम की कुर्सी गंवा बैठे। इस झटके से उबरने की कोशिश कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को एक औऱ बड़ा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि उनके छह उम्मीदवारों ने उनकी पार्टी के सिंबल पर लड़ने से इनकार करते हुए बीजेपी के सिंबल की मांग की है।
कैप्टन को झटका
बीजेपी (BJP) के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरे पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Former Chief Minister Amarinder Singh) को चुनाव से ऐन पहले बड़ा झटका लगा है। अपनी पार्टी 'पंजाब लोकहित कांग्रेस' (Punjab Lokhit Congress) के बैनर तले चुनाव लड़े कैप्टन के छह उम्मीदवारों ने उनकी पार्टी के सिंबल हॉकी स्टिक पर चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। इन उम्मीदवारों ने कमल का निशाना चुनाव चिह्न मांगा है।
बताया जा रहा है कि ये सभी छह उम्मीदवार शहरी सीटों के हैं। इनमे बठिंडा शहरी, लुधियाना ईस्ट, लुधियाना साउथ और आत्मनगर सीट के अलावा दो अन्य शहरी विधानसभा सीट है। इन उम्मीदवारों का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में हॉकी स्टिक के बजाय कमल ज्यादा प्रचलित है। लोग शहरों में कमल का फूल पसंद कर रहे हैं। वो उम्मीदवारों से कमल का फूल चुनाव निशान लेने की बात कह रहे हैं। उन्होंने अपनी ये मांग कैप्टन तक पहुंचा दी है।
पार्टी का सिंबल देने के लिए बीजेपी हुई सहमत
पार्टी उम्मीदवारों की तरफ से आए अचानक इस मांग को देखते हुए अमरिंदर सिंह ने बीजेपी से बातचीत शुरू कर दी है जिसमें पार्टी का सिंबल देने की सहमति बन गई है। बताते चलें कि इससे पहले भी कांग्रेस से टूटकर आए कांग्रेस विधायक अमरिंदर सिंह के साथ जाने के बजाय भाजपा में आए। इनमे राणा सोढ़ी, फतेहजंग बाजवा और हरजोत कमल शामिल है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने के बाद कांग्रेस को भी अलविदा कहने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब लोकहित कांग्रेस के नाम से अपनी अलग पार्टी बनाई। फिर बीजेपी के साथ गठबंधन कर वो चुनाव में उतर गए। इस गठबंधन में बीजेपी, पंजाब लोकहित कांग्रेस और शिरोमणी अकाली दल संयुक्त शामिल है। लंबे समय बाद पंजाब में बड़े भाई की भूमिका में चुनाव लड़ रही बीजेपी 65, पंजाब लोकहित कांग्रेस 37 और ढींढसा की पार्टी शिअद संयुक्त 15 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। किसान आंदोलन के कारण बीजेपी से अलग हुई अकाला दल इन चुनावों में बसपा के साथ गठजोड़ कर चुनाव मैदान में है।
पंजाब में 20 फरवरी को 117 सीटों पर मतदान
बता दें कि पंजाब में 20 फरवरी को 117 सीटों पर मतदान होना है। जिसका परिणाम 10 मार्च को आएगा। चुनाव में सत्ताधारी कांग्रेस के अलावा मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी के बीच मुख्य लड़ाई मानी जा रही है। कांग्रेस जहां अपने इस दुर्ग को बचाने की कोशिश करेगी वहीं आम आदमी पार्टी दिल्ली के तर्ज पर पंजाब से भी कांग्रेस को रूखसत करने की कोशिश करेगी।