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Punjab Election 2022: बीजेपी के साथ चुनाव बाद गठबंधन पर अकाली नेता मजीठिया का आया बयान, कही ये बात

Punjab Election 2022: शिरोमणि अकाली दल के कद्दावर नेता बिक्रम सिंह मजीठियाने बीजेपी के साथ भविष्य में किसी प्रकार के गठजोड़ पर बड़ा बयान दिया है। अमृतसर पूर्व से अकाली उम्मीदवार बिक्रम मजीठिया ने कहा कि अगर नतीजों के बाद शिअद को बीजेपी के साथ आने से कोई गुरेज नहीं है।

Krishna Chaudhary
Written By Krishna ChaudharyPublished By Deepak Kumar
Published on: 20 Feb 2022 4:49 PM IST
Bikram Singh Majithia
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बिक्रम सिंह मजीठिया। (Social Media) 

Punjab Election 2022: पंजाब में विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election 2022) के लिए चल रहा मतदान अपने आखिरी दौर में पहुंच चुका है। ऐसे में चुनाव के बाद के संभावित समीकरणों को लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई है। इस बीच शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के कद्दावर नेता और बादल परिवार के रिश्तेदार बिक्रम सिंह मजीठिया (Bikram Singh Majithia) ने बीजेपी के साथ भविष्य में किसी प्रकार के गठजोड़ पर बड़ा बयान दिया है। अमृतसर पूर्व से अकाली उम्मीदवार बिक्रम मजीठिया (Bikram Singh Majithia) ने कहा कि अगर नतीजों के बाद शिअद को बीजेपी के साथ आने से कोई गुरेज नहीं है।

क्या फिर साथ आएंगे बीजेपी – शिअद

पंजाब में लंबे समय तक एक साथ चुनाव लड़ने वाले शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) और भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) गठबंधन कृषि कानूनों (agricultural laws) को लेकर बिखर गया। इस दौरान दोनों दलों ने एक दूसरे पर जमकर हमला भी बोला। इस बीच एक सीनियर अकाली नेता के बयान ने दोनों के पुनर्मिलन को लेकर नई बहस छेड़ दी है। पूर्व कैबिनेट मंत्री औऱ सीनियर अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया (Bikram Singh Majithia) ने स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर चुनाव बाद शिअद और बसपा गठबंधन को बीजेपी की जरूरत पड़ती है तो एकबार फिर अकाली दल बीजेपी के साथ गठबंधन करेगा। अकाली नेता के इस बयान के गहरे मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद दोनों दलों के रिश्तों में जमी बर्फ विधानसभा चुनाव के बाद पिघल सकती है।

दोनों एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे चुनाव

शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal), भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के उन गिने चुने सहयोगियों में से है, जो लंबे समय से उसकी पार्टनर है। शिअद बीजेपी के बुरे दिनों में भी साथ रही है। ऐसे में कृषि कानूनों को लेकर पंजाब में अपनी राजनीति खतरे में पड़ता देख अकाली दल मोदी सरकार और एनडीए से अलग हो गई। पंजाब विधानसभा चुनाव में बीजेपी की भरपाई के लिए उसने बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) के साथ गठबंधन कर लिया। शिअद को लगता है कि इससे उसे पंजाब की बड़ी दलित आबादी का समर्थन मिलेगा।

वहीं कृषि कानूनों (agricultural laws) को लकर पंजाब में सबसे तीखा विरोध झेलने वाली बीजेपी ने भी अकाली दल के जाने के बाद अपने लिए नए सहयोगी तलाश लिए। भाजपा कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोकहित कांग्रेस (Punjab Lokhit Congress) और सुखदेव सिंह ढींढसा (Sukhdev Singh Dhindsa) की शिअद संयुक्त के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में है। भगवा दल इस बार पंजाब में बड़े भाई की भूमिका में है। उधर डेरा सच्चा सौदा ने भी पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election) में बीजेपी और अकाली दल को समर्थन देने का गुप्त निर्णय लिया है। इसके भी सियासी जानकार कई मायने निकाल रहे हैं।

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