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Punjab Election 2022: पूर्व अफसर से अर्जुन अवार्डी तक विधायक बनने की फिराक में, सबको सिस्टम सुधारने की फिक्र

Punjab Election 2022: पंजाब के चुनावों में यूनेस्को पुरस्कार विजेता पूर्व-आईएएस अधिकारी, वीआरएस लेकर राजनीति में उतरे एक आईपीएस अधिकारी और एक अर्जुन पुरस्कार विजेता भी विधायकी हासिल करने के लिए हाथ आजमा रहे हैं।

Neel Mani Lal
Report Neel Mani LalPublished By Deepak Kumar
Published on: 2 Feb 2022 3:11 PM IST
Punjab Election 2022
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(फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Punjab Election 2022: पंजाब के चुनावों (Punjab Election 2022) में यूनेस्को पुरस्कार विजेता पूर्व-आईएएस अधिकारी, वीआरएस लेकर राजनीति में उतरे एक आईपीएस अधिकारी और एक अर्जुन पुरस्कार विजेता भी विधायकी हासिल करने के लिए हाथ आजमा रहे हैं। यही नहीं की कैंडिडेट ऐसे हैं जो खिलाड़ी थे, फिर पुलिस में भर्ती हुए और नौकरी छोड़ कर चुनाव मैदान में उतर गए हैं। उद्देश्य चाहे जो हो लेकिन कहने को सभी सिस्टम सुधारने के लिए राजनीति में आये हैं।

  • पंजाब के पूर्व आईपीएस कुंवर विजय प्रताप सिंह (Former Punjab IPS Kunwar Vijay Pratap Singh) वही अफसर हैं जिन्होंने बहबल कलां में अपवित्रीकरण विरोधी प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की जांच की थी। उनकी जांच की पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा आलोचना करने के बाद सेवानिवृत्ति से आठ साल पहले उन्होंने आईजी के पद से इस्तीफा दे दिया था। अब चुनाव मैदान में विजय प्रताप को आप ने अमृतसर उत्तर और माझा से उतारा है और वह पार्टी के "पोस्टर बॉय" हैं। उनके इस्तीफे के बाद कई सिख संगठनों द्वारा उनका सम्मान किया गया था।
  • डॉ जगमोहन सिंह राजू (Dr Jagmohan Singh Raju) ने हाल ही में तमिलनाडु में अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से इस्तीफा दिया है। वे अमृतसर पूर्व सीट (Amritsar East seat) से भाजपा के उम्मीदवार हैं, जहां पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू (Punjab Congress President Navjot Singh Sidhu) को अकाली दल (शिअद) के बिक्रम मजीठिया के खिलाफ खड़ा किया गया है।
  • दोआबा में संयुक्त समाज मोर्चा (एसएसएम) ने फगवाड़ा से कांग्रेस विधायक और पूर्व बाबू बलविंदर सिंह धालीवाल (Former Babu Balwinder Singh Dhaliwal) के खिलाफ पूर्व आईएएस अधिकारी खुशी राम (Former IAS officer Khushi Ram) को मैदान में उतारा है।
  • मालवा में भाजपा ने गिल निर्वाचन क्षेत्र से पंजाब कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एस आर लाधर (Retired IAS officer SR Ladhar) को टिकट दिया है।
  • आप के जंडियाला उम्मीदवार, 2012 बैच के पीसीएस अधिकारी हरभजन सिंह (PCS Officer Harbhajan Singh) का कहना है कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी क्योंकि वह समाज सेवा करना चाहते थे।
  • भाजपा ने रोपड़ से पूर्व आईपीएस अधिकारी और अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा (Minorities Commission Chairman Iqbal Singh Lalpura) को मैदान में उतारा है। वे सिख धर्मग्रंथों पर 14 पुस्तकों के लेखक हैं लेकिन उन्हें उस अधिकारी के रूप में जाना जाता है जिसने अप्रैल 1981 में भिंडरांवाले को गिरफ्तार किया था।
  • भाजपा ने पूर्व पुलिस अधिकारी अशोक बाथ (Former Police Officer Ashok Bath) को बलाचौर से अपना उम्मीदवार बनाया है,जबकि आप ने करतारपुर सीट (Kartarpur seat) से एक पूर्व पीपीएस अधिकारी बलकार सिंह (Former PPS Officer Balkar Singh) को उम्मीदवार बनाया है।

सबको सुधारना है सिस्टम

ये सभी पार्टी पूर्व अधिकारी कहते हैं कि वे सिस्टम को व्यवस्था "शुद्ध" करने और उसमें "सुधार" लाने के लिए राजनीति में आये हैं। उनमें से कुछ दलितों और अन्य कमजोर वर्गों की चिंताओं से भी एकजुट दिखते हैं। इनमें से अधिकतर अधिकारी मानते हैं कि सेवा के दौरान उनका राजनीतिक इस्तेमाल किया गया।

2009 में यूनेस्को से विश्व साक्षरता पुरस्कार (world literacy award) जीतने वाले जगमोहन राजू का कहना है कि उन्होंने राजनीति में इसलिए कदम रखा क्योंकि सुशासन के लिए अच्छे राजनेता आवश्यक हैं। और पंजाब को सबसे बड़े सुधार की जरूरत उसके राजनीतिक नेतृत्व में है। राजू कहते हैं कि उनके दादा एक भूमिहीन मजदूर थे, और उनके पिता ने सिविल सेवाओं में शामिल होने के लिए कड़ी मेहनत की। लाधर का कहना है कि वह 'खेत मजदूरों' के लिए राजनीति में आए हैं। लाधर कहते हैं, 'मैंने किसान आंदोलन में हिस्सा लिया और टिकरी भी गया, लेकिन 'किसान मजदूर एकता जिंदाबाद' के नारे के बावजूद मजदूर पीछे छूट गए हैं।

आप सबसे आगे

ज्यादातर पूर्व अफसरों और पुलिसकर्मियों को आप ने मैदान में उतारा है। अटारी से आप प्रत्याशी पूर्व एडीसी जसविंदर सिंह रामदास (AAP candidate former ADC Jaswinder Singh Ramdas) का कहना है कि वह "केजरीवालवाद" और आप शासन के दिल्ली मॉडल के कारण राजनीति में शामिल हुए। वैसे, इनके पिता उजागर सिंह रंगरेटा अकाली विधायक थे।

पिछले साल एआईजी के पद से इस्तीफा देने वाले हरमोहन सिंह संधू का परिवार भी राजनीति वाला है। उनकी मां सतवंत कौर पांच बार शिअद विधायक रहीं, जबकि उनके पिता अजैब सिंह संधू दो बार शिअद विधायक रहे। संधू शिअद में शामिल हो गए, लेकिन जब उनका निर्वाचन क्षेत्र चमकौर साहिब में चला गया तो वह गठबंधन सहयोगी बसपा में शामिल हो गए। वह अब इस सीट पर बसपा के टिकट पर सीएम चन्नी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।

खिलाड़ी से पुलिसकर्मी बने, अब पॉलिटिक्स में आये

अर्जुन पुरस्कार (Arjun Award) से सम्मानित सुरिंदर सिंह सोढ़ी (Surinder Singh Sodhi) 1980 के मास्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी दल का हिस्सा थे। उन्होंने पिछले साल पंजाब पुलिस से आप में शामिल होने के लिए समय से पहले सेवानिवृत्ति ले ली। आप ने उन्हें मौजूदा कांग्रेस विधायक और पूर्व हॉकी कप्तान परगट सिंह के खिलाफ जालंधर कैंट से मैदान में उतारा है।

गुरलाल घनौर भारत की कबड्डी विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा थे। उनको घानौर से आप ने उम्मीदवार बनाया है। घनौर ने चुनाव लड़ने के लिए पंजाब पुलिस में एएसआई का पद छोड़ दिया था। इसी तरह, राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध बास्केटबॉल खिलाड़ी गुरदित सेखों, जिन्होंने सामाजिक कार्यों में शामिल होने के लिए 2010 में पंजाब पुलिस से सेवानिवृत्ति ले ली थी, अब फरीदकोट से आप के उम्मीदवार हैं।

प्रसिद्ध बास्केटबॉल खिलाड़ी और अर्जुन पुरस्कार विजेता सज्जन सिंह चीमा, जिन्होंने आप में शामिल होने के लिए सपा का पद छोड़ दिया था, पिछले चुनावों में सुल्तानपुर लोधी से चुनाव लड़े लेकिन हार गए थे। बाद में वह अकाली दल में शामिल हो गए थे। लेकिन फिर आप में लौट आये हैं और अब उसी निर्वाचन क्षेत्र से खड़े हैं।

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Deepak Kumar

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