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पंजाब कांग्रेस: देहरादून में विधायकों ने की बैठक, हरीश रावत ने दिए ये संकेत

पंजाब के कुछ कांग्रेस विधायकों ने देहरादून में राज्य प्रभारी हरीश रावत से बैठक की। हरीश रावत ने मीडिया से कहा कि कैप्टन अमरिंदर के नेतृत्व में ही 2022 का चुनाव लड़ा जाएगा। साथ में रावत ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों के बयान पर जानकारी मांगी है।

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Newstrack NetworkPublished By Deepak Kumar
Published on: 25 Aug 2021 4:56 PM IST
Punjab Congress MLA hold meeting with Harish Rawat in Dehradun
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पंजाब कांग्रेस विधायक ने देहरादून में हरीश रावत से की मुलाकात। (Social Media)

Punjab: मंगलवार को पंजाब के कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और कुछ अन्य नेताओं की ओर से खुले तौर पर कैप्टन को हटाए जाने की मांग उठाए जाने के बाद एक बार फिर पंजाब की राजनीति में भूचाल आ गया। इस सियासी तूफान के बाद अब पंजाब के कुछ विधायकों ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का रुख किया। क्योंकि राज्य प्रभारी हरीश रावत इस समय देहरादून में हैं।

बैठक में ये नेता थे मौजूद

पंजाब सरकार के चार मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखविंदर सिंह रंधावा, सुख सकारिया व चरनजीत चन्नी और तीन विधायक कुलवीर जीरा, बरीन्द्रजीत पहाड़ा व सुरिंदर धीमान देहरादून के एक होटल में पहुंचे। इसी होटल में बैठक हुई और हरीश रावत भी बैठक में पहुंचे। वहीं बैठक में जाने से पहले हरीश रावत ने मीडिया से कहा कि कैप्टन अमरिंदर के नेतृत्व में ही 2022 का चुनाव लड़ा जाएगा।

दोहपर तीन बजे के बाद यह बैठक खत्म हुई और हरीश रावत मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब के विधायकों ने अपनी चिंताएं बताईं। ये सभी पार्टी की जीत की संभावनाओं को लेकर चिंतित थे। इनका विरोध किसी व्यक्ति से नहीं है। वो चाहते हैं कि चुनाव में एक स्पष्ट रोड मैप के साथ उतरें, ताकी चुनाव जीता जा सके। कहा कि विधायकों की एडमिनिस्ट्रेशन को लेकर कुछ शिकायतें भी थीं। यदी किसी को किसी से कोई नाराजगी है तो वह कांग्रेस के रास्ते में नहीं आनी चाहिए। कहा कि कांग्रेस मिलकर चुनाव जीतने के लिए प्रयास कर रही है।

विधायकों ने पार्टी की एकता बनाए रखने का आश्वासन

हरीश रावत ने कहा कि इन विधायकों ने आश्वासन दिया है कि वह पार्टी की एकता के लिए बनाए रखेंगे और उनका पार्टी हाईकमान पर पूरा भरोसा है। विधायकों की चिंताओं को लेकर मैं पार्टी लीडर के पास जाऊंगा। मुझे इन पर पूरा भरोसा है। अगर कहीं पार्टी में थोड़ा डैमेज हुआ भी होगा तो उसकी पूर्ति का रास्ता भी इन्हीं विधायकों में से निकलेगा।

इस दौरान पंजाब मुख्यमंत्री और अपनी ही सरकार से कुछ विधायकों की नाराजगी पर हरीश रावत ने हांमी भरी। उन्होंने कहा कि ऐसा होता है। पंजाब मुझे जाना चाहिए था, लेकिन मैं नहीं जा सका तो ये विधायक मुझसे मिलने आ गए। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि उक्त विधायक की क्या शिकायतें थीं। हरीश रावत ने कहा कि वह एक-दो दिन में वह दिल्ली जाएंगे और पार्टी हाईकमान को इन परिस्थितियों के बारे में बताएंगे।

हरीश रावत ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू को भी यह बात कह दी गई है कि वह अपने सलाहकारों को नियंत्रण में रखें। अंत में हरीश रावत ने कहा कि मैंने इन सभी विधायकों की बात सुनी है और उन्होंने मेरी बात भी सुन ली है। अब फैसला उनको लेना है। मुझे आशा है कि वह मेरी बात समझेंगे।

पार्टी ने पूरी कांग्रेस नवजोत सिंह सिद्धू को सौंप दी: रावत

बैठक से पहले हरीश रावत का कहना था कि ऐसा नहीं है कि पार्टी ने पूरी कांग्रेस नवजोत सिंह सिद्धू को सौंप दी है। पार्टी के वरिष्ठ अम्बिका सोनी, कैप्टन अमरिंदर सिंह, तृप्त रजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिंदर रंधावा, सुख सरकारिया, चरनजीत सिंह चन्नी लंबे समय से कांग्रेस की सेवा कर रहे हैं। मैं उनकी बातें सुनकर समाधान का रास्ता निकालूंगा।

हरीश रावत ने कहा कि 2016 में मेरे खिलाफ जिन विधायकों ने विरोध का बिगुल बजाया उनके पीछे एक पार्टी का हाथ था। पंजाब में स्थिति ऐसी नहीं है, वहां पार्टी के भीतर ही कुछ बातों को लेकर विधायक और मंत्रियों में मनमुटाव है। इसका समाधान निकाल लिया जाएगा।

हरीश रावत ने एएनआई से कहा है कि जब हम पंजाब कांग्रेस कमेटी में बदलाव लाए, तो हमें बाद में सामने आ सकने वाले संभावित मुद्दों के बारे में विचार आया था। सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर सभी को भरोसा है। हम इसे सुलझाने की कोशिश करेंगे।

पंजाब प्रभारी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सलाहकारों के बयान की मांगी जानकारी

वहीं, दूसरी तरफ पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों के बयान पर जानकारी मांगी है। रावत ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू और अन्य का कहना है कि बयानों को तोड़ा मरोड़ा गया है। ऐसी संभावना है कि चुनाव के समय राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश हो। बता दें कि इससे पहले सिद्धू ने अपने सलाहकारों मलविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग को पटिलाया में अपने घर पर बुलाया।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, सिद्धू के सलाहकारों ने कश्मीर और पाकिस्तान को लेकर विवादित बयान दिए। साथ ही इंदिरा गांधी का आपत्तिजनक स्केच भी शेयर किया। मलविंदर सिंह माली ने जम्मू कश्मीर पर बयान देकर विवाद खड़ा किया था। उन्होंने दावा किया था कि कश्मीर एक अलग देश है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान दोनों अवैध कब्जेदार हैं। वहीं, प्यारे लाल गर्ग ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा की गई पाकिस्तान की आलोचना पर सवाल उठाया था।

मनीष तिवारी ने साधा निशाना

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सिद्धू के सलाहकारों को लेकर कहा कि ऐसे लोगों को पार्टी तो छोड़िए देश में रहने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा कि ये मानते ही नहीं कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है। तो क्या उनको इस मुल्क में पार्टी तो छोड़िए...मुल्क में भी रहने का हक है। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को ऐसे बयानों को गंभीरता से अपने संज्ञान में लेना चाहिए। जहां तक नेशनल इंट्रेस्ट का सवाल है, वहां पर किसी तरह का समझौता नहीं है।



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Deepak Kumar

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