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चुनाव से पहले पंजाब कांग्रेस में घमासान तेज, कैप्टन की फिर सोनिया से मिलने की तैयारी
Punjab Politics: दोनों गुटों के बीच चल रही खींचतान के कारण कैप्टन अमरिंदर सिंह एक बार फिर दिल्ली दौरे पर जाने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक कैप्टन सोमवार को दिल्ली जाएंगे।
Punjab Politics: पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) का झगड़ा सुलझाने के लिए गठित सुलह समिति की रिपोर्ट पर अभी तक हाईकमान ने कोई कदम नहीं उठाया है। सुलह समिति ने कई दिनों पूर्व हाईकमान को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी मगर हाईकमान अभी तक रिपोर्ट पर मंथन में ही जुटा हुआ है। ऐसे में पंजाब कांग्रेस में कैप्टन समर्थकों और विरोधियों के बीच चल रहा झगड़ा अभी तक नहीं सुलझ सका है।
दोनों गुटों के बीच चल रही खींचतान के कारण कैप्टन अमरिंदर सिंह (CM Captain Amarinder Singh) एक बार फिर दिल्ली दौरे पर जाने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक कैप्टन सोमवार को दिल्ली जाएंगे। कैप्टन का सुलह समिति के सदस्यों के साथ ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से भी मुलाकात का कार्यक्रम है। सूत्रों के मुताबिक कैप्टन हाईकमान से जल्द से जल्द फैसला लेने का अनुरोध करेंगे ताकि पंजाब कांग्रेस में मतभेदों को दूर किया जा सके।
सुलह समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं
पंजाब कांग्रेस का झगड़ा सुलझाने के लिए पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी ने सुलह कमेटी का गठन किया था। इस समिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता मलिकार्जुन खड़गे, पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल को शामिल किया गया था।
समिति के सदस्यों ने पंजाब कांग्रेस के लगभग सभी वरिष्ठ नेताओं से बातचीत के बाद अपनी रिपोर्ट कांग्रेस नेतृत्व को सौंप दी है। समिति के समक्ष अपना पक्ष रखने वालों में कैप्टन अमरिंदर सिंह और असंतुष्ट नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) भी शामिल थे। समिति ने राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष, मंत्रियों और विधायकों से भी चर्चा की थी। सुलह समिति की रिपोर्ट पर अभी तक हाईकमान की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
कैप्टन और सिद्धू में खिंचीं तलवारें
समिति की ओर से कांग्रेस नेतृत्व को रिपोर्ट सौंपी जाने के बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दो बार समिति के सदस्यों के साथ विस्तृत मंथन कर चुके हैं। राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी नेतृत्व सभी गुटों को साथ लेकर चलना चाहता है। चर्चा है कि पार्टी नेतृत्व असंतुष्ट नेता नवजोत सिंह सिद्धू को भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपने का पक्षधर है मगर कैप्टन खेमा इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में स्वीकार करने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। दूसरी ओर नवजोत सिंह सिद्धू कैप्टन की सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में कार्य करने के इच्छुक नहीं है। उनका कहना है कि कैप्टन की अगुवाई में वे कोई भी फैसला लेने में सक्षम नहीं होंगे। ऐसे में पंजाब कांग्रेस का झगड़ा जहां का तहां फंसा हुआ है।
सोनिया ने नेताओं को दिल्ली तलब किया
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि अभी तक राहुल गांधी की ओर से किसी फैसले का खुलासा नहीं किया गया है। ऐसे में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह एक बार फिर दिल्ली दौरे पर जा रहे हैं जहां उनकी पार्टी नेतृत्व के साथ विभिन्न मुद्दों पर बातचीत होगी। कैप्टन सोमवार को दिल्ली रवाना होंगे। सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को उनकी सोनिया गांधी से मुलाकात प्रस्तावित है।
सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी ने पार्टी के अन्य दिग्गज नेताओं को भी दिल्ली तलब किया है ताकि चुनावों से पहले पार्टी की आंतरिक कलह को खत्म किया जा सके। जिन नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है उनमें असंतुष्ट नेता नवजोत सिंह सिद्धू का नाम भी शामिल बताया जा रहा है। सिद्धू ने भी सुलह समिति के समक्ष अपने तर्क रखे थे और उन मुद्दों का भी खुलासा किया था जिन पर उनका कैप्टन से गहरा मतभेद है।
विधायकों के बेटों को नौकरी पर घिरी सरकार
इस बीच कांग्रेस के दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने के अमरिंदर सरकार के फैसले पर पार्टी नेताओं ने ही सवाल खड़े कर दिए हैं। इन दोनों विधायक पुत्रों को आतंकवाद पीड़ित परिवार कोटे से नौकरी दी गई है। कैप्टन सरकार के इस फैसले पर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से पार्टी विधायकों के बेटों को नौकरी देने के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि जन भावनाओं को देखते हुए ये दोनों नियुक्तियां तत्काल रद्द की जानी चाहिए।
पार्टी के एक विधायक कुलजीत नागरा ने भी सरकार से फैसला वापस लेने का अनुरोध किया है। नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने भी इन नियुक्तियों पर सवाल खड़े किए हैं। भाजपा ने भी इसे लेकर कैप्टन सरकार पर हमला बोला है। शिरोमणि अकाली ने राज्य के मेधावी छात्रों की अनदेखी और मनमाने फैसलों को लेकर कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है।
दूसरी ओर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फैसला वापस लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि जिन युवाओं को नौकरी दी गई है उनके दादा ने देश के लिए कुर्बानियां दी हैं। ऐसे में इस फैसले को वापस लेने का सवाल ही नहीं है मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के लिए बलिदान देने वालों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
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