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Punjab Politics: कैप्टन पर बदले रावत के सुर, कहा-अभी भी खुले हुए हैं कांग्रेस के दरवाजे, सोनिया से कर लें मुलाकात

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Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 12 Oct 2021 4:19 AM GMT
Punjab Politics: कैप्टन पर बदले रावत के सुर, कहा-अभी भी खुले हुए हैं कांग्रेस के दरवाजे, सोनिया से कर लें मुलाकात
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कैप्टन अमरिंदर सिंह- हरीश रावत (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Punjab Politics: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) के खिलाफ हमलावर रुख अपनाने वाले पंजाब प्रदेश कांग्रेस (Punjab Congress) के इंचार्ज हरीश रावत (Harish Rawat) के सुर बदल गए हैं। अब उन्होंने नरम रुख अपनाते हुए कांग्रेस का दरवाजा कैप्टन के लिए खुला रहने की बात कही है। उन्होंने कहा कि कैप्टन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात करके अपने गिले-शिकवे दूर कर सकते हैं। रावत के रुख में आई नरमी ने प्रदेश की सियासत में नई हलचल मचा दी है।

रावत के इस बयान पर कैप्टन ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा (Amarinder Singh Ka Istifa) देने के बाद कैप्टन ने पार्टी हाईकमान पर बड़ा हमला बोला था और राहुल (Rahul Gandhi) व प्रियंका (Priyanka Gandhi) को अनुभवहीन बताया था। उनका यह भी कहना था कि सलाहकार इन दोनों को गुमराह करने में जुटे हुए हैं। कैप्टन ने पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात करने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा देने का एलान किया था। कैप्टन के नई सियासी पार्टी बनाए जाने की बात कही जा रही है मगर अभी तक कैप्टन ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव (Punjab Vidhan Sabha Chunaav) होने हैं और इस कारण कैप्टन के रुख का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।

हरीश रावत (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अपमानित करने की कोई मंशा नहीं

कैप्टन के इस्तीफा प्रकरण पर टिप्पणी करते हुए रावत ने कहा कि कांग्रेस की कैप्टन का अपमान करने की कभी कोई मंशा नहीं रही। पार्टी हाईकमान की ओर से पंजाब कांग्रेस में पैदा हुई कलह का हल करने का प्रयास किया गया था, लेकिन दुर्भाग्य से इस काम में कामयाबी नहीं मिल सकी। पार्टी के अधिकांश विधायकों के कैप्टन के खिलाफ हो जाने के बाद विधायक दल की बैठक बुलाने का फैसला लेना पड़ा। कैप्टन ने इस बैठक में हिस्सा लेने के बजाय अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

रावत ने कहा कि पार्टी ने कभी कैप्टन का अपमान नहीं किया। उल्लेखनीय है कि कैप्टन यह आरोप लगाते रहे हैं कि जिस पार्टी की मैंने लंबे समय तक सेवा की,उस पार्टी की ओर से मेरा अपमान किया गया। कैप्टन के इस आरोप के संबंध में ही रावत की ओर से सफाई पेश की गई है।

कुछ लोग सिद्धू-चन्नी में मतभेद पैदा कर रहे

रावत ने दावा किया कि पंजाब में नेतृत्व बदलाव के बाद अब किसी भी प्रकार की कलह नहीं है और हालात पूरी तरह सामान्य हो चुके हैं। पावर को लेकर पार्टी में किसी भी प्रकार का संघर्ष नहीं दिख रहा है। रावत ने कहा कि इतना जरूर है कि कुछ लोग नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दोनों के बीच विवाद पैदा करने की साजिश में विपक्षियों के साथ कुछ बुजुर्ग कांग्रेसी भी शामिल हैं। ऐसे लोग चन्नी सरकार को अस्थिर बनाने की साजिश रच रहे हैं और इसी कारण सिद्धू को उकसाया जा रहा है।

नवजोत सिंह सिद्धू (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अभी तक दूर नहीं हुई सिद्धू की नाराजगी

दूसरी और पंजाब कांग्रेस के जानकारों को रावत के दावे में कोई दम नजर नहीं आ रहा है। पंजाब के सियासी हालात से पूरी तरह साफ है कि चन्नी के प्रति सिद्धू की नाराजगी अभी तक दूर नहीं हो सकी है। सिद्धू ने रविवार को चन्नी के बेटे की शादी में भी हिस्सा नहीं लिया था। वे लखीमपुर खीरी से सीधे माता वैष्णो देवी के दरबार में पहुंच गए थे। उनके इस कदम को भी चन्नी से नाराजगी का नतीजा बताया जा रहा है।

सिद्धू ने डीजीपी और एडवोकेट जनरल के पदों पर की गई नियुक्तियों के विरोध में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अभी तक इस्तीफा वापस लेने का कोई एलान नहीं किया है। पंजाब कांग्रेस के मार्च के दौरान सिद्धू के विवादित बयान का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में सिद्धू चन्नी के खिलाफ टिप्पणी करते हुए यह भी कह रहे हैं कि यह व्यक्ति कांग्रेस की लुटिया डुबो देगा।

अमरिंदर सिंह (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कैप्टन खेमे ने लगाया अपमान का आरोप

रावत की ओर से कैप्टन को लेकर दिए गए बयान पर कैप्टन खेमे ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। कैप्टन खेमे का कहना है कि विधायक दल का नेता होने के कारण कैप्टन को ही बैठक बुलाने का हक था मगर कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन को विश्वास में लिए बिना बैठक बुलाई। विधायक दल की बैठक बुलाने के पीछे कैप्टन को अपमानित करने की ही मंशा थी और इसी कारण बैठक से पहले ही कैप्टन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। कैप्टन ने अपने दम पर पंजाब में कांग्रेस को मजबूत स्थिति में पहुंचाया मगर पार्टी हाईकमान की ओर से कैप्टन की सेवाओं की अनदेखी की गई।

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