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Punjab Politics: पंजाब कांग्रेस में सोनिया के फार्मूले का इंतजार, दोनों पक्षों ने साधी चुप्पी, सरकारी काम में कैप्टन को फ्री हैंड

Punjab Politics: पंजाब में हाईकमान से मिले संकेतों के अनुसार, अब कैप्टन को अपनी सरकार चलाने में फ्री हैंड दिया जाएगा।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Chitra Singh
Published on: 11 July 2021 11:44 AM IST
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सोनिया गांधी-अमरिंदर सिंह-नवजोत सिंह सिद्धू (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Punjab Politics: पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) और वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के बीच चल रही उठापटक में युद्धविरान जैसी स्थिति दिख रही है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) से सिद्धू की मुलाकात और उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से कैप्टन की मुलाकात के बाद दोनों पक्ष एक-दूसरे पर हमला करने से बच रहे हैं। कैप्टन और सोनिया की मुलाकात के बाद अभी तक सिद्धू ने कैप्टन सरकार (Captain Sarkar) को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है। माना जा रहा है कि हाईकमान के कहने पर दोनों पक्षों ने चुप्पी साध रखी है।

सियासी जानकारों का कहना है कि हाईकमान से मिले संकेतों के अनुसार, अब कैप्टन को अपनी सरकार चलाने में फ्री हैंड दिया जाएगा। इसके साथ ही सिद्धू की भी पार्टी में सम्मानजनक तरीके से ताजपोशी की जाएगी। उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी सौंपा जा सकता है। पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में सोनिया गांधी के फार्मूले का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है और माना जा रहा है कि इस बाबत जल्द ही कोई बड़ा ऐलान किया जा सकता है।

राजस्थान और पंजाब का झगड़ा बना सिर दर्द

कांग्रेस हाईकमान के लिए विभिन्न राज्यों के नेताओं में पैदा हुई आंतरिक कलह बड़ी मुसीबत बन चुकी है। खास तौर पर राजस्थान और पंजाब कांग्रेस का झगड़ा हाईकमान के लिए बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। यही कारण है कि हाईकमान इन दोनों राज्यों में पार्टी नेताओं के बीच झगड़े को शांत करने में गंभीरता से जुटा हुआ है।

इसी कड़ी में हाल में राजस्थान के प्रदेश प्रभारी अजय माकन को जयपुर भेजा गया था और वहां उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही कई असंतुष्ट नेताओं से भी बातचीत की थी। अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान मकान ने गहलोत से कैबिनेट विस्तार के साथ ही राजनीतिक नियुक्तियों पर भी विस्तार से चर्चा की है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इसका परिणाम दिख सकता है।

राजस्थान और पंजाब कांग्रेस (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

दोनों पक्षों ने म्यान में डाली तलवार

उधर पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह असंतुष्ट नेता नवजोत सिंह सिद्धू की दिल्ली यात्रा के बाद माना जा रहा है कि सुलह का फार्मूला तैयार हो चुका है। दोनों नेताओं की ओर से हाल में एक-दूसरे पर हमले नहीं किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि हाईकमान ने दोनों को सर्वजनिक बयानबाजी से बचने की सलाह दी है। इसके पहले सिद्धू ट्वीट के जरिए लगातार कैप्टन सरकार को घेरते रहे हैं। हाल में उन्होंने बिजली संकट को लेकर भी कैप्टन सरकार पर तल्ख टिप्पणी की थी मगर अब सिद्धू भी चुप्पी साधे हुए हैं।

कैप्टन को सरकार चलाने में फ्री हैंड

दूसरी ओर दिल्ली यात्रा के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी काफी रिलैक्स नजर आ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि हाईकमान की ओर से राज्य सरकार के कामकाज के लिए कैप्टन को फ्री हैंड दे दिया गया है। माना जा रहा है कि कैप्टन जल्दी ही अपनी कैबिनेट में फेरबदल भी करेंगे। कैप्टन की कैबिनेट में कुछ नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है और कैप्टन को हाईकमान से इस बाबत मंजूरी भी मिल चुकी है। कैप्टन डिप्टी सीएम के रूप में नवजोत सिंह सिद्धू को लेने को तैयार नहीं हैं और माना जा रहा है कि हाईकमान ने भी कैप्टन को इस बात की मंजूरी दे दी है।

हालांकि उनसे कांग्रेस के घोषणापत्र में किए गए वादों को जल्द से जल्द पूरा करने की भी बात कही गई है और माना जा रहा है कि कैप्टन जल्द ही इस दिशा में कदम उठाएंगे।

कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

संगठन के मामलों का फैसला हाईकमान करेगा

जानकारों के मुताबिक कैप्टन को सरकार के मामलों में दखल न देने का आश्वासन तो जरूर दिया गया है मगर पार्टी और संगठन से जुड़े मसलों पर अब फैसला हाईकमान की ओर से ही किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक असंतुष्ट नेता सिद्धू को भी सम्मानजनक तरीके से पार्टी में समायोजित करने की तैयारी है। ऐसे में उन्हें पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है।

पंजाब कांग्रेस का झगड़ा सुलझाने के लिए बनाई गई सुलह कमेटी के सदस्य हरीश रावत ने भी इशारा किया था कि राज्य कांग्रेस का झगड़ा सुलझाने के लिए सोनिया गांधी जल्द ही फार्मूले का ऐलान कर सकती हैं। ऐसे में हर किसी की नजर हाईकमान के फार्मूले पर टिकी हुई है। अगर हाईकमान के फार्मूले से दोनों पक्ष संतुष्ट रहे तो कांग्रेस का आंतरिक झगड़ा सुलझाने में कामयाबी मिल सकती है मगर यदि कोई गुट असंतुष्ट रहा तो निश्चित रूप से चिंगारी भीतर ही भीतर सुलगती रहेगी।



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Chitra Singh

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