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अब राजस्थान में आम आदमी पार्टी कर सकती है बड़ा खेला!, समझिए 2023 में होने वाले राजस्थान चुनाव की पूरी गणित
Rajasthan Vidhan Sabha Chunav: आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविन्द केजरीवाल की मनसा कभी भी क्षेत्रीय पार्टी बनाने की नहीं थी. वो शुरुआत से ही पूरे राष्ट्र में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे हैं, फिर वो विवादों से हो या मोदी पर आरोपों की झड़ी लगा देने से हो. दिल्ली - पंजाब में बड़ी जीत हासिल करने के बाद हार का भी सामना करना पड़ा. अब आम आदमी पार्टी का अगला टारगेट राजस्थान है
Rajasthan Vidhan Sabha Chunav: राजस्थान की मौजूदा कांग्रेस सरकार अपनी सारी कोशिशें कर रही है कि किसी भी तरह राजस्थान में सरकार रिपीट की जा सके. भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान दौरे से कांग्रेस मजबूत होती भी दिखाई दे रही है. पर इस बार राजस्थान में दो पार्टियाँ पूरे राजस्थान की गणित को प्रभावित कर देगी. जिसका सीधा प्रभाव कांग्रेस के ही वोटों पर पड़ता दिखाई दे रहा है. हालांकि भाजपा भी आम आदमी पार्टी से थोडा नुकसान खा सकती है. वैसे इस बार आम आदमी पार्टी और नयी पार्टी के तौर पर ओवैसी की AIMIM भी राजस्थान के चुनावी मैदान में अपनी किस्मत का दांव खेलती नज़र आएगी. AIMIM से जनता को बहुत ज्यादा उम्मीदें दिखाई नहीं दे रही हैं परन्तु पिछले कुछ समय से जिस तरह आम आदमी पार्टी अपनी मौजूदगी जाहिर कर रही है उस हिसाब से वोटों की गणित में भारी असंतुलन देखने को मिल सकता है.
आप राजस्थान में कहाँ – कहाँ लड़ रही है?
राजस्थान में 200 विधानसभा सीटों पर चुनावी बिसात बिछती है. जिसमें कांग्रेस और बीजेपी सभी 200 सीटों पर अपने कैंडीडेट खड़े करती है और चुनाव में प्रभावी दिखाई देती है. कुछ सीटों पर बाग़ी और निर्दलीय नेता भी अपनी पहचान कायम रखते हैं. परन्तु ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि चुनावों में कोई पार्टी एक तरफ़ा जीत हासिल कर सके. हाँ वसुंधरा सरकार ने मोदी फैक्टर के चलते ये इकतरफा वाला आंकड़ा कांग्रेस के खिलाफ खड़ा कर दिया था. परन्तु उसे बाद वाली हार से वो पहले वाली कहानियां थोड़ी धुंधली हो गयी. अब आम आदमी पार्टी भी राजस्थान में 70 प्रतिशत सीटों पर अपने कैंडीडेट उतारने का दावा ठोक रही है. आप का दावा तो ज्यादातर सीटों पर जीतने का भी है.
भाजपा को आप से फायदा:
गुजरात की तर्ज पर देखें तो आम आदमी पार्टी जितने भी वोट तोड़ेगी वो कांग्रेस के होंगे. जिससे भाजपा के कैंडीडेट के वोट नहीं टूटने और कांग्रेस के वोट कांग्रेस और आप में बंट जाने का पूरा आभास हो रहा है. गुजरात में भी भाजपा की बम्पर जीत की वजह आम आदमी पार्टी को भी माना जाता है. गुजरात में आम आदमी पार्टी ने 5 सीटों पर अपना कब्ज़ा जमा लिया जिसका कुल वोट का प्रतिशत 13 है. जबकि 35 सीटों पर कांग्रेस को भी पीछे छोड़ते हुए दुसरे नम्बर पर रह कर अपनी साख कायम रखी. ये आंकड़ा भी आम आदमी पार्टी के लिए छोटा आंकड़ा नहीं है. ये दुसरे स्थान वाली जीत भी बहुत मायने रखती है. राजस्थान में कांग्रेस के वोटों में जातीय समीकरण देखेंगे तो पाएंगे कि कांग्रेस को वोटों का ज्यादा फायदा मुस्लिम और ST, SC केटेगरी से मिला है. आप आदमी पार्टी जिन भी घोषणाओं से जनता को रिझाती है उनसे भी ज्यादातर फायदा इन्हीं कम्युनिटी को होगा. इससे सीधा समझा जा सकता है कि वोट किस तरफ मुड़ सकते हैं. बीजेपी के वोटर जनरल और बड़े तबके के लोगों के साथ से जीतती आई है. जिसमें राजपूत वोट बैंक और राजस्थान के जाटों का वोट बैंक पासा पलटने में मुख्य भूमिका निभाते हैं.
पंजाब के पास वाली सीटों पर आप का हो सकता है कब्ज़ा:
पंजाब से सटे राजस्थान में पंजाब का आम बोलचाल में भी प्रभाव साफ़ दिखाई देता है. उसी हिसाब से वहां पंजाब में होने वाली छोटी बड़ी राजनैतिक हलचलों से राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में बड़ा असर देखने को मिलता है. राजस्थान के श्री गंगानगर हनुमानगढ़ और बीकानेर इलाकों में पंजाब से सीधा सम्पर्क होने का असर देखने को मिलेगा. आम आदमी के प्रवक्ता की बात मानें to वो किसी पार्टी को नुक्सान नहीं पहुंचा रहे वो अपनी अलग पहचान और अपनी जगह बना कर राजस्थान में आए हैं. परन्तु वोटों की गणित कुछ और ही कह रही है. दिल्ली की तरह राजस्थान में भी आप मुफ्त बिजली पानी जैसी योजनाओं पर अपना चुनाव लड़ेगी. ऐसी योजानाओं से सीधा असर कांग्रेस के वोट बैंकों पर पड़ता दिखाई दे रहा है और पंजाब सीमा वाली सीटों पर इनका बहुतायत है. दिल्ली के करीबी सीटों पर भी आम आदमी पार्टी अपना प्रभाव जमाए बिना नहीं रहेगी.
अब राजस्थान में कांग्रेस – बीजेपी और आप के बीच होगी जंग:
आप शायद प्रथम दृष्टया इतनी प्रभावी नज़र नहीं आ रही है, पर विद्वानों की गणना के हिसाब से एक बड़ी संख्या को आम आदमी पार्टी प्रभावित करती दिखाई दे रही है. जिस तरह से पिछले कुछ सालों से राजस्थान में कांग्रेस बीजेपी के खेमों में सेंध मारती आम आदमी पार्टी सीधे तौर पर दिखाई दे रही है. फिर चाहे आम आदमी का चिरपरिचित तरीका धरना हो, प्रेस कॉन्फ्रेंस हो या अनशन. मुद्दों को ढूंढने और उन्हें भुनाने में राजस्थान के किसी भी सेक्टर में आम आदमी पार्टी को पीछे नहीं मान सकते.