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AAP In Rajasthan: राजस्थान में गुजरात की तर्ज़ पर "आप" लड़ेगी चुनाव, जनवरी से जनसंपर्क शुरू

AAP In Rajasthan: आम आदमी पार्टी के दिल्ली मुख्यालय से राजस्थान के लिए जनवरी में टीमें रवाना हो जाएंगी। इसके बाद पूरे राजस्थान को टारगेट करते हुए कैम्पेन किए जाएंगे।

Bodhayan Sharma
Published on: 23 Dec 2022 1:54 AM GMT
AAP In Rajasthan: राजस्थान में गुजरात की तर्ज़ पर आप लड़ेगी चुनाव, जनवरी से जनसंपर्क शुरू
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AAP In Rajasthan: राजस्थान में इस बार चुनाव की चुनौती त्रिकोणीय होती नज़र आ सकती है, जिसकी वजह है आम आदमी पार्टी का अगला क्षेत्र राजस्थान। आम आदमी पार्टी के बड़े नेता ने इसकी घोषणा भी कर दी है। उन्होंने कहा है कि अब आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी की भूमिका में आ चुकी है। इस बार राजस्थान और हरियाणा की लगभग सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी के कैंडीडेट उतारे जाएंगे।॥उनके अनुसार जनता दोनों ही पार्टियों से त्रस्त है, इसलिए आम आदमी पार्टी को बड़ा जन-समर्थन मिलेगा।

आम आदमी पार्टी दिल्ली और पंजाब में अपनी सत्ता जमा चुकी है। इसके बाद इसका टारगेट आगामी चुनावों पर जोरों से हैं। अभी गुजरात चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने 5 सीटों पर जीत हासिल की है। इस जीत के मद्देनजर पार्टी अब कॉन्फिडेंस में नज़र आ रही है। बुलंद हौंसले के साथ पार्टी अब हरियाणा और राजस्थान का रुख कर चुकी है। पहले राजस्थान में पार्टी अपनी प्रचार प्रणाली तैयार कर रही है। इसके बाद हरियाणा राज्य में भी रणनीति तैयार कर उसके तहत चुनाव में धावा बोलेगी।॥इस सब में दिल्ली मुख्यालय से टीमें गठित की जा रही हैं। जो दोनों ही राज्यों में तय समय पर अपने प्रचार को शुरू करेंगी।

राजस्थान में नए साल से शुरुआत

आम आदमी पार्टी के दिल्ली मुख्यालय से राजस्थान के लिए जनवरी में टीमें रवाना हो जाएंगी।॥इसके बाद पूरे राजस्थान को टारगेट करते हुए कैम्पेन किए जाएंगे।जिसमें रैलियां, जन सम्पर्क, सभाएं और सोशल मीडिया के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचने का मकसद होगा। राजस्थान में अपनी राजनीति ज़माने के लिए कई बड़ी सभाओं का होना तय किया जा रहा है, जिसमें आम आदमी प्रमुख और दिल्ली सत्ताधीन मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की रैलियां भी शामिल होंगी।

राजस्थान में पहले से चल रहा है जमीनी स्तर पर काम

राजस्थान में पहले से सक्रिय आम आदमी पार्टी ने अपने ज़मीनी स्तर का काम पहले ही शुरू कर दिया था। जिसमें प्रेस वार्ताएं कर जन – जागरूकता फैलाने जैसे काम शामिल थे। अभी पिछले ही साल जयपुर की एक प्राइम लोकेशन पर बड़ा प्रदेश स्तरीय भव्य मुख्यलय भी खोला है। अब इसी प्रदेश मुख्यालय से राजस्थान में परिवर्तन की राजनीती की तस्वीर ले कर सत्ता में आने के प्रयास किए जाएंगे।प्रदेश आम आदमी पार्टी ने पार्टी प्रधानों के आने से पहले ही सर्वे का काम खत्म कर लिया है और सदस्यों को जोड़ने का काम भी शुरू कर लिया है। अब जनवरी से इस काम में और तेज़ी लाना तय किया जा रहा है।

राजस्थान में क्या रहेंगे "आप" के मुद्दे?

राजस्थान में आम आदमी जिन मुद्दों पर चुनाव लड़ने जा रही ही वो नए नहीं है। पर सत्ता परिवर्तन के लिए और अपनी जगह राजस्थान की जनता में बनाने के लिए स्थानीय मुद्दों पर भी बातचीत की तयारी चल रही है। वैसे पंजाब और दिल्ली में हुए विकास के मुद्दों को सबसे अहम माना जा रहा है। इसके अलावा मौजूदा कांग्रेस सरकार में आपसी फूट के मुद्दे को भी भुनाने पर पूरा ध्यान रहेगा। भाजपा के विरोध में भी आपसी कलह को मुद्दा बनाया जा सकता है। मुफ्त बिजली पानी वाला हथियार तो आम आदमी का पेटेंट जैसा हो ही गया है। साथ ही साथ सफाई और आरक्षण के मुद्दे पर भी अपना वर्चस्व दिखाने की कोशिश आम आदमी पार्टी करती नजर आ सकती है।

बड़ा सवाल : राजस्थान में कौन होंगे उम्मीदवार?

2023 साल के अंत तक चुनावों के होने की उम्मीद जताई जा रही है, इसके लिए आम आदमी पार्टी के पास ये अहम सवाल है कि कितनी सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा और वहां पर किसे टिकट दिया जायेगा। अभी आम आदमी पार्टी उम्मीदवारी के चेहरे तलाशने में लगी हुई है। दोनों बड़ी पार्टियों से नेताओं के बाग़ी होने की संभावनाएं भी प्रबल हैं पर साथ ही नए चेहरों पर भी दांव खेलने में आम आदमी पार्टी को कोई झिझक नहीं दिखाई देती। जनवरी से सर्वे के साथ साथ इस बात पर भी ध्यान दिया जाएगा कि कौनसी सीट के लिए किसे चुना जाए और क्यों?

क्या चुनौतियां होंगी "आप" के सामने?

पहली चुनौती तो यही मान लीजिए कि आम आदमी पार्टी के लिए राजस्थान में मुख्यमंत्री का ऐसा चेहरा ढूंढना होगा जो जन सामान्य के लिए परिचित हो और सक्रिय राजनीती का हिस्सा हो। इसके बाद इतने बड़े राज्य में एक साल में नए सिरे से शुरुआत करना भी बड़ा भारी होने वाला है। इतने बड़े राज्य में कैम्पेन करना भी आसान नहीं होने वाला है। जन संपर्क का कोई ऐसा तरीका ढूंढना होगा जिससे कम समय में ज्यादा लोगों तक पहुंचा जा सके। गाँव ढानियों में बसा हुआ राजस्थान अभी ठण्ड और फिर भीषण गर्मी भी देगा। जिससे भी आम आदमी पार्टी के प्रधानों को लड़ना होगा.

राजस्थान में "आप" किसके सर सौंप रही है जिम्मेदारी?

गुजरात चुनाव के समय जो एक नाम आम आदमी पार्टी की तरफ से खूब प्रचलित हुआ था, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक. संदीप पाठक को गुजरात की जिम्मेदारी भी दी गयी थी और अब उन्हें राजस्थान सौंपा जा रहा है। संदीप पाठक आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संगठन प्रभारी भी हैं। राजस्थान में गुजरात वाला फार्मूला चलाने का प्रयास अभी भी रहेगा। वैसे प्रदेश की राजनीती में पहले से सक्रिय विनय मिश्रा भी इस बार बड़ी भूमिका निभाते नज़र आएँगे। विनय मिश्रा राजस्थान प्रदेश के आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी हैं।

विनय मिश्रा के मुताबिक राजस्थान इतना आसान नहीं होगा, परन्तु सर्वे के परिणाम देखे जाएँ तो उम्मीद बहुत बढ़ जाती है। विनय का कहना है कि सर्वे तो अन्य राज्यों में भी करवाए गए हैं, जहां जहाँ चुनाव होने हैं। पर इन सब के परिणामों की विवेचना की जाए तो अन्य राज्यों के मुकाबले राजस्थान के परिणाम सबसे अच्छे हैं। परिणाम देख कर लगता है कि राजस्थान की जनता दोनों ही पार्टियों से त्रस्त हैं और बदलाव चाहती है।सीएम अशोक गहलोत के बारे में कहा कि वो सिर्फ घोषणाएं करते हैं, उन घोषणाओं को धरातल पर कभी नहीं लाया जाता। दोनों बड़ी पार्टियों के पास धन की कोई सीमा नहीं है, पर हमें एक सिमित सीमा में ही काम करना होगा, वो पार्टियाँ अपने धन के जोर पर हैलीकॉप्टर जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकती हैं । पर हमारे पास विकास का मुद्दा है जिस पर जनता की उम्मीदें टिकी हैं।

Deepak Kumar

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