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Adani Foundation: सस्टेनेबल लाइवलीहुड द्वारा राजस्थान की महिलाओं को सशक्त बनाने की अदाणी फाउंडेशन की पहल

Adani Foundation: अदाणी फाउंडेशन ने निरंतर देश की ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग, साधन-सामग्री और तकनिकी सहायता मुहैय्या कर के महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के सुनहरे सपने को साकार करने का प्रयास किया है।

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Newstrack Network
Published on: 7 March 2023 6:26 PM IST
Adani Foundation Initiatives Empowering
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Adani Foundation Initiatives Empowering

Adani Group: अडानी फाउंडेशन महिलाओं को सशक्त बनाने का कार्य कर रही है। आज, ग्रामीण महिलाओं के लिए नए अवसर बनाने की आवश्यकता सबसे अधिक है। हमें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे किसी भी ग्रामीण महिला को आगे बढ़ने में कोई रूकावट ना आए। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सही समय पर अदाणी फाउंडेशन ने आगे बढ़कर समाज के हर वर्ग के लिए सस्टेनेबल लाइवलीहुड जनरेशन, विकास और उन्नति हेतु कई कार्यों की ज़िम्मेदारी ली है। उन्होंने ग्रामीण विस्तारों में समुदाय-आधारित दृष्टिकोण से महिलाओं के जीवन को सशक्त बनाकर उनके लिए आर्थिक अवसरों का दायरा बढ़ाया है।

अदाणी फाउंडेशन महिलाओं के लिए फायदेमंद आजीविकाओं के अवसरों के माध्यम से उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की और उन्हें सस्टेनेबल लाइवलीहुड प्रदान करने की कोशिश में जुटा है। डेरी, कैंटीन चलाना, नाश्ते बनाना, मसालों को पीसना, मशरूम की खेती, इत्यादि जैसी गतिविधियों से सम्बंधित कार्य करनेवाले 275 सेल्फ हेल्प ग्रुप्स (SHGs) में भारतभर की 2,700 से अधिक महिलाएं जुडी हैं, जिन्होंने अब तक कुल 20 करोड़ रूपए की कमाई की है।

अदाणी फाउंडेशन ऐसी कई अल्पसंखिय्क समुदाय की महिलाओं की मदद कर रहा है जो ग्रामीण विस्तार से हैं और जो आत्मनिर्भर होकर आज खुद के पैरों पर खड़ी हैं। उन्ही महिलाओं में से एक शानदार उदहारण है शहनाज़ बानो। राजस्थान के बारां ज़िले की अटरू तहसील में बेस गाँव खेरली की शहनाज़ अदाणी फाउंडेशन द्वारा उस इलाके में आयोजित किये गए एक आजीविका विकास कैंप का हिस्सा बनी। यहां उन्होंने सीखा कि किस तरह विभिन्न तरीकों से महिलाओं को डेरी व्यवसाय में सशक्त बनाने कि योजना फॉउंडेशन द्वारा बनाई जा रही थी, क्योंकि उस गाँव में कोई दूध कलेक्शन केंद्र नहीं था।.

शहनाज़ का कहना है कि, “पहले लोगों को यह तक नहीं पता था कि उनके पधुओं से मिलता अतिरिक्त दूध का क्या करना है, जिसके कारण लोग समझते थे कि पशुपालन से कोई फायदा नहीं हो सकता। फिर जब फाउंडेशन ने हाड़ौती प्रगतिशील प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड बनाई, मैं उसकी बोर्ड मेंबर के रूप में उससे जुडी क्योंकि मुझे इस क्षेत्र में रूचि थी। एक मुस्लिम अल्पसंखिय्क समुदाय से जुडी महिला कभी अपने घरों से बाहर काम के लिए नहीं जाती थी, पर मैंने इस सोच में एक बदलाव लाया और समुदाय की 33 महिलाएं FPO का हिस्सा बनीं।“

अगस्त 2022 में शहनाज़ और उसकी टीम ने अपने गाँव में एक दूध कलेक्शन केंद्र शुरू किया और धीरे धीरे और भी महिलाएं इस मुहीम का हिस्सा बनीं और अब व्यवसाय बहुत प्रगति कर रहा है। शहनाज़ गर्व से कहती है कि, "हमारे गाँव से रोज़ाना 180 लीटर दूध इकठ्ठा होता है जिससे हर महीने 2 लाख रूपए की कमाई होती है। आज मैं यह कह सकती हूँ कि मैंने ना सिर्फ अपनी बल्कि मेरी समुदाय की कई महिलाओं की ज़िन्दगी में बदलाव लाया है।“

लोगों को सशक्त बना कर उन्हें गुजरन-बसरन का एक जरिया प्रदान किया जाए की जिससे वे समृद्ध बन सकें और उन्नति कर सकें; फाउंडेशन के ऐसे प्रयासों से बारां में आमापुरा गाँव की सजनाबाई मीणा को लाभ मिला है। स्व-सहाय ग्रुप (SHGs) एवं स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग की मदद से आज सजनाबाई एक ऐसी आत्मविश्वासी महिला है जो उनके गाँव की अनेक महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है। SHG की मदद से, उनकी ज़िन्दगी और आजीविका दोनों में सुधार आया और इससे सामजिक और आर्थिक रूप से वे सशक्त बनीं हैं।

कई ऐसे भी मामले होते हैं कि किसान के पास ज़मीन तो है, पर उसका क्या करना है और किस तरह उससे कमाई की जा सके और अपना गुज़रन-बसरन कर सकें उसके बारे में उन्हें कुछ मालूम नहीं होता। यह भी एक समस्या थी जिसका निवारण फॉउंडेशन ने किया है। उदाहरण के तौर पर सजनाबाई की ही बात ले लो, जिनके पास 10 बीघा (लगभग 2.75 एकड़) का खेत है पर उनके पति की आक्समिक मृत्यु के बाद जब खेत की ज़िम्मेदारी उनपर आई तब उन्हें खेती के बारे में कुछ भी नहीं पता था। तब फॉउंडेशन की टीम ने उनकी मदद की और उनके जीवन को एक नई दिशा दी और उन्हें बागवानी करने और अपने खेत में सब्ज़ियां उगाने पर प्रोत्साहित किया।

सजनाबाई कहती हैं, “शुरुआत में फाउंडेशन ने मुझे 70 पौधे देकर मदद की और साथ ही सब्ज़ियां उगाने के लिए बेहतर गुणवत्ता के बीज दिए। आज मैं साल का 12,000 से 15,000 रूपए तक कमा लेती हूँ और यह तो अभी बस शुरुआत है। मेरे बागीचे में से जल्द ही मैं 20,000 से 30,000 रूपए कमाने लगूंगी। इस सकारात्मक बदलाव से मेरी और मेरे 6 बच्चों की ज़िन्दगी बेहतर हुई है और आज मैं खुद को एक आत्मविश्वास से भरी उद्यमी मानती हूँ जो ज़िन्दगी में रिस्क लेने से अब नहीं डरती। मैं शुक्रगुज़ार हूँ अदाणी फाउंडेशन का जिन्होंने मुझे मेरे बुरे वक़्त से उभरने में मदद की।“

अदाणी फाउंडेशन का परिचय

अदाणी फॉउंडेशन अदाणी समूह का सामुदायिक सहाय और कार्यात्मक अंग है जो भारतभर में सस्टेनेबल परिणामों को हासिल करने के लिए रणनीतिक सामाजिक निवेश के लिए समर्पित है। 1996 से फॉउंडेशन ने कुछ मूल क्षेत्रों में अपना ध्यान केंद्रित किया है जिसमे शामिल है शिक्षा, स्वास्थ्य, सस्टेनेबल लाइवलीहुड, स्किल डेवलपमेंट और कम्युनिटी इंफ्रास्ट्रक्चर। ग्लोबल सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDGs ) और राष्ट्रिय प्राथमिकताओं पर आधारित रणनीतिओं द्वारा फॉउंडेशन अपने अभिनव दृष्टिकोण और सस्टेनेबिलिटी पर अपने फोकस के लिए जाना जाता है, जो अदाणी समूह के विभिन्न व्यवसायों के आस-पास बेस समुदायों के कल्याण में अपना योगदान देता है। वर्तमान में, यह 19 राज्यों के 5,675 गाँवों में कार्यरत है और करीब 70.6 लाख लोगों की ज़िन्दगी में एक सकारात्मक बदलाव ला चूका है।



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Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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