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गहलोत चल सकते हैं मंत्रिमंडल विस्तार का दांव, पायलट खेमे की नाराजगी दूर करने की कोशिश
सचिन पायलेट खेमे के विधायकों की नाराजगी दूर करने के लिए गहलोत सरकार जल्द मंत्रिमंडल विस्तार का दांव चल सकते हैं।
नई दिल्ली: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) खेमे की बढ़ती सक्रियता पर नजर बनाए हुए हैं। माना जा रहा है कि सचिन खेमे के विधायकों की नाराजगी दूर करने के लिए गहलोत सरकार जल्द मंत्रिमंडल विस्तार (Mantrimandal Vistar) का दांव चल सकते हैं। सचिन पायलट और उनके खेमे के विधायकों की ओर से एक बार फिर नाराजगी जताए जाने के बाद गहलोत और उनका खेमा भी सतर्क हो गया है। यही कारण है कि गहलोत मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री गहलोत पायलट खेमे के तीन-चार विधायकों को मंत्री बनाकर उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश कर सकते हैं। सियासी जानकारों के मुताबिक, गहलोत के इस कदम से सचिन पायलट खेमे की नाराजगी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
नौ विधायकों को बना सकते हैं मंत्री
राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार बने हुए ढाई साल का समय बीत चुका है मगर इस दौरान उन्होंने एक बार भी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया है। मौजूदा समय में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत 21 मंत्री विभिन्न महकमों की कमान संभाले हुए हैं जबकि राजस्थान में 30 मंत्रियों का कोटा है। इस तरह गहलोत अभी भी 9 लोगों को मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंप सकते हैं।
जानकारों का कहना है कि पायलट खेमे के कुछ विधायकों को मंत्री बनाने के साथ ही बसपा से कांग्रेस में आने वाले दो विधायकों को भी मंत्री पद का तोहफा दिया जा सकता है। कांग्रेस और निर्दलीयों में से कुछ नए चेहरे भी इस फेरबदल में फायदा पा सकते हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार का चौतरफा दबाव
दरअसल इस समय गहलोत पर मंत्रिमंडल विस्तार का चौतरफा दबाव बना हुआ है। पायलट खेमे के असंतुष्टों के साथ ही बीएसपी से कांग्रेस में आने वाले और संकट के समय सरकार का साथ देने वाले निर्दलीय विधायक भी मंत्री पद पाने के लिए मुख्यमंत्री गहलोत पर दबाव बनाने में जुटे हुए हैं।
पिछले साल बगावत के समय सचिन पायलट के साथ ही उनके दो करीबियों विश्वेंद्र सिंह (Vishvendra Singh) और रमेश मीणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था। अब पायलट खेमा समर्थक विधायकों में से कुछ को मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपने की मांग पर अड़ गया है। इसे देखते हुए मंत्रिमंडल का विस्तार तय माना जा रहा है।
विस्तार के बाद भी बना रहेगा खतरा
वैसे सियासी जानकारों का यह भी कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार का कदम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए बहुत ज्यादा राहत लेकर नहीं आने वाला है। गहलोत इस समय किसी भी विधायक को नाराज करने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद ऐसे विधायकों के नाराज होने का खतरा बना रहेगा जिन्हें मंत्री पद नहीं मिलेगा।
कांग्रेस के अधिकांश विधायक मंत्री बनना चाहते हैं। ऐसे में सबको संतुष्ट करना गहलोत के लिए संभव नहीं है। अगर मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान कुछ विधायक नाराज हो गए तो यह कदम गहलोत के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला भी साबित हो सकता है।
प्लान बी पर भी काम कर रहे हैं गहलोत
विधायकों की नाराजगी की आशंका को देखते हुए ही मुख्यमंत्री गहलोत प्लान बी पर भी काम कर रहे हैं। इसके तहत जिन विधायकों को मंत्री पद नहीं मिल पाएगा, उन्हें विभिन्न निगमों और बोर्डों में अध्यक्ष बनाकर संतुष्ट करने की तैयारी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का भी कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार पर फैसला लेना मुख्यमंत्री का काम है। उन्होंने कहा कि जिला और ब्लॉक स्तर की राजनीतिक नियुक्तियां भी जून खत्म होने तक पूरी कर ली जाएंगी।