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Congress की आपात बैठक: पंजाब के बाद राजस्थान पर फोकस, गहलोत-पायलट का विवाद सुलझाने में जुटा हाईकमान

Congress Emergency Meeting: सचिन पायलट काफी दिनों से अपने समर्थकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने और राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू करने की मांग करते रहे हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shivani
Published on: 25 July 2021 9:21 AM IST
Congress Emergency Meeting Rajasthan
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पायलट और अशोक गहलोत (Photo Social Media)

Congress Emergency Meeting : पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) का विवाद सुलझाने के बाद अब हाईकमान ने राजस्थान (Rajasthan Congress) में भी पार्टी का संकट सुलझाने की कवायद शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Ashok Gehlot vs Sachin Pilot) के बीच चल रही खींचतान को खत्म कराने के लिए पार्टी की ओर से राजस्थान के प्रदेश प्रभारी अजय माकन (Ajay Maken) और महासचिव केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) को जयपुर भेजा गया है। जयपुर पहुंचते ही इन दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री गहलोत के साथ ढाई घंटे तक मंथन किया। माना जा रहा है कि इस मंथन के दौरान मंत्रिमंडल विस्तार और पार्टी में मतभेद खत्म करने पर चर्चा हुई।

राज्य में सचिन पायलट काफी दिनों से अपने समर्थकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने और राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू करने की मांग करते रहे हैं। माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान की ओर से भेजे गए दोनों वरिष्ठ नेता राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया भी जल्द शुरू कराएंगे। पार्टी हाईकमान अब राजस्थान के झगड़े को जल्द से जल्द निपटाने की कोशिश में जुट गया है। प्रदेश कार्यालय में आज पार्टी पदाधिकारियों और विधायकों की आपात बैठक भी बुलाई गई है। इस बैठक के जरिए विधायकों की शिकायत दूर करने की मंशा है।

जल्द होगा मंत्रिमंडल का विस्तार

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि माकन और वेणुगोपाल को नए मंत्रियों के नामों पर गहलोत और सचिन पायलट के बीच सहमति बनाने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। यद्यपि पार्टी हाईकमान की ओर से राज्य में कई कदम उठाए जाने हैं मगर सबसे पहला कदम गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। इसके जरिए सचिन पायलट की नाराजगी दूर करने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक यदि गहलोत और पायलट गुट में सहमति बन जाती है तो गहलोत मंत्रिमंडल का जल्द ही विस्तार किया जाएगा। माकन और वेणुगोपाल दोनों ने इस मिशन पर काम करते हुए गहलोत के साथ लंबा मंथन किया है।


गहलोत मंत्रिमंडल के मौजूदा आकार को देखते हुए नौ विधायकों को मंत्री बनाने की तैयारी है। राजस्थान मिशन पर भेजे गए दोनों नेताओं को पार्टी हाईकमान ने जुलाई में ही राज्य का सियासी विवाद खत्म कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ ही राहुल और प्रियंका भी चाहते हैं कि राजस्थान का मिशन अविलंब पूरा किया जाना चाहिए।

पायलट कर रहे विवाद सुलझाने की मांग

पिछले साल गहलोत के खिलाफ बगावती तेवर दिखाने वाले सचिन पायलट राजस्थान विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने पिछले दिनों का कहा भी था कि जब पंजाब कांग्रेस का संकट सुलझाने के लिए इतनी तेजी दिखाई जा सकती है तो राजस्थान का विवाद सुलझाने में भी पार्टी नेतृत्व को दिलचस्पी लेनी चाहिए। कुछ दिनों पूर्व पायलट ने संकेत दिया था कि उनकी ओर से उठाए गए मुद्दों पर पार्टी नेतृत्व की ओर से जल्द ही कदम उठाया जाएगा। उनका कहना था कि वे लगातार पार्टी हाईकमान के संपर्क में बने हुए हैं और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही जरूरी कदम उठाए जाएंगे। माना जा रहा है कि पायलट से चर्चा के बाद ही हाईकमान ने राजस्थान विवाद को खत्म कराने के लिए तेजी दिखाई है। पायलट गुट के विधायकों की भी मांग है कि पिछले साल नेतृत्व की ओर से किए गए वादों को पूरा करने में अब देरी नहीं की जानी चाहिए।

राजनीतिक नियुक्तियों को भी देंगे अंतिम रूप

राजस्थान में गहलोत मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ ही विभिन्न निगमों और बोर्डों में भी अध्यक्ष के नाम तय किए जाने हैं। इसके साथ ही जिला अध्यक्षों की नियुक्तियां भी अभी तक नहीं हो सकी है। माना जा रहा है कि माकन और वेणुगोपाल इन सभी मुद्दों पर गहलोत के साथ ही सचिन पायलट से भी चर्चा करेंगे। पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दिल्ली जाने की चर्चाएं थीं मगर अब उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि गहलोत का अभी दिल्ली का कोई दौरा प्रस्तावित नहीं है। सूत्रों के मुताबिक जयपुर में चर्चा के बाद सारी कवायद को दिल्ली में अंतिम रूप दिया जा सकता है और इसके लिए गहलोत और सचिन दोनों को दिल्ली तलब भी किया जा सकता है।


कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी हाईकमान अब जल्द से जल्द राजस्थान का विवाद सुलझाने में जुट गया है ताकि राज्य में पार्टी में मतभेद से होने वाले सियासी नुकसान से बचा जा सके। वैसे मंत्रियों और राजनीतिक नियुक्तियों में गहलोत और पायलट गुट के बीच सहमति बनाना आसान काम नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस मामले में माकन और वेणुगोपाल को कहां तक कामयाबी मिलती है।



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Shivani

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