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राजस्थान भाजपा में गुटबाजी उजागर,पार्टी को महंगी पड़ सकती है वसुंधरा राजे की नाराजगी

Rajasthan: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के शनिवार को सवाई माधोपुर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नामौजूदगी ने तमाम सवाल खड़े कर दिए।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 3 April 2022 11:42 AM IST
Vasundhara Raje
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वसुंधरा राजे (फोटो-सोशल मीडिया)

Rajasthan: राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर पार्टी की गुटबाजी उजागर हुई है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के शनिवार को सवाई माधोपुर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नामौजूदगी ने तमाम सवाल खड़े कर दिए। विधानसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था मगर इस कार्यक्रम से राजे और उनके समर्थकों ने दूरी बनाए रखें।

दरअसल भाजपा की ओर से शनिवार को सवाई माधोपुर में प्रबुद्ध जनों के सम्मेलन का आयोजन किया गया था। एसटी मतदाताओं को साधने के लिए आयोजित किए गए इस सम्मेलन में वसुंधरा राजे के न पहुंचने से पार्टी जनों में तरह-तरह की चर्चाएं होती रहीं। सियासी जानकारों का मानना है कि वसुंधरा ने राष्ट्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत सम्मेलन से दूरी बनाए रखी।

नेतृत्व पर दबाव बनाने में जुटी हैं वसुंधरा

भाजपा सूत्रों के मुताबिक वसुंधरा राजे खुद को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सीएम का चेहरा घोषित करवाना चाहती है। इसके लिए उन्होंने काफी दिनों से राष्ट्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाए रखा है जबकि राष्ट्रीय नेतृत्व इस बार किसी नए चेहरे के साथ चुनाव मैदान में उतरने का इच्छुक बताया जा रहा है।

इसी के तहत वसुंधरा को केंद्र की राजनीति में लाने की कवायद भी की जा रही है मगर वसुंधरा इसके लिए अभी तक तैयार नहीं हुई हैं। भाजपा ने राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं और इसी कड़ी में पार्टी अध्यक्ष नड्डा सवाई माधोपुर पहुंचे थे। इस सम्मेलन में वसुंधरा राजे का न पहुंचना काफी उल्लेखनीय रहा।

मीणा से वसुंधरा की सियासी अदावत

सम्मेलन के दौरान पार्टी अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर भाजपा को एक बार फिर राज्य की सत्ता में लाने का आह्वान किया। इस सम्मेलन में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, भाजपा के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और भाजपा सांसद किरोड़ीलाल मीणा भी मौजूद थे। मीणा को भी वसुंधरा राजे के सम्मेलन में हिस्सा न लेने का बड़ा कारण माना जा रहा है।

मीणा से वसुंधरा की सियासी अदावत राजस्थान में छिपी नहीं है। माना जा रहा है कि इस कारण भी उन्होंने सम्मेलन से दूरी बनाए रखी। इसके साथ ही वे खुद को अभी तक मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित न किए जाने से भी नाराज बताई जा रही हैं। राजस्थान भाजपा का दूसरा गुट उनके काम करने के अंदाज से खुश नहीं है। साथ ही भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भी सीएम चेहरे के रूप में उनके पक्ष में नहीं बताया जा रहा है।

भाजपा का पूर्वी राजस्थान पर जोर

सवाई माधवपुर को किरोड़ी लाल मीणा का सियासी गढ़ माना जाता है और यहां पर आयोजित सम्मेलन के जरिए उन्होंने अपनी सियासी ताकत दिखाई। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अबकी बार पूर्वी राजस्थान पर ज्यादा जोर दे रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा पूर्वी राजस्थान के सात जिलों की की 39 में से सिर्फ 4 सीटें जीतने में कामयाब हो सकी थी। इसी कारण पार्टी ने इस बार राजस्थान के इस हिस्से से पर ज्यादा फोकस किया है।

मीणा समुदाय को जोड़े रखने की कवायद

नड्डा सियासी समीकरणों को साधने के लिए सवाई माधोपुर पहुंचे थे। मीणा समुदाय का पहले भी भाजपा को खासा समर्थन हासिल होता रहा है और पार्टी अगले चुनाव में भी इस वोट बैंक को खुद से जोड़े रखना चाहती है। हालांकि इस दौरान उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से एकजुटता की अपील की मगर सम्मेलन में वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों के न पहुंचने से एक बार फिर पार्टी की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व राजस्थान भाजपा में गुटबाजी को खत्म करने में कहां तक कामयाब हो पाता है।

Vidushi Mishra

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