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राजस्थान में फिर फूटा फोन टैपिंग बम, गहलोत सरकार पर गंभीर आरोप, हाईकमान की मुसीबतें बढीं

गहलोत सरकार के खिलाफ अपनी शिकायतें दूर न होने से नाराज पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 13 Jun 2021 12:47 PM IST
Ashok Gehlot vs Sachin Pilot
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अशोक गहलोत( फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस की तरह राजस्थान कांग्रेस का झगड़ा भी कांग्रेस हाईकमान के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। गहलोत सरकार के खिलाफ अपनी शिकायतें दूर न होने से नाराज पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पायलट की जल्द ही प्रियंका गांधी और राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन से मुलाकात होने की संभावना है।

दूसरी ओर पायलट समर्थक विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने एक बार फिर राजस्थान में फोन टैपिंग का मुद्दा उठाकर सियासी माहौल गरमा दिया है। उन्होंने कहा कि पायलट समर्थक विधायकों के फोन टैप किए जा रहे हैं। सोलंकी ने कहा कि मुझे एक कई विधायकों ने इस बाबत जानकारी दी है कि उनकी सारी बातचीत रिकॉर्ड की जा रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए ताकि सच्चाई उजागर हो सके। सोलंकी के इस आरोप के बाद राजस्थान की सियासत में भूचाल आ गया है।

विधायकों ने दी फोन टैपिंग की जानकारी

सोलंकी ने कहा कि दो-तीन विधायकों ने बातचीत में मुझे बताया है कि उनके फोन टैप किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीआईडी के लोग पायलट समर्थक विधायकों के घरों के आसपास चक्कर काट रहे हैं और उनकी जासूसी कराई जा रही है।

वेद प्रकाश सोलंकी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

विधायक ने कहा कि अफसरों की ओर से विधायकों को ट्रैप कराने की धमकी भी दी जा रही है। कई अफसरों ने विधायकों से मिलकर उन्हें एसीबी ट्रैप का डर दिखाया है। अफसरों ने धमकाया है कि रवैया न बदलने पर विधायकों को बाद में बदनाम कर दिया जाएगा।

विधायकों पर दबाव बनाना मकसद

पायलट समर्थक विधायक ने कहा कि फोन टैपिंग के मुद्दे पर कुछ विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से शिकायत भी की है। फोन टैपिंग का मामला सामने आने के बाद विधायकों में दहशत है और वे खुलकर किसी से कोई बातचीत नहीं कर पा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विधायक फोन टैपिंग और विधायकों की जासूसी उचित कदम नहीं है और इसका एकमात्र मकसद विधायकों पर दबाव बनाना है। सरकार इस कदम के जरिए विधायकों पर दबाव बनाकर अपने समर्थन के लिए मजबूर करने की साजिश में जुटी हुई है।

पहले भी उठ चुका है फोन टैपिंग का मुद्दा

राजस्थान की सियासत में यह पहला मौका नहीं है जब फोन टैपिंग का मामला उछला है। पिछले साल भी सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की बगावत के समय फोन टैपिंग का आरोप लगाया गया था। सचिन समर्थक विधायकों का आरोप था कि सरकार उनकी रणनीति का पता लगाने के लिए फोन टैप करा रही है। भाजपा ने भी इस मुद्दे को लेकर गहलोत सरकार को घेरा था।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी एक फोन टैपिंग के मुद्दे पर इस साल मार्च में नई दिल्ली में एक एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री के ओएसडी और पुलिस अफसरों पर फोन टैप कराने का आरोप लगाया था। इस मामले की दिल्ली हाईकोर्ट में अभी सुनवाई चल रही है और हाईकोर्ट से मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा को हाल ही में राहत मिली है।

सचिन की हो सकती है प्रियंका से मुलाकात

उधर राजस्थान के सियासी घटनाक्रम को लेकर दिल्ली में भी गतिविधियां काफी तेज हैं। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के बुलावे पर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाल रखा है और माना जा रहा है कि उनकी जल्द ही प्रियंका गांधी से मुलाकात हो सकती है।

प्रियंका गांधी वाड्रा (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सचिन पायलट 10 महीने पहले किए गए वादों पर अमल न किए जाने से नाराज बताए जा रहे हैं। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर जयपुर में खुलकर नाराजगी जताई थी जिसके बाद उन्हें हाईकमान की ओर से दिल्ली तलब किया गया है।

राजस्थान मामले में तत्काल एक्शन की मांग

पायलट ग्रुप का आरोप है कि गहलोत के राज में उनके साथ विपक्षी नेताओं जैसा व्यवहार किया जा रहा है और सरकार के बड़े फैसलों में उनकी कोई पूछ नहीं हो रही।

सुलह कमेटी के मुद्दे पर लंबे समय से खामोश बैठे सचिन पायलट अब हाईकमान से तत्काल एक्शन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब पंजाब कांग्रेस के मामले में तुरंत कदम उठाया जा सकता है तो राजस्थान के मामले की क्यों अनदेखी की जा रही है।

पायलट से किया जा सकता है वादा

पायलट के दिल्ली में डेरा डालने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी दिल्ली पहुंच चुके हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी की ओर से सचिन को महासचिव पद का ऑफर भी किया गया था मगर उन्होंने इस ऑफर में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। वह अभी राजस्थान की सियासत में ही सक्रिय रहना चाहते हैं।

जानकारों का कहना है कि पार्टी हाईकमान की ओर से पायलट समर्थकों को मंत्री बनाने और राजनीतिक नियुक्तियों में भागीदारी देने का वादा किया जा सकता है। जानकारों के मुताबिक राजस्थान कांग्रेस का झगड़ा भी पार्टी हाईकमान के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है और यदि इसे जल्द नहीं सुलझाया गया तो राजस्थान की सियासत में एक बार फिर विस्फोट हो सकता है।



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Vidushi Mishra

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