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Rajasthan Politics: राजस्थान में गहलोत गुट ने रखीं तीन शर्तें, हाईकमान पर बढ़ाया दबाव, पायलट का पत्ता होगा साफ

Rajasthan Politics Crisis Latest Update: कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव होने के साथ ही मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर गहलोत गुट के विधायकों की ओर से हाईकमान के सामने तीन शर्ते भी रख दी गई हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 26 Sept 2022 9:12 AM IST (Updated on: 26 Sept 2022 5:24 PM IST)
Gehlot Group put three conditions in Rajasthan, increased pressure on the high command, the pilots address would be clear
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत-राहुल गांधी- सचिन पायलट: Photo- Social Media

Rajasthan Political Crisis: कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव (Congress President Election) की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही राजस्थान में सियासी (Rajasthan Politics) तूफान खड़ा हो गया है। सचिन पायलट को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) का उत्तराधिकारी बनाए जाने की अटकलों के बाद गहलोत समर्थक विधायकों ने बागी तेवर अपना लिए हैं। गहलोत समर्थक 82 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफा सौंप दिया है। मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर शुरू हुई इस जबर्दस्त खींचतान के बाद गहलोत गुट के विधायकों की ओर से हाईकमान के सामने तीन शर्ते भी रख दी गई हैं।

गहलोत के करीबी माने जाने वाले मंत्री शांति धारीवाल और चार अन्य विधायकों ने पार्टी के पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से देर रात हुई बातचीत में तीन शर्ते रखी हैं। अगर हाईकमान की ओर से इन शर्तों को पूरा किया गया तो सचिन पायलट किसी भी सूरत में राजस्थान के मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे। दूसरी ओर शर्त पूरी न करने की स्थिति में राजस्थान कांग्रेस में विधायकों की बड़ी बगावत का खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान को इन शर्तों को पूरा करना ही पड़ेगा।

गहलोत खेमे की तीन शर्तें

गहलोत गुट की ओर से पहली शर्त यह रखी गई है कि पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव तक राजस्थान के मुख्यमंत्री पद में किसी भी प्रकार का बदलाव न किया जाए। इसका मतलब साफ है कि 19 अक्टूबर तक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से न हटाया जाए। गहलोत खेमे की ओर से रखी गई दूसरी शर्त यह है कि जिन 102 विधायकों ने 2020 में कांग्रेस सरकार बचाने में भूमिका निभाई थी, उनमें से ही किसी विधायक को मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया जाए।

गहलोत गुट की इस शर्त का मतलब भी पूरी तरह साफ है क्योंकि 2020 में सचिन पायलट की अगुवाई में 19 विधायकों की बगावत के कारण ही गहलोत सरकार के लिए संकट खड़ा हुआ था। इस शर्त को पूरा करने की स्थिति में सचिन पायलट का पत्ता भी साफ हो जाएगा।

राहुल गांधी-मुख्यमंत्री अशोक गहलोत: Photo- Social Media

गहलोत खेमे ने तीसरी शर्त यह रखी है कि राज्य के नए मुख्यमंत्री का नाम तय करने में अशोक गहलोत को पूरी तवज्जो दी जानी चाहिए। अशोक गहलोत शुरुआत से ही सचिन पायलट के पक्ष में नहीं हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि अशोक गहलोत विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी को नए मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने अभी तक खुलकर इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है।

हाईकमान को रखना होगा शर्तों का ध्यान

राजस्थान के मंत्री महेश जोशी का कहना है कि राजस्थान के नए मुख्यमंत्री का फैसला करते समय पार्टी हाईकमान को इन शर्तों का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व को उन विधायकों का ख्याल रखना चाहिए जो संकट के समय पूरी वफादारी से पार्टी के साथ खड़े रहे। पार्टी के लिए संकट पैदा करने वालों को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया जाना चाहिए। जानकार सूत्रों के मुताबिक पर्यवेक्षकों से बातचीत के दौरान गहलोत गुट की ओर से सीपी जोशी को नया मुख्यमंत्री बनाने की मांग की गई है।

विधायकों के बागी तेवर के कारण ही रविवार की शाम को होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक रद्द कर दी गई थी। उसके बाद देर रात तक सुलह की कोशिशें चलती रहीं। पार्टी पर्यवेक्षकों ने गहलोत खेमे से जुड़े वरिष्ठ मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और शांति धारीवाल से बातचीत करके संकट को समझाने की कोशिश की। हालांकि गहलोत खेमा अपनी मांगों पर अड़ा रहा।

बगावत करने वालों को न मिले मौका

खाचरियावास ने कहा कि हमारे पास 92 विधायकों का समर्थन है और हमारी एक ही मांग है कि बगावत करने वाले लोगों में से किसी चेहरे को मुख्यमंत्री न बनाया जाए। उन्होंने कहा कि नए सीएम का चयन करने में विधायकों की अनदेखी की जा रही है जिसे लेकर विधायकों में भारी नाराजगी है। उन्होंने कहा कि 10-15 विधायकों की सुनवाई हो रही है जबकि गहलोत समर्थक 92 विधायकों की उपेक्षा की जा रही है। राज्य के कांग्रेस विधायकों ने गहलोत को ही अपना नेता माना है।

उन्होंने कहा कि गहलोत किसी क्लास के मॉनिटर नहीं है जो उन्हें हटाकर किसी और को कमान सौंप दी जाए। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा ने तोड़फोड़ की राजनीति शुरू कर दी तो उसका अंजाम क्या होगा? उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान को काफी सोच समझकर कदम उठाना होगा।

पायलट समर्थक विधायक भी हुए गोलबंद

गहलोत समर्थक विधायकों की ओर से दबाव बनाए जाने के बाद पायलट समर्थक भी गोलबंद हो गए हैं। पायलट के समर्थक विधायकों ने देर रात पायलट के घर पर बैठक करके अपनी अगली रणनीति पर चर्चा की। हालांकि अभी तक इस रणनीति का खुलासा नहीं हो सका है। इस बीच राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कहा है कि हम पहले से ही यह बात कहते रहे हैं कि राजस्थान में कांग्रेस के पास पायलट से बेहतर कोई चेहरा नहीं है। राज्य में रविवार सुबह से चल रहे सियासी ड्रामे पर अभी तक सचिन पायलट ने कोई टिप्पणी नहीं की है।

इस बीच कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि राजस्थान के सियासी घटनाक्रम पर उनकी गहलोत से कोई बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व की ओर से राजस्थान का संकट सुलझाने की कोशिश की जा रही है और जल्द ही इस संकट को सुलझा लिया जाएगा।



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Shashi kant gautam

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