भारत जोड़ो यात्रा में नज़र आया नेताओं का सियासी नाच, राजस्थान का राजनैतिक ऊंट अब किस करवट बैठेगा..?

Bodhayan Sharma
Written By Bodhayan Sharma
Published on: 5 Dec 2022 8:08 AM GMT
भारत जोड़ो यात्रा में नज़र आया नेताओं का सियासी नाच, राजस्थान का राजनैतिक ऊंट अब किस करवट बैठेगा..?
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Bharat Jodo Yatra in Rajasthan: भारत जोड़ो यात्रा पूरी तरह से राजस्थानी रंग में रंग चुकी है. राहुल गांधी भी राजस्थान की संस्कृति में सराबोर होते दिखाई दिए और साथ ही दिखाई दिया राजनैतिक रंग. ये इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि जो दो लोग एक ही पार्टी में धुर-विरोधी हो चुके हैं, बयानों में एक-दुसरे के खेमें से खुली चुनौतियां आ रही है. एक दुसरे की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया जा रहा है, मीडिया में एक दुसरे को कोसा जा रहा है, जिनकी अदावतें पूरे देश भर में चर्चा में रहीं वही लोग अब एक दुसरे का हाथ पकड़ कर राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के सामने ही नाचते नज़र आए. ऐसा प्रेम दिखा कि देख कर लगता है कि कुछ हुआ ही नहीं आज तक.

बात हो रही है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की. इन दोनों के सम्बन्धों की चर्चा इतनी व्यापक हुई कि पूरा देश स्तब्ध था. जनता ने तो यहाँ तक नसीहत दे दी की राहुल गाँधी को भारत जोड़ो यात्रा निकलने से पहले कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालनी चाहिए. अब इस यात्रा से एक बारगी तो लग रहा है कि इन दोनों के बीच के सरे गिले-शिकवे मिट गए हैं. पर कुछ लोगों का कहना ये भी है कि ये राजनैतिक नाच है. कांग्रेस आलाकमान को रिझाने वाला नृत्य है. कुछ ने कहा ये वो कटपुतलियाँ हैं जिन्हें आलाकमान हर बार अपने हिसाब से नचा देता है. अब इस यात्रा के बाद इन दोनों खेमों के बीच क्या समीकरण बनेंगे वो अनुमान अभी राजनैतिक गलियारों की मुख्य चर्चा में शामिल है.

क्या है पुराना है विवाद:

कुछ विधायकों को सचिन पायलट अपने साथ ले कर बगावत पर उतर आए थे, तब ये भी कवायद लगाई जा रही थी कि अब अपने मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह सचिन भी कांग्रेस का साथ छोड़ देंगे. हालाँकि सूबे के मुख्यमंत्री इस बात का दावा भी अभी तक कर रहे हैं कि उनके पास सुबूत है, कि ये कदम सचिन पायलट ने बीजेपी के कहने पर उठाया था. और गहलोत और उनके खेमे के सभी मंत्री-नेता अभी तक सचिन पायलट को गद्दा का तमगा दे रहे हैं. वहीँ सचिन पायलट ने कहा कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही थी, इसलिए ये उनका विरोध जताने का तरीका था. इस विरोध जताने के खामियाजे में पायलट को उपमुख्यमंत्री पद खोना पड़ा.


राजस्थान का राजनैतिक ऊंट अब किस करवट बैठेगा..?

राजनैतिक विद्वानों की मानें तो भारत जोड़ो यात्रा में जो हो रहा है वो मात्र तभी तक है जब तक यात्रा चल रही है, उसके बाद विरोधी फिर विरोध में होंगे. इस बार ये भी माना जा रहा है कि कांग्रेस की आपसी रंजिश के चक्कर में राजस्थान में कांग्रेस के वोट भी असमंजस में चले जाएंगे. एक बहुत बड़ा वोट बैंक देखें या ख़बरों की मानें तो आखिरी चुनावों के समय भी कांग्रेस को जिताने में सचिन पायलट का वर्चस्व ज्यादा रहा, यहाँ तक माना गया कि अगर वो अपने हाथ में कमान नहीं सँभालते तो कांटे की टक्कर बीजेपी की तरफ भारी हो जाती और सरकार बदलने वाला राजस्थान का रिकॉर्ड टूट जाता. गुर्जर वोट बैंक ने पायलट का पूरा साथ दिया और अभी भी वो लगातार पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपना पक्ष रख रहे हैं.

आगामी चुनाव का समीकरण:

आगामी चुनाव में मुख्यतः दो बातों पर जीत टिकी है. पहली अभी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बना दिया जाए तो जीत संभव है, और इस बात के समर्थन में तो कांग्रेस के विधायकों के ही बयान आ गये, राज्यमंत्री और कांग्रेस के नेता राजेंद्र गुढ़ा ने कहा था "पहले ही बहुत देर हो चुकी है, पर अगर अभी भी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बना दिया जाए तो राजस्थान में सरकार दोहराई जा सकती है, अगर ऐसा अभी नहीं किया गया तो बस इतने ही विधायक जीतेंगे जो एक फॉरच्युनर गाड़ी में आ जाएँगे." इस बात का समर्थन करती दिव्या मदेरणा भी दिखाई दी. हालाँकि दोनों को ही पायलट गुट का माना जाता है. प्रत्यक्ष रूप से तो राजनैतिक बदलाव आना अभी मुश्किल है परन्तु ऐसा होता है तो इसके आसार बनते दिखाई दे रहे हैं कि वोटों की बदलती धरा में जनता को फिर से सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा.

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