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Rajasthan Election 2023: अब राजस्थान की आदिवासी सीटों पर भाजपा की निगाहें, गुजरात के चुनाव नतीजों से पार्टी उत्साहित

Rajasthan Assembly Election 2023: गुजरात में आदिवासी वोट बैंक के बंपर समर्थन के कारण भाजपा 90 फ़ीसदी आदिवासी सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है।

Anshuman Tiwari
Published on: 14 Dec 2022 4:16 PM IST
Rajasthan Assembly Election 2023
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Rajasthan Assembly Election 2023 (Social Media)

Rajasthan Assembly Election 2023: गुजरात के विधानसभा से चुनाव में आदिवासी सीटों पर मिली बड़ी कामयाबी से भाजपा उत्साहित दिख रही है। गुजरात में आदिवासी वोट बैंक के बंपर समर्थन के कारण भाजपा 90 फ़ीसदी आदिवासी सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है। गुजरात में मिली इस बड़ी कामयाबी के बाद अब भाजपा की निगाहें राजस्थान के विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर लगी हुई है। गुजरात की तरह राजस्थान में भी आदिवासी सीटों की काफी संख्या होने का कारण सत्ता का फैसला करने में इन सीटों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।

गुजरात में इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 27 आदिवासी सुरक्षित सीटों में से 24 सीटों पर जीत हासिल की है। इन आदिवासी सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत लगा रखी थी। राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में 28 सीटें आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं।

गुजरात के नतीजों से उत्साहित भाजपा ने राजस्थान की आदिवासी सीटों पर अपनी निगाहें गड़ा दी हैं। भाजपा ने हाल के दिनों में आदिवासियों का समर्थन हासिल करने के लिए काफी काम किया है और सियासी जानकारों का मानना है कि पार्टी को राजस्थान में भी इसका फायदा मिल सकता है।

गुजरात में आदिवासी सीटों पर बड़ी कामयाबी

गुजरात में भाजपा को मिली बड़ी जीत में आदिवासी सीटों का भी बड़ा योगदान माना जा रहा है। वैसे तो भाजपा के लिए इस बार पूरे गुजरात का चुनाव नतीजा काफी अच्छा रहा है मगर आदिवासी सीटों पर पार्टी ने जबर्दस्त कामयाबी हासिल की है। इस बार गुजरात के चुनाव में पार्टी 156 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है जबकि कांग्रेस 17 और आम आदमी पार्टी 5 सीटों पर सिमट गई है।

गुजरात में आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित सीटों में भाजपा इस बार 90 फ़ीसदी सीटें जीतने में कामयाब रही है। राज्य में आदिवासी समुदाय के लिए 27 सीटें आरक्षित हैं और भाजपा को इनमें से 24 सीटों पर कामयाबी मिली है। यदि 2017 के चुनाव नतीजों को देखा जाए तो भाजपा की इस कामयाबी को समझा जा सकता है।

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इन 27 सीटों में से 15 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी मगर इस बार पासा पूरी तरह पलट गया है और भाजपा ने बड़ी कामयाबी हासिल की है।

पीएम की मुहिम का मिला फायदा

गुजरात में अपनी चुनावी सभाओं के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का नाम लेना नहीं भूलते थे। राष्ट्रपति चुनाव का जिक्र करते हुए मोदी ने अपनी सभाओं में कांग्रेस पर लगातार हमला बोला।

उनका कहना था कि यदि कांग्रेस को आदिवासी महिला उम्मीदवार द्रौपदी मंजूर होंती तो पार्टी की ओर से उनकी उम्मीदवारी का स्वागत किया जाता। वे इस बात का जिक्र किया करते थे कि कांग्रेस ने विपक्ष की ओर से उतारे गए दूसरे उम्मीदवार का समर्थन किया था।

इसके साथ ही वे लगातार इस बात का भी जिक्र कर किया करते थे कि आदिवासी समुदाय को ताकतवर बनाने और उनकी समस्याओं का निदान करने में भाजपा हमेशा आगे रही है। वे अपनी सरकार की ओर से आदिवासी समुदाय के लिए उठाए गए कदमों का भी जिक्र करके कांग्रेस को घेरने की कोशिश करते थे। पीएम मोदी के इन प्रयासों का गुजरात में पार्टी को सकारात्मक परिणाम मिला है।

राजस्थान में भी आदिवासी बड़ा फैक्टर

गुजरात के बाद भाजपा की निगाहें राजस्थान की आदिवासी सीटों पर हैं। राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटों में से 28 सीटें आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं। गुजरात की तरह राजस्थान में भी भाजपा को कांग्रेस से बड़ी सियासी लड़ाई लड़नी है।

राज्य की सत्ता का फैसला करने में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों की प्रमुख भूमिका होती है। इस कारण भाजपा और कांग्रेस की सियासी लड़ाई में इन 28 सीटों की भूमिका काफी अहम हो गई है।

भाजपा ने इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पहले से ही प्रयास शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में एक प्रमुख कार्यक्रम को संबोधित किया था।

मानगढ़ धाम राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के आदिवासी समुदाय के लिए आस्था का सबसे प्रमुख केंद्र रहा है। मानगढ़ धाम के इतिहास के अनुसार यहां जलियावाला बाग नरसंहार से भी बड़ा नरसंहार हुआ था।

करीब 112 साल पहले संत गोविंद गुरु के नेतृत्व में अंग्रेजों से लड़ाई लड़ते हुए हजारों आदिवासियों की यहां जान चली गई थी जिनकी याद में यहां स्मारक बनाया गया है।

भाजपा ने चला रखी है मुहिम

पिछले कुछ वर्षों के दौरान भाजपा आदिवासी नायकों के सम्मान और प्रशंसा में जुटी हुई है। इसी सिलसिले में सरकार की ओर से बिरसा मुंडा की जयंती को ट्राइबल डे के रूप में मनाने का ऐलान किया गया था। इस मौके पर भाजपा की ओर से कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए थे।

इसके साथ ही सरकार की ओर से आदिवासी बहुल राज्यों में आदिवासियों का संग्रहालय बनाने की योजना भी तैयार की गई है। आदिवासी समुदाय के लिए बजट में पैसा भी बढ़ाया गया है।

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के पिछड़ने का एक प्रमुख कारण आदिवासी सीटों पर मिली हार को भी माना गया था। वैसे अब भाजपा ने आदिवासी समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए फुलप्रूफ प्लान तैयार कर लिया है और माना जा रहा है कि राजस्थान सहित अन्य राज्यों में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसका बड़ा फायदा मिल सकता है।



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Durgesh Sharma

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