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Rajasthan Politics: अशोक गहलोत ही होंगे कांग्रेस का CM चेहरा, कांग्रेस ने वीडियो में दिया संदेश, सचिन पायलट को लगा झटका
Rajasthan Politic: कांग्रेस के ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट से जारी वीडियो से साफ हो गया है कि राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई अशोक गहलोत के हाथों में ही होगी।
Rajasthan Politics: राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे। कांग्रेस के ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट से जारी वीडियो से साफ हो गया है कि राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई अशोक गहलोत के हाथों में ही होगी। वीडियो के अंत में लिखा गया है कि नई चुनौतियों के लिए तैयार, 2023-28 गहलोत फिर से। राजस्थान के सियासी गलियारे में यह वीडियो चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि अभी तक किसी भी खेमे की ओर से इस वीडियो को लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
इस वीडियो से राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम और पार्टी के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के सियासी सपनों को एक बार फिर ग्रहण लगता हुआ दिख रहा है। सचिन पायलट का खेमा लंबे समय से राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की मांग करता रहा है मगर इस वीडियो के जरिए इस बात का स्पष्ट संकेत मिला है कि पार्टी नेतृत्व का अभी भी अशोक गहलोत के प्रति भरोसा बरकरार है और पार्टी उन्हीं की अगुवाई में विधानसभा चुनाव के दौरान अपना दमखम दिखाएगी।
कांग्रेस नेतृत्व गहलोत को हटाने को तैयार नहीं
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कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों को पार्टी की महत्वपूर्ण धरोहर बताया था। राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन के सवाल पर उनका कहना था कि पार्टी के लिए दोनों नेता महत्वपूर्ण हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश का कहना था कि राजस्थान में कौन मुख्यमंत्री होगा, इसका फैसला चुनाव के बाद ही होगा।
इस बीच पार्टी के इंस्टाग्राम में अकाउंट पर जारी इस वीडियो से साफ हो गया है कि पार्टी अभी राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन के लिए तैयार नहीं है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मौजूदा कार्यकाल के दौरान उठाए गए कदमों का भी विस्तृत रूप से जिक्र किया गया है। गहलोत सरकार की ओर से जनता के हितों में लिए गए सारे बड़े फैसलों की जानकारी इस वीडियो में दी गई है। इसके साथ ही अगले कार्यकाल के लिए भी गहलोत का नाम ही पेश किया गया है।
सचिन पायलट की सियासी उड़ान पर लगा ब्रेक
राजस्थान में सचिन पायलट का खेमा लंबे समय से नेतृत्व परिवर्तन की मांग करता रहा है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी पिछले दिनों अनुशासनहीनता करने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई न होने और पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डालने के मुद्दे पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं। पायलट खाने के मुखर विधायक लाल बैरवा, वेद प्रकाश सोलंकी और पायलट समर्थक अन्य विधायक समय-समय पर राजस्थान में पार्टी की कमान सचिन पायलट को सौंपने की मांग करते रहे हैं।
वैसे इस वीडियो से साफ हो गया है कि सचिन पायलट का सियासी उड़ान का सपना जल्द पूरा होने वाला नहीं है। कांग्रेस नेतृत्व का भरोसा अभी गहलोत में बना हुआ है और इस कारण पार्टी उनकी अगुवाई में ही विधानसभा चुनाव में उतरने वाली है। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की स्थिति में भी पायलट का सपना पूरा होना मुश्किल माना जा रहा है क्योंकि इस वीडियो में साफ तौर पर कहा गया है कि कांग्रेस गहलोत की अगुवाई में ही चुनाव लड़ेगी और जीतने की स्थिति में वही मुख्यमंत्री भी बनेंगे।
एक साथ 19 जिले बनाने का गहलोत का ऐलान
राजस्थान में इन दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने ही सियासी सक्रियता काफी बढ़ा दी है। वे लगातार ऐसे फैसले ले रहे हैं जो कांग्रेस को सियासी नजरिए से लाभ पहुंचाने के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। शुक्रवार को उन्होंने राजस्थान में 19 नए जिले और तीन नए संभाग बनाने का ऐलान किया। राजस्थान के कई इलाके के लोग लंबे समय से अपने इलाके को जिला घोषित कराने की मांग करते रहे हैं। ऐसे में गहलोत ने बड़ा सियासी दांव चलते हुए इस मांग को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों रिटायर्ड आईएएस राम लुभाया की अध्यक्षता में एक हाई पावर कमेटी का गठन किया था। हाल ही में इस कमेटी का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ाया गया था। इस कमेटी के सामने राजस्थान के 60 इलाकों के नेताओं ने अपने इलाके को जिला बनाने के संबंध में ज्ञापन पेश किए थे। अब इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने 19 नए जिले बनाने का ऐलान कर दिया है।
प्रदेश में 15 साल बाद जिला बनाने की दिशा में कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री गहलोत ने एक साथ 19 नए जिलों का ऐलान करके विपक्षी दलों को भी हैरान कर दिया है। गहलोत की रणनीति इस कदम के जरिए कांग्रेस को सियासी लाभ पहुंचाने की है और माना जा रहा है कि इस दिशा में यह कदम काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।