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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में किरोड़ी बने रोड़ा, सीएम गहलोत की बढ़ी मुश्किलें
Bharat Jodo Yatra in Rajasthan: किरोड़ी लाल मीणा का वो सियासी दाव जो सीधा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर कब्ज़ा करने पर जा लगा। मीणा ने राहुल गांधी के विश्राम स्थल के टेंट को निशाना बना लिया है। मीणा अपने समर्थकों सही वहीं डटे हुए हैं। अभी तक समझाइश के लिए आए सभी लोगों को बैरंग लौटना पड़ा।
Bharat Jodo Yatra in Rajasthan: सियासत में अपनी ज़मीं तलाशने निकले राहुल गांधी के हिस्से आ सकने वाली ज़मीं पर भी भाजपा ने परोक्ष कब्ज़ा कर लिया है। अलवर सीमा के सरेर गाँव पर जहाँ भारत जोड़ो यात्री विश्राम करने वाले थे वहाँ भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने अपने समर्थकों के साथ डेरा डाल दिया है। बेरोज़गार युवाओं, महिलाओं के खिलाफ अपराधों, आदिवासियों एवं दलित समाज की मांगों को लेकर बताये जा रहे इस धरने पर बोलते हुए सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने बताया कि जिस जगह पर राहुल गांधी के भोजन करने हेतु व्यवस्था की गयी है उस जगह पर वे तब तक बैठे इंतज़ार करेंगे जब तक राहुल गांधी वहां पहुँच कर वहां उपस्थित लोगों का ज्ञापन स्वीकार ना कर लें और उनकी मांगों को ना सुन लें।
भारत जोड़ो यात्रा में किरोड़ी लाल मीणा बने रोड़ा!
राजस्थान बेरोज़गारी और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों में अग्रणी बना हुआ है। एक और जहाँ भाजपा जन आक्रोश यात्रा के माध्यम से प्रदेश भर में काँग्रेस सरकार के ख़िलाफ़ माहौल तैयार कर रही है तो किरोड़ी लाल मीणा के इस असमय प्रदर्शन को भी उसी तर्ज़ पर देखा जा रहा है। किरोड़ी के इस दांव से एक - बारगी तो कांग्रेस और भारत जोड़ो यात्रा में तैनात सुरक्षादल और ब्यूरोक्रेसी के हाथपांव फूलते नज़र आ रहे हैं। गहलोत सरकार जहाँ अपनी सरकार के 4 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में जश्न मना कर कार्यक्रम कर रही है और साथ ही भारत जोड़ों यात्रा का राजस्थान में होने को अवसर मान रही है, ये धरना इस मौके को और ख़ास बनाता है। वहीं दूसरी ओर भाजपा इसे धूमिल करने एवं ध्यान अपनी और आकर्षित करने का कोई भी मौका गवाना नहीं चाहती या यूँ कहें कि भाजपा नये-नये मौके बना रही है जिससे जनता का पूरा ध्यान काँग्रेस की ख़िलाफ़त पर रहे।
क्या किरोली लाल मीणा और उनके समर्थकों की समझाइश हो पाएगी..?
किरोड़ी लाल मीणा की समझाइश करने पहुँचे स्थानीय काँग्रेस नेता एवं प्रशासनिक अधिकारीगण के साथ साथ काँग्रेस के विश्वस्त जितेंद्र सिंह भी मौजूद रहे। परंतु उनके प्रयास विफल रहे और उनको नारेबाज़ी का सामना करना पड़ा। किरोड़ी लाल मीणा और उनके समर्थकों ने 'आश्वासन नहीं नौकरी' की बात कहकर उन्हें वापस लौटा दिया गया। हमेशा से किरोड़ी लाल मीणा को अशोक गहलोत के पुराने दोस्तों में बताए जाते हैं, तो देखना ये है कि क्या अशोक गहलोत फ़िर कोई नया सियासी जादू दिखा पाते हैं? किरोली लाल मीणा और उनके समर्थकों की समझाइश हो पाती है? और भारत जोड़ो यात्रा निर्बाध रूप से आगे बढ़ती है या होगा ये कि कांग्रेस के शासन वाले इस राज्य में जब यह यात्रा पहुँची है तो अपने घर मे ही चुनौतियाँ उनका दामन पकड़ लेती है?
अगले साल राजस्थान में होने वाले हैं विधानसभा चुनाव:
ना सिर्फ राजस्थान बल्कि राष्ट्रीय भाजपा का भी पूरा ध्यान अभी अलवर बॉर्डर पर ही रहने वाला है क्योंकि भारत जोड़ो यात्रा के शुरुआत से ही उन्होंने इसे नाकामयाब घोषित करने का कोई अवसर जाने नहीं दिया है और जब राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिये दोनों पार्टियां कमर कस चुकी है तो भाजपा ऐसा स्वर्णिम मौका जाने नहीं देना चाहेगी। ऐसी ख़बर बने जिस पर सिर्फ़ राजस्थान ही नहीं पूरे देश भर की जनता का ध्यान आकर्षित हो और साम, दाम, दण्ड, भेद चाहे किसी तरह से हो, भाजपा, राहुल गाँधी की यात्रा के रास्ते का काँटा बन पाये। ये स्पष्ट है की कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में कांग्रेस की छवि को सुधारने का बड़ा दांव है। पर भाजपा अगर इसे रोकने में कामयाम नहीं हुई तो आगामी चुनाव में भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती है।