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राजस्थान कांग्रेस में घमासान तेज, पायलट की गहलोत को CM पद से हटाने की मांग, दावेदारी भी ठोकी

Congress Crisis: राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अशोक गहलोत को सीएम पद से हटाने की मांग की है। साथ ही इस पद पर अपनी दावेदारी भी पेश की है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 28 April 2022 6:08 PM IST
राजस्थान कांग्रेस में घमासान तेज, पायलट की गहलोत को CM पद से हटाने की मांग, दावेदारी भी ठोकी
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सचिन पायलट-अशोक गहलोत (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Rajasthan Congress Crisis: राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election 2023) से पहले कांग्रेस में एक बार फिर सियासी घमासान तेज हो गया है। राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने पार्टी हाईकमान (Congress High Command) से राज्य में जल्द मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) को पद से हटाने की मांग की है। पायलट ने साफ तौर पर कहा है कि यदि पार्टी हाईकमान की ओर से इस दिशा में कदम नहीं उठाया गया तो राजस्थान में भी पार्टी का हश्र पंजाब (Punjab) जैसा ही होगा। पंजाब में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था।

अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद (Rajasthan CM News) से हटाने की मांग के साथ ही सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी भी पेश की है। उन्होंने कहा कि वे राज्य के मुख्यमंत्री पद की बागडोर इसलिए संभालना चाहते हैं ताकि राजस्थान में अगले साल होने वाले चुनावों में कांग्रेस की एक बार फिर सत्ता में वापसी सुनिश्चित की जा सके। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट की इस मांग के साथ राजस्थान में दो गुटों का झगड़ा एक बार फिर बढ़ता दिखाई दे रहा है।

सीएम न बदला तो पंजाब जैसा हश्र होगा

अप्रैल महीने के दौरान सचिन पायलट की तीन बार पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक हो चुकी है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanaka Gandhi) से मुलाकात के दौरान सचिन पायलट ने राजस्थान के सियासी हालात पर अपनी राय स्पष्ट तौर पर बताई है। उन्होंने हाईकमान से मांग की है कि मुख्यमंत्री पद से अशोक गहलोत को जल्द से जल्द हटाया जाना चाहिए नहीं तो कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ेगा।

कांग्रेस का वही हाल हो सकता है जैसा पंजाब में हुआ था। पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत हासिल हुई थी मगर इस बार पार्टी सिर्फ 18 सीटों पर ही सिमट गई है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने 92 सीटों पर शानदार जीत हासिल की है।

अशोक गहलोत-सचिन पायलट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

गहलोत से पायलट की ट्यूनिंग नहीं

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी भी की है। हालांकि अभी तक इस मुद्दे पर पार्टी हाईकमान का रुख स्पष्ट नहीं हो सका है। 2018 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद हाईकमान की ओर से गहलोत को ही राज्य की बागडोर सौंपी गई थी जबकि सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया था। अशोक गहलोत के साथ पायलट की ट्यूनिंग कभी नहीं बैठक जिसका नतीजा पायलट की बगावत के रूप में सामने आया था।

दूसरी ओर राजस्थान कांग्रेस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे अतीत में इस बात को साबित भी कर सके चुके हैं। सचिन पायलट की अगुवाई में 18 विधायकों की बगावत के समय भी अशोक गहलोत ने अपनी ताकत दिखाई थी। दूसरी ओर सचिन पायलट राज्य में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही डिप्टी सीएम ही रहे हैं। 2020 में बगावत के बाद उन्हें दोनों पदों से हाथ धोना पड़ा था।

अब हाईकमान के फैसले पर निगाहें

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से सचिन पायलट की मुलाकात के बाद राजस्थान के सियासी हलकों में तरह-तरह की चर्चाएं तैर रही हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इशारों में सचिन पायलट पर तंज कसते रहे हैं। हाल में एक कार्यक्रम के दौरान भी उन्होंने कहा था कि वे अपने संघर्ष के बल पर इस पद तक पहुंचे हैं। उनका यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद ही उन्होंने अपना परमानेंट इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास रख दिया है। जब भी राज्य में मुख्यमंत्री को बदलने की जरूरत महसूस होगी तो किसी को कानोंकान कोई खबर तक नहीं होगी।

सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस हाईकमान की तमाम कोशिशों के बावजूद राजस्थान के दोनों गुटों में एकजुटता की उम्मीद नहीं दिख रही है। राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी अजय माकन भी कई बार जयपुर का दौरा करने के साथ मंत्रियों और विधायकों से चर्चा कर चुके हैं। उन्होंने भी अपनी राय से पार्टी हाईकमान को अवगत कराया है।

अब सबकी निगाहें पार्टी हाईकमान पर टिकी हैं कि राजस्थान के संबंध में क्या फैसला लिया जाता है। पंजाब में देर से मुख्यमंत्री बदलने का खामियाजा कांग्रेस भुगत चुकी है और माना जा रहा है कि अगर वही कहानी राजस्थान में दोहराई गई तो निश्चित रूप से पार्टी को यहां भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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