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Rajasthan Congress: कांग्रेस प्रभारी रंधावा ने टिकट बांटने को लेकर दिया सन्देश, संगठन में गहलोत पायलट को बताया बड़ा मुद्दा

Rajasthan Congress: अधिवेशन, विधायकों, नेताओं से वन टू वन और फीडबैक की कई सभाओं के बाद राजस्थान कांग्रेस के नए प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने अपना आधिकारिक बयान देते हुए राजस्थान में कांग्रेस को संगठित हो कर काम करने का सन्देश दिया है। रंधावा ने आपसी विवादों को जल्दी सुलझाने के लिए कहा और सरकार को रिपीट करने को लेकर प्रयासों में लग जाने का आदेश दिया।

Bodhayan Sharma
Written By Bodhayan Sharma
Published on: 30 Dec 2022 5:04 PM IST
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Rajasthan Congress: अधिवेशन, विधायकों, नेताओं से वन टू वन और फीडबैक की कई सभाओं के बाद राजस्थान कांग्रेस के नए प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने अपना आधिकारिक बयान देते हुए राजस्थान में कांग्रेस को संगठित हो कर काम करने का सन्देश दिया है। रंधावा ने आपसी विवादों को जल्दी सुलझाने के लिए कहा और सरकार को रिपीट करने को लेकर प्रयासों में लग जाने का आदेश दिया।

"आम कार्यकर्ता की बात सुनी जाए और उन्हें भी मौका दिया जाए।" ये वही वाक्य है जो राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान प्रवास के दौरान कहा था। राहुल गांधी राजस्थान कांग्रेस को जैसे जीत का मन्त्र दे । अब इसी मन्त्र का बार बार जाप करते हुए दिखाई दे रहे हैं । राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा। रंधावा ने कहा कि कांग्रेस को संगठन की तरह मजबूत बनना होगा, साथ मिल कर, एकजुट हो कर काम करना होगा। राजस्थान में आगामी चुनावों में कैसे फिर से कांग्रेस सरकार रिपीट होगी इस पर आज से ही काम शुरू करना होगा।

राजस्थान कांग्रेस को अब क्या समझा गए रंधावा

रंधावा राजस्थान में मंत्रियों से बातचीत में एक ही बात पर बार बार जोर देते नज़र आए। संगठन को मजबूत बनाने में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए रंधावा ने कई रास्ते दिखाए और कई उदाहरण देकर नेताओं – कार्यकर्ताओं को समझाया। परन्तु बार बार इस एक समस्या का जिक्र करना इस बात का भी सुबूत दे रहा है कि ये समस्या कितनी बड़ी है। गहलोत पायलट को एक करना रंधावा को आसान दिखाई नहीं दे रहा। गहलोत - पायलट की लड़ाई आज की नहीं है। इसे इतनी आसानी से खत्म करना मुमकिन नहीं है।

मैं 5 स्टार होटल में बैठने नहीं आया हूँ – रंधावा

एक्शन मोड में नज़र आए रंधावा ने सभी नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि, "मैं फाइव स्टार होटल में बैठने नहीं आया हूँ, जो काम मुझे सौंपा गया है उसे पूरा करूंगा, देखना कुछ ही दिनों में राजस्थान में सबको एक मजबूत संगठन नज़र आने लगेगा। अभी जिला स्तरीय नियुक्तियां भी होनी हैं, ब्लॉक स्तर की नियुक्तियों से शुरुआत करेंगे और टिकट बांटने तक की प्रक्रिया करेंगे। इससे पहले सर्वे में जो टिकट के मापदंडो को पूरा नहीं कर पाएंगे उन्हें टिकट मिलने में परेशानी हो सकती है।"

सीपी जोशी से मुलाकात के बाद मीडिया वार्ता, अब होगा गहलोत से संवाद

शुक्रवार सुबह राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी से रंधावा ने मुलाकात की। इस मुलाकात में भी संगठन को मजबूत करने का मुद्दा छाया रहा, जिसको लेकर चर्चा में सी पी जोशी से भी सुझाव लिए गए। इसके बाद प्रेस वार्ता में रंधावा ने आगामी रणनीति के बारे में बताया और मीडिया के सवालों का जवाब दिया। दोपहर बाद फिर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करने का कार्यक्रम है। इसके बाद वो दिल्ली या पंजाब के लिए वापसी कर सकते हैं।

इशारों में बता दो टिकट किसे दोगे – कांग्रेस के नेताओं ने रंधावा से कहा

रंधावा ने अपने बयान में एक इशारा किया, वो इशारा इस तरफ था कि इस बार कई मंत्रियों और विधायकों की टिकट कट सकती है। रंधावा ने कहा कि, सर्वे में के बाद अलाकामन सबकी किस्मत का फैंसला करेगी. इस पर मौजूद विधायकों ने रंधावा से कहा कि किसे टिकट देने वाले हैं उसका इशारा कर दें, उसी हिसाब से आगामी चुनावों की तैयारियां शुरू की जाएंगी। रंधावा ने कहा, "तैयारी पार्टी के लिए करनी है, व्यक्तिगत सीट के लिए नहीं, टिकट को लेकर निर्णय जो भी होगा वो जल्दी आपको बता दिया जाएगा। अभी संगठित होने की सोचो।" राजनैतिक विशेषज्ञों की मानें तो, 25 से 30 विधायकों और मंत्रियों की इस बार कुर्सी छिन जाएगी और इनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया जाएगा।

गहलोत – पायलट, रंधावा की सबसे बड़ी चुनौती

अशोक गहलोत और सचिन पायलट की आपसी लड़ाई अभी तक रुकी नहीं है। हालाँकि सचिन पायलट ने इस पर बहुत लम्बे समय से कोई बयान नहीं दिया है। लेकिन रह - रह कर सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने बयानों में ऐसी कोई बात कह जाते हैं जिससे इस लड़ाई को फिर हवा मिल जाती है। ऐसे में रोज होने वाले विवादों के साथ रंधावा दोनों के बीच की वर्चस्व की लड़ाई को कैसे ख़त्म करेंगे। कैसे दोनों के बीच की दूरियों को दूर कर एकजुट कर पाएंगे। रंधावा से पहले इस क्रम में आलाकमान की तरफ से भी कई कोशिशें हो चुकी हैं, परन्तु अभी भी परिणाम वही हैं।

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