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पत्नी-बेटी ने नहीं किया था मतदान: सिर्फ एक वोट से इस दिग्गज को झेलनी पड़ी थी हार, टूट गया था CM बनने का सपना
Rajasthan News: नाथद्वारा विधानसभा सीट को सीपी जोशी का गढ़ माना जाता था मगर 2008 के चुनाव में उन्हें इस सीट पर निराशा हाथ लगी थी।
Rajasthan News: पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) में विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से इन दिनों जोरदार प्रचार किया जा रहा है। प्रत्याशी जनसंपर्क के जरिए मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। प्रत्याशियों की ओर से लगाया जा रहा जोर अनायास नहीं है, क्योंकि चुनाव में एक-एक वोट की बड़ी कीमत होती है। एक वोट की कितनी बड़ी कीमत होती है इसे 2008 के एक विधानसभा चुनाव से समझा जा सकता है, जिसमें एक वोट ने एक सियासी दिग्गज का सपना चकनाचूर कर दिया था। मजे की बात यह है कि इस सियासी दिग्गज की पत्नी और बेटी उस दिन मतदान करने के लिए नहीं पहुंची थीं। बाद में चुनावी नतीजे की घोषणा के समय उनके पास पछतावे के सिवा कुछ भी बाकी नहीं रह गया था।
राजस्थान के कद्दावर नेता हैं सीपी जोशी
दरअसल राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Legislative Assembly) के 2008 के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी नाथद्वारा विधानसभा सीट (Nathdwara assembly seat) से चुनाव मैदान में उतरे थे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके सीपी जोशी (CP Joshi) को राजस्थान में कांग्रेस का कद्दावर नेता माना जाता है और वे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के भी काफी करीबी माने जाते हैं। राजस्थान के हाल के सियासी इतिहास को देखा जाए तो हर पांच साल पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सत्ता बदलाव होता रहा है।
इस तरह भाजपा के 5 साल के शासन के बाद 2008 में कांग्रेस के सत्ता में आने की उम्मीद जताई जा रही थी और सीपी जोशी (CP Joshi) मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में अशोक गहलोत पर भी भारी माने जा रहे थे। 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ते हुए राजस्थान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था मगर सीपी जोशी (CP Joshi) की जगह अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ही मुख्यमंत्री बने थे। इसका प्रमुख कारण यह था कि सीपी जोशी मात्र एक वोट से विधानसभा का चुनाव हार गए थे।
नाथद्वारा सीट पर सिर्फ एक वोट से हारे
नाथद्वारा विधानसभा सीट (Nathdwara assembly seat) को सीपी जोशी का गढ़ माना जाता था मगर 2008 के चुनाव में उन्हें इस सीट पर निराशा हाथ लगी थी। 2008 से पहले वे इस सीट पर चार बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके थे। उन्होंने 1980, 1985, 1998 और 2003 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की थी। भारतीय जनता पार्टी ने 2008 के चुनाव में सीपी जोशी (CP Joshi) के मुकाबले कल्याण सिंह चौहान (Kalyan Singh Chauhan) को चुनाव मैदान में उतारा था।
दोनों प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी मगर आखिरकार चौहान एक वोट से बाजी जीतने में कामयाब रहे। चुनावी नतीजों के मुताबिक कल्याण सिंह चौहान को 62,216 वोट हासिल हुए थे जबकि सीपी जोशी 62,215 वोट पाने में कामयाब हुए थे। इस तरह जोशी को चौहान के हाथों एक वोट से हार झेलनी पड़ी थी।
पत्नी व बेटी ने नहीं किया था मतदान
सीपी जोशी (CP Joshi) के साथ ही उनकी पत्नी को भी इस हार का बड़ा मानसिक झटका लगा था। इसका कारण यह था कि जोशी की पत्नी और बेटी उस दिन मतदान करने के लिए बूथ पर नहीं गई थीं। बाद में मीडिया से बातचीत के दौरान जोशी ने खुद खुलासा किया था कि उनकी पत्नी और बेटी पूजा के सिलसिले में मंदिर गई हुई थीं और दोनों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। इन दोनों के मतदान में हिस्सा न लेने की वजह से सीपी जोशी को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। सीपी जोशी की हार की वजह से मुख्यमंत्री पद का फैसला करने में कांग्रेस नेतृत्व को कोई दिक्कत नहीं हुई और अशोक गहलोत को फिर मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला।
हार के कारण गहलोत से पिछड़े जोशी
हालांकि कांग्रेस (Congress) नेतृत्व से नजदीकी के कारण जोशी 2009 के लोकसभा चुनाव (2009 Lok Sabha Election) में कांग्रेस का टिकट पाने में कामयाब रहे। कांग्रेस ने उन्हें भीलवाड़ा लोकसभा सीट (Bhilwara Lok Sabha seat) से चुनाव मैदान में उतारा था और इस चुनाव में जोशी ने जीत हासिल की थी। जीत के बाद उन्हें मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में पंचायती राज मंत्री बनाया गया था।
बाद में उन्हें सड़क परिवहन मंत्रालय के साथ ही रेल मंत्रालय का भी अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था। वैसे 2008 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद राजस्थान की सियासत में जोशी की पकड़ कमजोर पड़ गई और गहलोत ने एक बार फिर अपना पूरी तरह प्रभुत्व कायम कर लिया। मौजूदा समय में सीपी जोशी नाथद्वारा से ही कांग्रेस के विधायक हैं और विधानसभा अध्यक्ष के रूप में भूमिका निभा रहे हैं।
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