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Rajasthan: दबंगों की गुंडागर्दी के आगे पुलिस बनी मूकदर्शक! दलित दूल्हों को नहीं चढ़ने दिया घोड़ी, जबरदस्ती उतारकर बाइक से भेजा

राजस्थान में बूंदी जिले के नीम का खेड़ा गांव में पुलिस की मौजूदगी के बावजूद दलित दूल्हे को दबंगों ने घोड़ी पर नहीं बैठने दिया, जिसके बाद घोड़ी की जगह दूल्हे बाइक पर सवार होकर दुल्हन के घर पहुंचा।

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Newstrack NetworkPublished By Deepak Kumar
Published on: 23 Nov 2021 3:19 AM GMT
Rajasthan News today Dabangs did not allow Dalit grooms to climb the mare in Bundi
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Rajasthan: दबंगों ने दलित दूल्हों को नहीं चढ़ने दिया घोड़ी, जबरदस्ती उतारकर बाइक से भेजा। (Photo- Social Media) 

Rajasthan: राजस्थान में पुलिस के होते हुए दबंगों की गुंडागर्दी करने का मामला सामने आया है। दरअसल, ये मामला राजस्थान (Rajasthan) में बूंदी (Bundi) जिले के नीम का खेड़ा गांव का है, जहां पुलिस की मौजूदगी के बावजूद दलित दूल्हे (Groom) दबंगों की वजह से अपनी दुल्हन के दर घोड़ी पर सवार हो कर नहीं जा सका, जिसके बाद घोड़ी की जगह दूल्हा बाइक पर सवार होकर दुल्हन के घर पहुंचा। वहीं मामले में पुलिस का कहना है कि उनके मौके पर पहुंचने पर किसी ने भी दूल्हों को घोड़ी पर बिठाने की बात नहीं कही।

पुरानी रीति-रिवाज होने का दिया हवाला

जानकारी के अनुसार नीम का खेड़ा गांव निवासी गणेश लाल मेघवाल की तीन बेटियों को ब्याहने के लिए भीलवाड़ा जिले (Bhilwara District) के किशनों का झोपड़ा निवासी गोवर्धन, सरदार जी का खेडा का नंदलाल और बूंदी से सीताराम कल शाम गांव पहुंचे थे। बारातों की अगवानी के बाद जब तीनों दूल्हों को घोडियों पर बिठाकर दुल्हनों के घर तोरण द्वार पर ले जाने की तैयारी हो रही थी, तभी कुछ दबंग इकट्टा हो गए और पुरानी रीति-रिवाज होने का हवाला देते हुए दलित दूल्हे को घोड़ी पर नहीं उठाने की बात कही जिससे तनाव पैदा हो गया।

बुजुर्गों के साथ समझाईश के बाद बाइक पर गए दूल्हे

इस बारे में सूचना मिलने पर बूंदी से पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और गांव की कुछ बुजुर्गों के साथ समझाया और अंत में देर रात्रि को दुल्हों को बाइक से दुल्हनों के घर ले जाया गया। इसी के अनुरूप बिना घोड़ी दूल्हों की बिंदोरी निकाली और उन्होंने तोरण मारे गये।

पुलिस के पहुंचने के बाद किसी ने नहीं की घोड़ी की बात

इस बारे में पुलिस का कहना है कि पुलिस के गांव में पहुंचने के बाद किसी ने दूल्हों को घोड़ी पर बिठाने की बात नहीं कही और न ही मौके पर कोई घोड़ी मिली। यह पहली बार नहीं है जब ऐसा देखा गया है। इससे पहले भी कई बार दलित जाति के दूल्हों को घोड़ी पर चढ़ने से मना किया गया है। अगड़ी जाती के लोग पूराने रीति-रिवाजों का हवाला देकर दूल्हों को घोड़ी पर बारात लेकर निकलने पर रोकते आए हैं।

Deepak Kumar

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