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Rajasthan Political Crisis: राजस्थान के 92 विधायकों के इस्तीफे मंज़ूर, तो कांग्रेस सरकार गिरने पर मजबूर? चुनाव से ठीक पहले गिर जाएगी सरकार?

Rajasthan Political Crisis:राजस्थान में सत्ता परिवर्तन की ताक में बैठे पायलट समर्थकों के दिल तब टूटे जब कांग्रेस आलाकमान के एक लाइन के प्रस्ताव का जिक्र पूरे देश भर में हो रहा था और राजस्थान में उसे लागू करने की बात हो रही थी। राजस्थान का सितम्बर महीने का ये दिन इतिहास में दर्ज तो हुआ ही। साथ ही कांग्रेस आलाकमान के लिए ये दिन एक चेतावनी जैसा साबित हुआ।

Bodhayan Sharma
Written By Bodhayan Sharma
Published on: 20 Dec 2022 1:44 PM GMT
Rajasthan Political Crisis
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Rajasthan Political Crisis

Rajasthan Political Crisis: देश भर में और कांग्रेस के अन्दर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर चली लम्बी खींचतान के बीच 25 सितंबर को राजस्थान में हुई राजनैतिक उठापटक पूरे देश ने देखी। आरोप – प्रत्यारोप का ये सिलसिला अभी भी जारी है। उस दिन दो बड़े फैंसले लिए गए। जिसमें से एक फैंसला राजस्थान कांग्रेस के 92 विधायकों ने लिया और एक फैंसला लिया कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली से। 92 विधायकों ने आलाकमान से विरोध जताते हुए इस्तीफे सौंपे और कांग्रेस के प्रधान नेतृत्व ने राजस्थान के ही 3 नेताओं पर अनुशाशनात्मक कार्यवाही के आदेश दे दिए। विधायकों के इस्तीफों पर अभी तक भी ना जनता के लिए और ना ही राजनीतिज्ञों के लिए कोई दृश्य साफ हो पाया हैं। विधायकों ने तो उस दिन अपने - अपने इस्तीफे विधानसभा अध्य्क्ष को सौंप दिए थे पर जिन्हें सौंपा गया वहां से अभी तक उन इस्तीफों का कोई जवाब नहीं आया है। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों को स्वीकार किया गया है या नहीं, इस बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। जबकि कोर्ट ने खुद इस बात पर संज्ञान लिया है।

बीजेपी विधायकों के इस्तीफों के मुद्दे पर लगातार – हमलावार

इस मुद्दे को भाजपा लगातार भुनाने में लगी हुई है। भाजपा के कद्दावर नेता राजेन्द्र राठौड़ ने एक बयान जारी किया है। इस बयान में राठौड़ सख़्त रुख अपनाते हुए कहते हैं कि, "विधानसभा अध्यक्ष इस बात पर फैंसला क्यों नहीं ले रहे हैं। अध्यक्ष या तो इन इस्तीफों पर किसी फैंसले पर जल्दी पहुंचे नहीं तो विपक्ष इस बात पर मजबूर हो जाएगा कि इस मुद्दे के लिए कोर्ट जाए।" राजेंद्र राठौड़ के अलावा जनता भी अभी तक इस असमंजस में दिखाई दे रही है कि सरकार और कितने दिन की है। अभी तो गहलोत और पूरी कांग्रेस राजस्थान में आई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के स्वागत और व्यवस्थाओं में लगी है। साथ ही गहलोत सरकार के 4 साल पूरे होने के जश्न में डूबी हुई दिखाई दे रही है।

अगर स्वीकार हो जाएं 92 विधायकों के इस्तीफे

राजस्थान में राजनैतिक भूचाल की स्थिति बनती दिखाई दे रही है। जिसकी वजह है 92 विधायकों के इस्तीफ़े। अगर ये सभी 92 इस्तीफे स्वीकार कर लिए जाएं तो इसके बाद सरकार के अल्पमत में होने की पूरी परिस्थिति बन रही है। ये बात नेता प्रतिपक्ष ने कई बार अपने बयानों में भी कह दी। भाजपा के नेता इस बात के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं कि ये सारे इस्तीफे मंज़ूर कर लिए जाएं। अगर मंज़ूर नहीं किए जा रहे हैं तो कम से कम इन पर फैंसला जल्द लिया जाए। राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि विधायक इस्तीफ़ा देने का अधिकार रखते हैं पर विधायकों के पास इस्तीफे वापस लेने जैसा कोई अधिकार नहीं है।

जनता को भी फैंसले का इंतजार

जनता भी अब जानना चाहती है कि इस्तीफे दी हुए 3 महीने पूरे होने को हैं पर अभी तक इस मुद्दे पर न तो कोई कांग्रेसी नेता या आलाकमान बात कर रही है और ना ही अभी तक कोई फैसला आया है। जन सभाओं और प्रेस वार्ता में भी इस सवाल से कांग्रेस के नेता बचते नज़र आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्रतिपक्ष के नेताओं का खुल कर सामने आना लाज़मी लगता है और वो भी तब, जब राजस्थान विधानसभा चुनावों में एक साल का समय भी नहीं बचा हो।

सरकार और आलाकमान की चुप्पी

विधायकों के इस्तीफे के मुद्दे पर मल्लिकार्जुन खडगे भी कोई बयान जारी नहीं कर रहे हैं, जबकि वो खुद इस पूरे प्रकरण के प्रत्यक्ष दर्शी रहे हैं। इस मामले में राहुल गांधी, अशोक गहलोत और उन सभी 92 विधायकों में से किसी का बयान नहीं आया है। कांग्रेस सरकार में से किसी का भी इस मुद्दे पर बयान नहीं आना भाजपा को और मौका देता हैं जिससे वो सवाल तो सरकार से पूछे पर इसी बहाने जनता पर अपना प्रभाव छोड़ दे और बता दे कि उनकी चुनी हुई मौजूदा सरकार कभी भी धराशाई हो सकती है। ऐसे में उनके पास विकल्प में भाजपा ही बचती है।

गहलोत के पास है पहले से इस समस्या का हल?

वैसे राजस्थान हाई कोर्ट इस मुद्दे को स्वतः संज्ञान में ले चुकी है। हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर सरकार से जवाब भी माँगा है। सरकार से हाई कोर्ट को अभी तक इसका जवाब नहीं दिया गया है। जिसका विरोध भी भाजपा कर रही है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में लगे होने के कारण गहलोत सरकार इस मुद्दे को या तो हलके में ले रही है या इस पर ध्यान ही नहीं दे पा रही है और प्ररिपक्ष इस बात के इंतज़ार में है कि विधानसभा का सत्र शुरू होने पर इस मुद्दे को और हवा दी जा सके। इस पर बयान नहीं आने की एक और वजह ये भी हो सकती है कि राजनीति के जादूगर कहलाने वाले अशोक गहलोत इस समस्या का हल पहले ही ढूंढ चुके हैं, वो बस यात्रा के राजस्थान बॉर्डर से बाहर होने का इंतजार कर रहे हों।

फैंसल विधानसभा अध्यक्ष करेंगे या हाई कोर्ट?

विधायकों के इस्तीफे का मामला पूरी तरह से विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार में आता है। राजस्थान में अभी विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी है और इसी लिए सारी जनता और नेताओं, विपक्षियों की निगाहें सी पी जोशी पर टिकी हुई हैं। सब इसी इंतजार में नज़र आ रहे हैं कि सी पी जोशी विधानसभा सत्र शुरू होने के बाद इस मुद्दे पर क्या फ़ैसला जारी करते हैं और दूसरी तरफ विपक्ष अगर इस मामले को कोर्ट में ही निपटाने पर अड़ जाता है तो कोर्ट इस पर क्या रुख़ अपनाता हैं। प्रतिपक्ष कोर्ट में क्या टिपण्णी करता है और सत्ता पक्ष कैसे अपना दावा रखता है। फैंसले पर जो भी स्थिति बने उसकी तो तब की तब देखी जाएगी। पर अभी तो राजस्थान में कांग्रेस की स्थिती और सरकार अस्थिरता में दिखाई दे रही है। वैसे ज्यादा सम्भावना ये बनती है कि विधानसभा अध्यक्ष सारे के सारे इस्तीफे ना-मंज़ूर कर देंगे। पर इस पर भी विपक्ष स्पष्ट जवाब की उम्मीद और मांग तो करेगा ही।

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