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सचिन पायलट पर अटकलें तेज, सिंधिया-जितिन के BJP में शामिल होने से कांग्रेस पड़ी कमजोर
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी सचिन पायलट उनसे किए गए वादे 10 महीने बाद भी पूरे नहीं होने को लेकर नाराज चल रहे हैं।
नई दिल्ली: दिन-प्रति-दिन कांग्रेस पार्टी कमजोर पड़ती जा रही है। एक के बाद एक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की टीम का विकेट गिरता जा रहा है। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब जितिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा(BJP) का दामन थाम लिया है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी सचिन पायलट उनसे किए गए वादे 10 महीने बाद भी पूरे नहीं होने को लेकर नाराज चल रहे हैं। अब उनके समर्थन में पार्टी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह भी आ गए हैं।
कोई वादे नहीं हुए पूरे
जिसके चलते इस दौरान कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बढ़ गया है। दूसरी तरफ जितिन की खबर आने के बाद सचिन पायलट ट्विटर पर भी टॉप ट्रेंड में बने हुए हैं। लेकिन अब देखना ये है कि सचिन पायलट को पार्टी अपने साथ कैसे साधकर रखती है?
ऐसे में जितिन प्रसाद के भाजपा(BJP) में शामिल होते ही सचिन पायलट दल के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि कांग्रेस में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही है। सचिन पायलट के साथ जो वादे किए गए थे, उन्हें आज तक पूरा नहीं किया गया।
आगे उन्होंने कहा कि सुलह के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, उस कमेटी ने कोई बैठक नहीं की। हम लोग प्रियंका गांधी से दिल्ली में मिले थे, तब बात हुई थी कि हमारी सुनवाई होगी, लेकिन अभी तक हमें बुलाया नहीं गया। हम खुद दो बार दिल्ली जाकर अपना दर्द बताकर आए हैं, लेकिन कोई सुन नहीं रहा।
आपको बता दें कि बीते साल अगस्त में सचिन पायलट के नेतृत्व में राजस्थान के कई कांग्रेस विधायकों ने सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा उठा लिया था। उस समय दोनों गुटों के नेताओं ने कई दिन तक होटल में अपने समर्थक विधायकों को बंद रखा था।
पूरा हो गया आधा कार्यकाल
इसके अलावा सीएम गहलोत ने पायलट को डिप्टी सीएम पद से और उनके दो समर्थकों विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। वहीं गहलोत सरकार को अस्थिर देखकर बीजेपी भी सक्रिय हो गई थी, लेकिन हाईकमान के दखलनदाजी के बाद सचिन पायलट मान गए थे।
ऐसे में अब पायलट-गहलोत के बीच वर्चस्व की लड़ाई खत्म करने के लिए एक सुलह कमेटी बनाई गई है, लेकिन अभी तक न तो पायलट के जिन सहयोगियों को मंत्री पद से हटाया गया उन्हें सरकार में वापस लिया गया और न ही सुलह कमेटी के सामने रखी गई मांगों पर कार्रवाई हुई।
अब ऐसे में सचिन पायलट और उनके सहयोगियों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। जिसके चलते राजस्थान की राजनीति में अब 10 महीने बाद फिर से बगावत के सुर तेज हो रहे हैं।
इस बारे में सचिन पायलट ने मंगलवार को कड़े रूख में कहा कि 10 महीने हो गए हैं और उनसे किए वादे पूरे नहीं किए गए हैं। मुझे समझाया गया था कि सुलह कमेटी तेजी से एक्शन लेगी, लेकिन आधा कार्यकाल पूरा हो चुका है और वे मुद्दे अब भी अनसुलझे ही हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन कार्यकर्ताओं ने पार्टी को सत्ता में लाने के लिए रात-दिन मेहनत की और अपना सब कुछ लगा दिया, उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है।