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Sachin Pilot: सिंधिया व जितिन के बाद अब सचिन का नंबर! बागी तेवर के बाद पार्टी में रोक पाना बड़ी चुनौती

Sachin Pilot: सचिन पायलट भी 10 महीने पहले किए गए वादों को पूरा न किए जाने से सख्त नाराज हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Dharmendra Singh
Published on: 9 Jun 2021 7:51 PM IST
Sachin Pilot vs Ashok Gehlot
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एक प्रेस काॅन्फ्रेंस के दौरान सचिन पायलट (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

Sachin Pilot: पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी हाईकमान की चुनौतियां और बढ़ गई हैं। मध्य प्रदेश के जमीनी आधार वाले नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण चेहरे जितिन प्रसाद के बाद अब सबकी नजर राजस्थान के असंतुष्ट नेता सचिन पायलट पर टिक गई है।

सचिन पायलट भी 10 महीने पहले किए गए वादों को पूरा न किए जाने से सख्त नाराज हैं और उन्होंने अपनी नाराजगी का खुलकर इजहार किया है। पंजाब के बाद राजस्थान कांग्रेस का झगड़ा पार्टी हाईकमान के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। माना जा रहा है कि यदि हाईकमान की ओर से जल्द ही इस बाबत कदम नहीं उठाए गए तो सचिन पायलट भी अपने समर्थकों के साथ पार्टी को बड़ा झटका दे सकते हैं।

फिर खुलकर नाराजगी जता रहे हैं सचिन

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज चल रहे सचिन पायलट एक बार फिर खुलकर अपनी नाराजगी जताने लगे हैं। उनका कहना है कि विभिन्न मुद्दों को सुलझाने के लिए 10 महीना पहले तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था मगर अभी तक न तो कमेटी की रिपोर्ट आई है और न तो उनसे किए गए वादे पूरे किए गए हैं।
एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में पूर्व डिप्टी सीएम पायलट ने पार्टी की ओर से किए गए वादों को पूरा न करने पर सख्त नाराजगी जताई है। पायलट का कहना है कि मुझसे वादा किया गया था कि तीन सदस्यीय कमेटी तेजी से एक्शन लेगी मगर 10 महीने बीत जाने के बाद भी सारे मुद्दे अनसुलझे हैं और कमेटी की रिपोर्ट का कहीं अता पता नहीं है।

एक कार्यक्रम के दौरा राहुल गांधी से बात करते सचिन पायलट (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)
राजस्थान कांग्रेस में सुलग रही चिंगारी
राजस्थान में कांग्रेस को चुनाव जिताने में सचिन पायलट की प्रमुख भूमिका रही थी। कांग्रेस के चुनाव जीतने के बाद हाईकमान की ओर से मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत की ताजपोशी की गई। गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद शुरुआत से ही सचिन पायलट और उनके रिश्ते सहज नहीं थे। आखिरकार सचिन ने अपने समर्थक विधायकों के साथ पिछले साल बागी तेवर अपना लिया था।
कई दिनों तक चली खींचतान के बाद कांग्रेस हाईकमान की पहल पर सचिन और उनके समर्थक विधायक सुलह पर राजी हुए थे। असंतुष्ट नेताओं की शिकायतें दूर करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था मगर अभी तक पूरा मामला ठंडे बस्ते में ही पड़ा है और इसे लेकर राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर चिंगारी सुलगने लगी है।

पायलट के समर्थक विधायक भी नाराज

सियासी जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के सब्र का बांध अब धीरे-धीरे टूट रहा है। पायलट खेमे के कई विधायक हाईकमान की ओर से अभी तक कोई कदम न उठाए जाने से नाराज बताए जा रहे हैं। पंजाब के बाद राजस्थान कांग्रेस का यह झगड़ा आने वाले दिनों में हाईकमान के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है।
पायलट भी अब खुलकर अपने समर्थक विधायकों और कार्यकर्ताओं के मुद्दे उठाने लगे हैं। उनका कहना है कि पार्टी के लिए दिन रात मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं की कोई पूछ नहीं हो रही है। इन कार्यकर्ताओं के दम पर ही पार्टी ने सत्ता हासिल की थी मगर आज इन कार्यकर्ताओं की ही अनदेखी की जा रही है। हाईकमान को ऐसे कार्यकर्ताओं के बारे में सोचना चाहिए।

सचिन पायलट (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

सचिन पहले भी उठा चुके हैं सवाल

यह पहला मौका नहीं है जब सचिन पायलट ने सुलह कमेटी की रिपोर्ट को लेकर सवाल उठाए हैं। पायलट ने अप्रैल महीने के दौरान भी सुलह कमेटी की ओर से कदम उठाए जाने की उम्मीद जताई थी। उनका कहना था कि मुझे आशा है कि अब पार्टी हाईकमान की ओर से कोई देरी नहीं की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा था कि मुझे पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर पूरा भरोसा है और उनके आदेश पर ही कमेटी बनाई गई थी। जिन मुद्दों को लेकर आम सहमति बनी थी, उन पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।

राष्ट्रीय महासचिव का सचिन को समर्थन

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह भी खुलकर सचिन पायलट के समर्थन में आ गए हैं। उनका भी कहना है कि पार्टी हाईकमान को सचिन के साथ किए गए वादों को पूरा करना चाहिए ताकि पायलट अपने समर्थक विधायकों और कार्यकर्ताओं को संतुष्ट कर सकें। वैसे उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान में गहलोत सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन हाईकमान को पायलट से किए गए वादों पर भी गौर फरमाना चाहिए।

एक कार्यक्रम के दौरान प्रियंका गांधी (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)
प्रियंका गांधी ने नहीं पूरा किया वादा

जितिन प्रसाद के कांग्रेस में शामिल होने के बाद पायलट गुट के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने भी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का सवाल उठाया है। उन्होंने भी कहा है कि सचिन पायलट के साथ किए गए वादे आज तक पूरे नहीं किए गए और सुलह के लिए बनाई गई कमेटी की एक भी बैठक नहीं हुई। उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी की ओर से हमसे सुनवाई का वादा किया गया था, लेकिन अभी तक हमें अपनी बात रखने के लिए एक बार भी बुलाया नहीं गया।

सचिन के समर्थक विधायक का इस्तीफा

राजस्थान की सियासत के जानकारों का मानना है कि भले ही सूबे में ऊपर से माहौल शांत दिख रहा है मगर भीतर ही भीतर असंतोष की आग जल रही है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके समर्थकों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है।
पिछले महीने उनके समर्थक विधायक हेमाराम चौधरी ने अपने क्षेत्र के विकास के कामों की अनदेखी के विरोध में इस्तीफा दे दिया था। अब पायलट ने पार्टी हाईकमान को पूर्व में किए गए वादों की याद दिलाई है। देखने वाली बात यह होगी कि पायलट के बयान के बाद हाईकमान की ओर से क्या कदम उठाया जाता है।

एक बैठक के दौरान सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मनमोहन सिंह (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)
पिछले साल बनी थी सुलह कमेटी
पिछले साल सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खुलकर बगावत पर उतर आए थे। उन्होंने अपने समर्थक विधायकों के साथ कई दिनों तक होटल में डेरा डाल रखा था। उनके कई समर्थक विधायकों ने भी गहलोत के खिलाफ खुलकर बयानबाजी की थी।
बाद में कांग्रेस हाईकमान ने सचिन पायलट को मनाने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। समिति में अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल और अजय माकन को सदस्य बनाया गया था। समिति के एक सदस्य अहमद पटेल का देहांत हो चुका है।

अब हाईकमान के कदम पर सबकी नजर

पार्टी हाईकमान की ओर से पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाले जाने से अब राजस्थान में एक बार फिर सियासी माहौल गरमाता नजर आ रहा है। जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद अब सचिन पायलट के अगले कदम को लेकर सियासी हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि हाईकमान की ओर से राजस्थान का मसला सुलझाने के लिए कोई कदम उठाया जाता है या सचिन पायलट भी ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद के ही रास्ते पर चलकर पार्टी को बड़ा झटका देंगे।


Dharmendra Singh

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