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Rajasthan Politics: पायलट ताकत दिखाने की तैयारी में जुटे, गहलोत से फिर तनातनी बढ़ने के आसार
Rajasthan Politics: गहलोत और पायलट के बीच पैदा हुआ विवाद अभी तक सुलझ नहीं सका है। ऐसे में पायलट की ओर से सभाओं का आयोजन शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।
Rajasthan Politics: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच एक बार फिर तनातनी बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पूरे प्रदेश में सभाओं के जरिए अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। अगले सप्ताह किसान सम्मेलनों के जरिए वे अपनी ताकत दिखाने की शुरुआत करेंगे। पायलट खेमे की ओर से शेखावटी और मारवाड़ में होने वाले किसान सम्मेलनों की जोरदार तैयारियां की जा रही हैं।
गहलोत और पायलट के बीच पैदा हुआ विवाद अभी तक सुलझ नहीं सका है। ऐसे में पायलट की ओर से सभाओं का आयोजन शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी नेतृत्व ने भी राजस्थान के घटनाक्रम पर नजरें गड़ा रखी हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि पार्टी को मजबूत बनाने के लिए राजस्थान प्रकरण का समाधान जल्द कर लिया जाएगा।
पायलट की शक्ति प्रदर्शन की तैयारी
राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गहलोत और पायलट दोनों के साथ चर्चा की थी मगर फिर भी यह विवाद सुलझ नहीं सका है। दोनों खेमों के बीच अभी भी जोर आजमाइश की स्थिति बनी हुई है। ऐसे माहौल में सचिन पायलट एक बार फिर प्रदेश में अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। उनका इरादा पूरे प्रदेश में सभाएं करने का है। 16 से 19 जनवरी के बीच हनुमानगढ़, झुंझुनू, नागौर और पाली में उनकी सभाओं का आयोजन किया गया है।
पायलट खेमा इन सभाओं को कामयाब बनाने की तैयारियों में जुटा हुआ है। पायलट खेमे की ओर से पार्टी और संगठन को मजबूत बनाने के लिए इन सभाओं के आयोजन की दलील दी जा रही है। दूसरी ओर सियासी जानकारों का मानना है कि इन सभाओं के जरिए सचिन पायलट एक बार फिर अशोक गहलोत और पार्टी नेतृत्व को अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। इन सभाओं से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की दूरी को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
भाजपा के खिलाफ जवाबी रणनीति की दलील
पायलट खेमे का तर्क है कि राजस्थान में भाजपा को जवाब देने के लिए अभी से ही तैयारियां करना जरूरी है। भाजपा की चुनावी तैयारियों को देखते हुए कांग्रेस को भी जवाबी रणनीति अपनानी होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जल्द होने वाले राज्य के दौरे और भाजपा की चुनावी तैयारियों को देखते हुए कांग्रेस को भी सतर्क रहना होगा। पायलट खेमे की ओर से जिन इलाकों में सभाओं का आयोजन किया जा रहा है, उन्हें भाजपा का गढ़ माना जाता है।
ऐसे में पार्टी नेताओं का तर्क है कि पायलट की सभाओं और किसान सम्मेलनों से कांग्रेस को मजबूती मिलेगी। पायलट खेमे के नेताओं का कहना है कि राज्य में सत्ता को बचाए रखने के लिए अभी से ही जमीन पर उतरना होगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन दिनों राज्य का बजट बनाने में व्यस्त हैं। अशोक गहलोत की इन सभाओं से दूरी और पायलट की सक्रियता इन दिनों पार्टी में चर्चा का विषय बनी हुई है।
कांग्रेस नेतृत्व का संकट जल्द सुलझाने का दावा
कांग्रेस में पिछले साल सितंबर महीने में विधायकों के बागी तेवर के बाद स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे उस समय पार्टी के पर्यवेक्षक बनकर जयपुर पहुंचे थे। पार्टी नेतृत्व की ओर से कई विधायकों को नोटिस जरूर जारी किया गया था मगर अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हालांकि पार्टी नेतृत्व की ओर से लगातार विवाद के मसले को सुलझा लेने की बात कही जा रही है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा राजस्थान संकट सुलझाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद पार्टी को मजबूत बनाना है और इसे ध्यान में रखते हुए जल्द ही कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा।