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'एडॉप्शन' के बारें में सोच रहे हैं तो इन बातों का जरूर ध्यान रखें

जो कपल मां-बाप नहीं बन पाते हैं वे बच्चों को गोद लेना पसंद करते हैं और उनकी परवरिश करते हैं। लेकिन जाने-अनजाने में कुछ ऐसा होता हैं जिसकी वजह से गोद लिए हुए बच्चों के मन को तकलीफ होती हैं और उन्हें दर्द महसूस होता हैं। अगर आप भी बच्चा गोद लिए है तो इन बातों का ध्यान रखें।

suman
Published on: 29 April 2020 5:53 PM GMT
एडॉप्शन के बारें में सोच रहे हैं तो इन बातों का जरूर ध्यान रखें
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जयपुर:जो कपल मां-बाप नहीं बन पाते हैं वे बच्चों को गोद लेना पसंद करते हैं और उनकी परवरिश करते हैं। लेकिन जाने-अनजाने में कुछ ऐसा होता हैं जिसकी वजह से गोद लिए हुए बच्चों के मन को तकलीफ होती हैं और उन्हें दर्द महसूस होता हैं। अगर आप भी बच्चा गोद लिए है तो इन बातों का ध्यान रखें।

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*अधिकांश माता-पिता इस बात को महान मानते हैं कि वो बच्चे को कभी नहीं बताते हैं कि उन्होंने उसे गोद लिया हुआ है। जबकि ये बच्चे के लिए गलत साबित हो सकता है। बल्कि जितना जल्दी हो सके बच्चे को उसकी वास्तविकता के बारे में बताएं। इस तरह गोद लिया हुआ बच्चा सच्चाई जानने तक अपने जीवन के बेहतर हिस्से के लिए इस छलावे में नहीं रहेगा। हर वक्त बच्चों के प्रति सहानुभूति न दिखाएं

*हर समय गोद लिए हुए बच्चे के प्रति सहानुभूति ना दिखाएं। आपका काम स्वस्थ वातावरण बनाना और उसकी मानसिकता को मजबूत करना है। सहानुभूति देकर आप बस अपने दत्तक बच्चे को कमजोर बना रहे हैं। उन्हें एक सामाम्य जीवन जीने दें और अनावश्यक सहानुभूति से बचें।

* कभी भी बच्चे के सामने यह न कहें कि अगर उनका खुद का बच्चा होता तो वह बहुत ही खूबसूरत होता। ऐसा कहने से बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा अगर गोद लिए हुए बच्चे को इस बात का लगातार एहसास कराते हैं कि वह परिवार के अन्य सदस्यों से अलग दिखता है तो यह गलत बात है। बच्चा इसके प्रति संवेदनशील हो सकता है।

*कभी भी गोद लिए हुए बच्चे को इस बात का एहसास न होने दें कि अगर आपने उसे गोद नहीं लिया होता तो उसका कोई नहीं होता। इससे बच्चे के दिल को चोट पहुंच सकती है। इसके अलावा हमेशा उसके सामने यह बात न कहें कि जबसे आपने बच्चे को गोद लिया है आपकी जिंदगी में सबकुछ सही हो गया है।

ऐसे ले सकते हैं गोद

बच्चे को गोद लेकर उसे नई जिंदगी देना और उसका भविष्य संवारने से बढ़कर पुण्य का काम और कुछ नहीं हो सकता। अगर आप भी बच्चा गोद लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि किस बच्चे को आप गोद ले सकते हैं। नीचे हम आपको बताएंगे किन बच्चों को गोद लिया जा सकता है एक अनाथ, परित्यक्त (छोड़े हुए) व ऐसा बच्चा जिसे कानूनी रूप से गोद लेने के लिए बाल कल्याण समिति ने मुक्त घोषित किया हो।

किसी एक रिश्तेदार का बच्चा। यहां रिश्तेदार का मतलब पैतृक और मातृक पारिवारिक सदस्यों से है। आप ऐसे बच्चे को भी गोद ले सकते हैं, जिन्हें उसके जैविक माता-पिता, सौतेले माता-पिता या दूसरी शादी होने पर छोड़ दिया गया हो।

भारत में कानूनी रूप से बच्चे को गोद लेने के लिए ये सब लोग पात्र हैं-भारतीय निवासी, भारत में रहने वाले विदेशी ,एनआरआई/ओसीआई/विदेश में रहने वाले विदेशी,रिश्तेदार, सौतली मां या बाप।

विवाहित और अविवाहित भी इन नियमों के साथ ले सकते हैं गोद

विवाहित- 2 साल का स्थिर वैवाहिक संबंध (शादी)।बच्चे को गोद लेने के लिए पति-पत्नी दोनों की सहमति होना भी अनिवार्य है।विवाहित युगल की कुल आयु 110 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

अविवाहित- आप बिना विवाह किए ही या अपने जीवन साथी से अलग होने के बाद बतौर सिंगल पेरेंट बच्चे का भरण-पोषण करने के लिए उसे गोद ले रहे हैं, तो भी आपको इन शर्तों को पूरा करना जरूरी है। एकल माता-पिता यानी सिंगल पेरेंट की आयु 55 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। अगर आपके दो या दो से कम बच्चे हैं, तो ही आप एक और बच्चे को गोद ले सकते हैं। हालांकि, अगर आप स्पेशल चाइल्ड, रिश्तेदार का बच्चा या सौतेले बच्चे को गोद ले रहे हैं, तो आप तीन बच्चे होने के बावजूद भी एक और बच्चा ले सकते हैं।अकेली महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है।अविवाहित, अकेला या तलाकशुदा पुरुष लड़की को गोद नहीं ले सकता।

बता दें कि भारत निवासी माता-पिता, एनआरआई, विदेशी, रिश्तेदारों और सौतेली मां या बाप सभी के लिए बच्चा गोद लेने की पात्रता एक ही है। बस भारत के अस्थायी निवासी (NRI) व विदेशी लोगों के लिए बच्चा गोद लेने से पहले, वो जिस भी देश में रहे हैं, वहां कम से कम उनका दो साल पूरे करना अनिवार्य है।

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भारत में गोद लेने की प्रक्रिया?

अगर एक ऐसे बच्चे को अपनाना चाहते हैं, जो दुर्भाग्यवश अपनों से बिछड़ गया हो या अनाथ हो, तो बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को जान लेना चाहिए।

पंजीकरण : सबसे पहले आपको बच्चे को गोद लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।

दस्तावेज : सभी दस्तावेजों की सही जानकारी

होम स्टडी (गृह अध्ययन) : सभी जरूरी दस्तावेज अपलोड करने के बाद अपके घर की स्टडी की जाएगी, जिसे होम स्टडी कहा जाता है। इस दौरान स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी द्वारा समाजसेवी को आपके घर की पूरी तरह स्टडी करके केयरिंग (रजिस्ट्रेशन पोर्टल) में रिपोर्ट जमा करेंगे।

बच्चे का चुनाव : भावी दत्तक माता-पिता द्वारा भरे गए फॉर्म में भरी गई प्राथमिकताओं के आधार पर आपको गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त बच्चे का प्रोफाइल दिखाया जाएगा। बच्चों की प्रोफाइल देखने के 48 घंटे के अंदर एक बच्चे को आपको रिसर्व करना होगा। इसके बाद कोर्ट का आदेश। फिर बच्चा भावी पैरेंट्स का होता है।

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