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Impact Of Technology In Relationships: तकनीक ने बदल दिए रिश्तों के मायने, जानें इसके साइड इफेक्ट
Impact Of Technology In Relationships: आज माता-पिता, पति-पत्नी, बच्चे या फिर दोस्त, नाते रिश्तेदार सभी टेक्नोलॉजी में जी रहे हैं।
Impact Of Technology In Relationships: आज माता-पिता, पति-पत्नी, बच्चे या फिर दोस्त, नाते रिश्तेदार सभी टेक्नोलॉजी में जी रहे हैं। हम सभी टेक्नोलॉजी में इस कदर फंस गए हैं कि अपनों से ही बात करने में कतराते हैं। कभी कभी चाहते हुए भी इससे निकल नहीं पाते हैं। पहले की अपेक्षा आज रिश्ते इतने मजबूज नहीं रहे हैं। आज के दौर में ये आलम है कि हम अपने ही रिश्तेदारों और परिवार वालों से दूर रहने लगे हैं।
और अगर टेक्नोलॉजी का दूसरा पहलू देंखें तो इसने हमे जवन में आगे बढ़ना सिखाया, कुछ नया करना सिखाया। रोजगार भी इसी टेक्नोलॉजी से बढ़े हैं। तकनीक के चलते ही आज रिश्तों में बहुत सी ऐसी चीजें संभव हो पाईं हैं जिनकी पहले कल्पना भी नहीं जा सकती थी। पहले ढंकी-छुपी रहने वाली रिश्तों की निजता अब एक पल में सार्वजनिक हो जाती है। तकनीक ने बेडरूम तक में ताक-झांक को बढ़ा दी है। बेशक, इससे जहां रिश्तों में पारदर्शिता आई वहीं एक-दूसरे को धोखा देने, शक करने के मामले भी बढ़ गए। तो आइए जानते हैं कि तकनीक ने कैसे रिश्तों की दुनिया बदल कर रख दी है
तकनीक के साइड इफेक्ट
- आज सोशल साइट्स पर एक्टिव रहना, स्टेटस अपडेट करते रहना, हर किसी का पैशन बनता जा रहा है।. इसका साइड इफेक्ट यह है कि आज हमारे पास अपनों से बात करने उन्हें समय देने तक का मौका नहीं है।
- आजकल पति-पत्नी दोनों ही वर्किंग हैं। तो वैसे ही वे एक-दूसरे को समय कम दे पाते हैं। और उसमे भी जो समय मिलता है वो सारा सोशल मीडिया या और चीजों में चला जाता है। जिससे पति पत्नी के रिश्ते में वो बात नहीं आ पाती पहले हम आने परिचार में देखते थे।
- आज बच्चों के पास तो हमसे ज्यादा वक्त नहीं है। और आज के बच्चे तो रिश्ते की ए बी सी डी भी नहीं जानते। क्योंकि पैदा होते ही वो मोबाइल या अन्य गैजेक्टस पा जाते हैं। आज के बच्चों के पास पैरेंट्स ही नहीं, अपने ग्रैंड पैरेंट्स के लिए भी बिल्कुल समय नहीं है। वे अपने स्कूल-कॉलेज, पढ़ाई, दोस्तों के बाद जो भी व़क्त मिलता है, उसे घंटों सेल फोन पर गेम्स खेलने, कंप्यूटर पर सर्फिंग करने, चौटिंग करने आदि में बिताते हैं।
- अब तो आलम यह है कि रात को सोने से पहले और सुबह उठने पर बिना अपने सेल फोन पर मैसेज देखे, दोस्तों व सोशल गु्रप्स को 'गुड मॉर्निंग' कहे बगैर दिन की शुरुआत ही नहीं होती।
- शादी ब्याह के कार्ड भी इंटरनेट के माध्यम से दिए जाते हैं। और लोगों की अब ये धारणा हो गयी है कि जितने कम लोग आएं फंक्शन में उतना ही अच्छा है। एक ज़माना था, जब शादी के निमंत्रण कार्ड दूर तो नहीं, पर क़रीबी रिश्तेदारों को पर्सनली मिलकर मिठाई के साथ दिए जाते थे। पर अब तो ईमेल और सोशल साइट्स के ज़रिए ही इन्वाइट कर दिया जाता है। सफ़ाई यह दी जाती है कि इससे व़क्त, पैसे और ग़ैरज़रूरी परेशानी से बच जाते हैं।
- आज की युवा पीढ़ी का मानना है कि टेक्नोलॉजी न केवल आपको सहूलियत देती है, बल्कि आपका स्टेटस भी मेनटेन करती हैै।
ऐसे बचें टेक्नोलॉजी एडिक्शन से
- टेक्नोलॉजी को अपनाना गलत नहीं है पर एक लिमिट में करना सही है। आप ये नहीं कि उसी में बिजी हो जाएं, गैजेट के साथ साथ फैमिली को भी देखें।
- आज की दौर में टाइम मैनेजमेंट बहूत जरूरी है। सेल फोन का अधिक इस्तेमाल, नेट पर सर्फिंग करना, लैपटॉप पर चौटिंग करना इत्यादि बातें ग़लत नहीं हैं पर इसका एडिक्ट हो जाना गलत है। इसलिए अपना रोज़ का शेड्यूल कुछ इस तरह बनाएं कि इन सब बातों को व़क्त देने के साथ-साथ अपनों के साथ भी क्वॉलिटी टाइम बिता पाएं।
- आजकल अक्सर देखा जाता है कि जीवनसाथी आपको अपनी ऑफिस से जुड़ी कोई समस्या बता रहा हो और आप सेल फोन पर चौटिंग करने में मशगूल हैं। बस इन्हीं चीजों से आपको बचना है।
- आप अपने बच्चों को समय दें, बच्चों से पूरे दिन के बारे में पूछें। उनके साथ समय बिताएं, खेलें। दादा दादी, नाते रिश्तेदारों की अहमियत बताएं। बच्चों को गेजेक्ट्स देने से बचें।
- घर का एक नियम जरूर बनाएं कि चाहे सुबह का नाश्ता, दोपहर या शाम का खाना हो, कोई भी एक समय पूरा परिवार साथ मिलकर खाएं और क्वॉलिटी टाइम बिताएं, एक-दूसरे की दिनभर की एक्टिविटीज़ को जानें-समझें, तो इससे रिश्ते तो मजबूत होगों ही बल्कि आपको भी बहुत अच्छाा लगेगा।