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Parent-Child Relationship Tips: क्या आपका बच्चा भी बात-बात पर उठता है हाँथ, जानिए कैसे रोक सकते हैं आप उन्हें
Parent-Child Relationship Tips Tips in Hindi: कुछ चीज़ों को अपनाकर आप भी अपने बच्चे के मार पीट के व्यवहार पर नियंत्रण पा सकते हैं। आइये जानते हैं क्या है वो आसान से टिप्स।
Parent-Child Relationship Tips Tips in Hindi: माता पिता के सामने अक्सर ये सवाल खड़े होते हैं कि वो अपने बच्चों की परवरिश सही से कर पा रहे हैं या नहीं। आजकल के बच्चों में गुस्सा आना और माता पिता पर अपनी झुंझलाहट निकालना आम बात है। वहीँ आवेग नियंत्रण की कमी के कारण टॉडलर्स दूसरों को मार भी देते हैं। लेकिन कुछ चीज़ों को अपनाकर आप भी अपने बच्चों के इस व्यवहार पर नियंत्रण पा सकते हैं।
छोटे बच्चे क्यों मारते हैं?
कई बार माता पिता को बच्चो की कुछ हरकतों से कई बार शर्मिंदा होना पड़ता है। जब वो दूसरों को खेल के मैदान या डे केयर पर किसी को मारते हैं। वहीँ आपके ज़हन में अक्सर ये सवाल उठता होगा कि इस समस्या को हल करने के लिए आप क्या करें। साथ ही दूसरी ओर, आपका बच्चा अचानक आपको, या किसी भाई-बहन को मार देता है, और इससे आप काफी निराशा से भर जाते हैं ये सोचकर कि कहीं आपने कुछ गलत तो नहीं किया है। लेकिन आप इस बात से निश्चिंत रहें, आप इस समयसा का हिस्सा अकेले नहीं हैं, और चाहे आपका बच्चा आपको मार रहा हो या दूसरों को, समस्या को हल करने के लिए आप स्पष्ट कदम उठा सकते हैं। इसके पहले ये भी जान लीजिये कि बच्चे आखिर मारते क्यों हैं।
बच्चों के कई तरह के व्यवहार से आप निराश महसूस करते हैं। कभी कभी वो बेवजह भी हाँथ उठा देते है और कई बार उनकी किस बात को न मैंने पर वो काफी हिंसक हो जाते हैं। ऐसे में आपको बच्चों की मनः स्थिति भी समझनी होगी।
उन्होंने आत्म-नियंत्रण विकसित नहीं किया है
कई बार बच्चे अपनी झुंझलाहट को व्यक्त करने के लिए हाथ पैर चलते हैं। बच्चे जब आप पर हाँथ उठाये तब आप पलट कर उन्हें न मारे बल्कि उन्हें समझने का प्रयास करें। बच्चे आप से ही चीज़ें सीखते हैं फिर चाहे वो अच्छी हो या बुरी। अब ये आप पर निर्भर करता है कि आपका व्यवहार सबके और बच्चे के साथ कैसा है।
वे नहीं समझते कि ये बुरा है
यह भी सच है कि बच्चे कभी-कभी दूसरों द्वारा उकसाए बिना बल का प्रयोग करते हैं, वो बस देखना चाहते हैं कि क्या होगा, और अभी तक उनमे नैतिक दिशा या समझ विकसित नहीं हुई है कि वो समझ सकें कि वो दूसरों को चोट पहुंचा सकते हैं।
वैज्ञानिकों ने 11 से 24 महीने के बच्चों में इस घटना का अध्ययन किया है और निष्कर्ष निकाला है कि ज्यादातर मामलों में, बच्चे दूसरों को मारते समय संकट में नहीं थे।