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Mother’s Day 2020: निश्छल, निर्मल प्रेम की मूर्ति है मां, इनको करो हर दिन नमन

मां का जिक्र आते ही जहन में इतनी करूण तस्वीर उभरती है कि इसका जिक्र करना भी मुश्किल होता है। मां का तो कद ईश्वर से भी बड़ा है। मां के ममत्व की तुलना शायद ही किसी से हो। मां सिर्फ मां होती है उसके जैसा ना कोई दूसरा है ना कभी होगा,

suman
Published on: 7 May 2020 11:09 PM IST
Mother’s Day 2020: निश्छल, निर्मल प्रेम की मूर्ति है मां, इनको करो हर दिन नमन
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जयपुर: मां का जिक्र आते ही जहन में इतनी करूण तस्वीर उभरती है कि इसका जिक्र करना भी मुश्किल होता है। मां का तो कद ईश्वर से भी बड़ा है। मां के ममत्व की तुलना शायद ही किसी से हो। मां सिर्फ मां होती है उसके जैसा ना कोई दूसरा है ना कभी होगा,क्योंकि मां तो सिर्फ एक ही होती है। मां का प्यार ही ऐसा होता है कि जिसके वात्सल्य के लालच में ना जाने भगवान ने खुद कितने जन्म लिए है। एक मां को पाने के लिए 10 जन्म भी लेना पड़े तो वो कम है जो मां, अपनी औलाद के लिए करती है वो शायद ही कोई और करे।

तभी तो कहा गया है- पुत्र कुपुत्र भले ही हो,पर माता नहीं होती कुमाता। बच्चे के लिए मां हर दुख सह लेती है। हर दोष उठा लेती है और आह तक नहीं भरती है। दोपहर की चिलचिलाती हुई धूप और बच्‍चा बाहर खेलने की जिद करे, तो ऐसी कोई मां नहीं होगी जो बच्‍चे को धूप में खेलने की इजाजत देगी। मां कभी नहीं कहती कि पहली बारिश में नहा लो, क्‍योंकि वो कभी नहीं चाहती कि उसका बच्‍चा दिन भर बिस्‍तर पर पड़ा दवाइयां खाता रहे।

ज्यादातर मां कहा करती है बेटा सो जाओ, नहीं तो भूत आ जाएगा, तो उसका मकसद सिर्फ बच्चे को सुलाना होता है। हालांकि समय के साथ बहुत कुछ बदल रहा है, आज की मां सुपर मॉम हो गई है। साड़ी से हटकर जींस टॉप पर आ गई है, लेकिन जो नहीं बदला है वो है मां बच्‍चे का रिश्‍ता। इस बार मदर्स डे पर हम बात करेंगें, कैसे मां ने जिंदगी को बदला और हमें आगे बढ़ने की राह दिखाई।

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हमें कभी ये नहीं नहीं भूलना चाहिए कि आज जो कुछ भी कर रहे हैं, वो केवल अपनी प्‍यारी मां की बदौलत। एक सच्‍ची मार्गदर्शक होती है मां। मां एक ऐसा शाश्‍वत शब्‍द है जिस पर कोई बच्‍चा बिना सोचे समझे आंख मूंद कर विश्‍वास करता है, क्‍योंकि उसे पता होता है कि उसकी मां उससे कभी झूठ नहीं बोलती है।

झूठ को सच में बदल देती है मां

हमारे संस्कारों में मां का गुण होता है अगर हम अच्छा करते है तो अपनी मां की वजह से, बुरा करते है तो मां की वजह से, क्योंकि जीवन का असली पाठ तो मां ही पढ़ाती है। कोई भी मां नहीं चाहती होगी कि उसका बच्‍चा आगे चल कर क्रूर, निर्दयी और बुरा बने, इसके लिए मां मंत्र और कहानियां सुना कर बच्‍चों को प्रेम का पाठ पढ़ाती है। कुछ बच्‍चे बड़ों के प्रति अभद्र व्‍यवहार करते हैं तो मां ही उसे अच्छा व्यवहार करने की आदत डालती है।

क्‍योंकि बच्‍चे जो कुछ देखते हैं वही दूसरों के साथ करते हैं। बुरी आदतें वर्तमान में वीडियो चैटिंग, फेसबुक के बेतहाशा और बेखौफ इस्‍तेमाल ने बच्‍चे को एकाकी और कमरों में बंद होकर रह जाए। कोई भी मां नहीं चाहेगी कि उसका बच्‍चा फेसबुक पर वीडियो चैटिंग करे और अव्यवहारिक हो जाएं।

मां के डांट में भी प्यार का रस

आज कल हर बच्‍चे में जंक फूड खाने का चस्‍का रहता है, लेकिन हर मां की यही ख्‍वाहिश होती है कि वो अपने बच्‍चे को उससे दूर रखे और उसे पौष्टिक खाना खिलाए। वो हमेशा बच्‍चों को समय पर स्‍कूल का काम करने और नियमित अध्‍ययन के लिए प्रेरित करती है और वक्‍त आने पर डांटती भी है।

एक मां अपने बच्‍चे को पढ़ाई का महत्‍व बताती है और एक अच्‍छा इंसान बनने की प्रेरणा देती है। मां अपने बच्‍चे के जीवन के हर मोड़ पर मुश्‍किल का सामना करना सिखाती है और अपनी जिंदगी से डर को भगाते हुए हर चुनौती का सामना करने को तैयार करती है।

बड़ा होने पर भी कई बार मां बच्‍चों को सही समय पर खाने और समय पर घर आने के लिए कहती रहती हैं। मां कभी नहीं कहती कि तुम तेज गाड़ी चलाओ या तुम क्‍लब या बार जाओ। हर मां चाहती है कि उसका बच्‍चा वो मुकाम हासिल करें जिससे वो दूसरों के सामने गौरव महसूस कर सके।

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जब मां इतना करती त्याग हम बच्चे क्यों है पीछे

इस मदर्स डे पर अगर हम सबको अपनी मां के लिए कुछ करना है तो ये सकंल्प करें कि मां को कभी कष्ट नहीं देंगे। उसके दूध का कर्ज उतारने के लिए उसे किसी वृद्धा आश्रम में नहीं छोड़ेंगे। पत्नी के आने पर मां को नहीं भूलेंगे, क्योंकि ये कभी नहीं भूलना चाहिए को हम जो कुछ है उस जन्मदात्री की वजह से ही है।

सबको ये हमेशा याद रखना चाहिए कि मां ने हमे उस वक्त संभाला होगा, जब हम अपने कदमों पर सही से खड़े भी नहीं हो पाते होंगे। मां का सहारा बनकर हमने चलना सीखा होगा। जब उसी को सहारे की जरुरत पड़े तो कभी भी बेसहारा मत करना। मां का कर्ज कभी भी कोई नहीं चुका सकता है।

लेकिन उससे छोटी-छोटी खुशियां देकर खुश किया जा सकता है क्योंकि केवल एक मां ही है जो अपने औलाद से केवल प्यार के सिवा कुछ नहीं चाहती और अगर उसे ये भी ना मिले, तब भी औलाद का भला ही चाहती है तो इस निश्छल,निर्मल प्रेम की मूर्ति को केवल एक दिन नहीं, हर दिन करों नमन और याद।

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