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Parenting Tips: अगर आपके बच्चे को भी तुरंत आता है गुस्सा, तो ये टिप्स आपके लिए हो सकती हैं उपयोगी
Parenting Tips: आजकल के इस स्मार्ट युग में बच्चे उम्र से ज्यादा समझदार हो गए हैं। ऐसे में अभिभावकों के सामने बच्चों की सही पेरेंटिंग अपने आप में एक बड़ा टास्क है।
Parenting Tips: बच्चे ही हमारी आने वाली पीढ़ी के मज़बूत पायदान है। इसलिए इनकी परवरिश ऐसी होनी चाहिए कि आगे चलकर ये बच्चे एक अच्छे इंसान और ज़िम्मेदार नागरिक बन सकें। हर अभिभावक के लिए बच्चों का सही पालन पोषण पहली प्राथमिकता होती है। लेकिन सही और अच्छी पेरेंटिंग अपने आप में एक बहुत बड़ा चैलेंज है। आजकल के इस स्मार्ट युग में बच्चे उम्र से ज्यादा समझदार हो गए हैं। मोबाइल , टीवी और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म ने बच्चों को वक़्त से पहले ही बड़ा कर दिया है। ऐसे में अभिभावकों के सामने बच्चों की सही पेरेंटिंग अपने आप में एक बड़ा टास्क है।
अभिभावक बच्चों हर की ख्वाहिश पूरी कर उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन बावजूद इसके कुछ बच्चे स्वभावतः बेहद गुसैल होते हैं। ऐसे में कई बार पेरेंट्स अपने बच्चे को सही रस्ते पर लाने के लिए डांट और गुस्से का सहारा भी लेते हैं। लेकिन मनोवैज्ञानिकों के अनुसार गुसैल बच्चों को हैंडल करने के लिए हमेशा शांत दिल और दिमाग रखना उचित होता है। अगर आपका बच्चा अधिक गुस्सा करता है तो सबसे पहले उसकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें।
कई बार अधिक गुस्सा करने वाले बच्चे अकसर अपनी मन की उदासी खुलकर बताने में असक्षम हो सकते हैं। ऐसे में वो किसी बात पर गुस्सा करके अपनी प्रतिक्रिया प्रकट करते हैं। लेकिन, किसी भी बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए हर वक्त गुस्सा करना न तो उनकी सेहत के लिए अच्छा है और न ही उसके भविष्य के लिए। ऐसे में अभिवावकों की ये गहरी ज़िम्मेदारी हो जाती है कि वो अपने बच्चे के अंदर से उनका गुसैल स्वाभाव निकलवा पाएं। जो वाकई में बेहद मुशिकल है परन्तु असंभव नहीं। इसके लिए कुछ जरुरी बातों का ख़याल रखना आवश्यक है।
गुस्से को कंट्रोल करना सिखाएं
सबसे पहले आप बच्चे को अपने गुस्से पर कंट्रोल पाने की तरकीब सिखाएं। जैसे ज्यादा गुस्सा आये तो थोड़ी देर आसमान की तरफ देख लो , या बागवानी करने लगो अन्यथा उसी समय किसी अन्य काम को निपटाने में लग जाओ। जिससे गुस्से वाली बात से बच्चे का ध्यान डाइवर्ट हो सके और वो जल्दी शांत हो जाए।
भावनाओं का अहसास है बेहद जरुरी
अपनी भावनायें बच्चे के प्रति उनसे खुलकर शेयर करें। साथ ही बच्चे की कोमल भावनाओं को भी समझने के लिए खुद भी उनके साथ दोस्त की तरह व्यवहार करें। ताकि बच्चा कम्फर्टेबले होकर आपसे अपने दिल की बात बता सके।
बच्चे को गुस्से से नहीं बल्कि प्यार से समझाएं
बच्चा जब गुस्सा करें तो उसका जवाब गुस्से से ना दें। इससे दोनों तरफ मात्र गुस्सा हावी होगा और बच्चा आपको अपने दिल की बात भी नहीं बता पायेगा। अगर किसी बात पर आपका बच्चा गुस्सा है तो उससे उसकी परेशानी पूछकर प्यार से समझाएं। इससे उसका गुस्सा कम हो जायेगा।
जिद्दी ना बनने दें
बच्चे को ज़िद्दी बनने से रोकना हर अभिभावक की ज़िम्मेदारी है। कई बार बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए ज़िद्द करने पर उतारू हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें प्यार से समझाना और उनकी मनःस्थिति को जानना एक अच्छी पेरेंटिंग की निशानी होती है। बच्चे के मन में इस बात को गहराई से पनपने ना दें कि ज़िद्द करके वो कुछ भी पा सकता /सकती है। बच्चे को समझने के लिए उसके साथ दोस्ताना व्यवहार रखना बेहद जरुरी है।
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