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Income Tax Exemption: इस राज्य के लोगों को नहीं भरना पड़ता इनकम टैक्स, जानें क्यों मिली है छूट
Income Tax Exemption: उत्तर – पूर्वी राज्य सिक्किम के लोगों के बीच इनकम टैक्स जमा करने को लेकर कोई आपाधापी नहीं होती क्योंकि उन्हें ये टैक्स भरना नहीं होता है।
Income Tax Exemption: अगर आप आयकर के दायरे में आते हैं, तो आपके लिए इनकम टैक्स भरना अनिवार्य होता है। विभाग की ओर से समय-समय पर रिमाइंडर भी भेजे जाते हैं। टैक्स की चोरी करना या इसे ना भरना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए लोग सबकुछ छोड़कर सबसे पहले आयकर जमा करते हैं। हाल ही में जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट के दौरान 7 लाख तक की छूट की घोषणा की थी तो टैक्सपेयर्स काफी खुश हुए थे। लेकिन देश में एक राज्य ऐसा है, जहां के लोगों के लिए वित्त मंत्री की इस घोषणा का कोई मतलब नहीं है।
जी हां, उत्तर – पूर्वी राज्य सिक्किम के लोगों के बीच इनकम टैक्स जमा करने को लेकर कोई आपाधापी नहीं होती क्योंकि उन्हें ये टैक्स भरना नहीं होता है। भारत का संविधान उन्हें आयकर के दायरे में आने से छूट प्रदान करता है। भले ही उनकी कमाई करोड़ों में हो लेकिन केंद्र सरकार एक रूपया उनसे उनकी कमाई पर टैक्स के रूप में वसूल नहीं सकती। ये स्पेशल ट्रीटमेंट पूर्वोतर भारत के बाकी राज्यों को भी नहीं मिलता। तो आइए जानते हैं सिक्किम के लोगों को मिलने वाली इस स्पेशल ट्रीटमेंट की वजह।
क्यों दी गई छूट ?
आजादी के दौरान देश के कई अन्य रियासतों की तरह सिक्किम भी एक स्वतंत्र रियासत हुआ करती थी। यहां चोग्याल राजवंश का शासन हुआ करता था। आजादी के तुरंत बाद इसका भारत में विलय नहीं हुआ था। लेकिन साल 1950 में इस दिशा में कार्रवाई शुरू हुई। भारत-सिक्किम शांति समझौते के तहत सिक्किम भारत के संरक्षण में आ गया। 25 साल बाद यानी 1975 में सिक्किम का भारत में पूर्ण रूप से विलय हो गया। भारत में विलय के शर्तों में सिक्किम की स्थानीय जनता को इनकम टैक्स छूट मिलने की शर्त भी शामिल थी। इस शर्त को ध्यान में रखते हुए आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 (26एएए) में राज्य के लोगों को आयकर जमा करने से छूट प्रदान की गई।
मूलनिवासियों को ही मिलेती है छूट
आयकर जमा करने में मिली छूट का लाभ सिक्किम की पूरी जनता के लिए नहीं है। यह छूट केवल उन्हीं लोगों के लिए जो राज्य के मूलनिवासी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल 1975 यानी विलय से एक दिन पहले सिक्किम में रहने वाले लोगों को राज्य का मूल निवासी माना है। इसमें भारतीय मूल के लोग भी शामिल हैं। इसलिए राज्य की 95 प्रतिशत आबादी इस छूट के दायरे में आती है। बता दें कि पूर्वोतर भारत की जनजातिय संस्कृति की रक्षा करने के लिए देश का संविधान उन्हें आर्टिकल 71ए के तहत विशेष दर्जा देता है। इसके तहत देश के दूसरे हिस्से के लोग यहां कोई संपत्ति या जमीन खरीद नहीं सकते हैं।