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अपना मंगलसूत्र बेच इस महिला ने बनवाया शौचालय, स्वच्छता का दूत बन कायम की मिसाल

कहते हैं कि गर ठान लो तो कोई काम नामुमकिन नहीं होता है। अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और मजबूत संकल्प के दम पर कानपुर की एक दलित महिला ने सपने को साकार कर दिखाया। कानपुर के बिधनू ब्लॉक के बिधनू गांव में रहने वाली लता देवी दिवाकर ने पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रभावित होकर पैसे न होने के बावजूद अपना मंगलसूत्र, कान के झुमके (जो मुझे मेरी सास ने दिए थे) और एक भैंस के बछड़े को बेच दिया और इसी साल मई महीने में अपने घर में एक शौचालय का निर्माण कराया। लता के इस सराहनीय कार्य के लिए उन्हें 17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर एक कार्यक्रम के दौरान गोल्ड मैडल, दो लाख रूपए का चेक और शॉल देकर सम्मानित भी किया गया।

tiwarishalini
Published on: 5 Oct 2016 1:09 PM GMT
अपना मंगलसूत्र बेच इस महिला ने बनवाया शौचालय, स्वच्छता का दूत बन कायम की मिसाल
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pm-modi स्वच्छता के लिए काम करने पर लता को किया गया सम्मानित

कानपुर : कहते हैं कि गर ठान लो तो कोई काम नामुमकिन नहीं होता है। अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और मजबूत संकल्प के दम पर कानपुर की एक दलित महिला ने अपने सपने को साकार कर दिखाया। कानपुर के बिधनू ब्लॉक के बिधनू गांव में रहने वाली लता देवी दिवाकर ने पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रभावित होकर पैसे न होने के बावजूद अपना मंगलसूत्र, कान के झुमके और एक भैंस के बछड़े को बेच दिया और इसी साल मई महीने में अपने घर में एक शौचालय का निर्माण कराया। लता के इस सराहनीय कार्य के लिए उन्हें 17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर एक कार्यक्रम के दौरान गोल्ड मैडल, दो लाख रूपए का चेक और शॉल देकर सम्मानित भी किया गया।

कौन कौन है लता के परिवार में ?

गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली लता के परिवार में तीन बेटियां कंचन, लक्ष्मी और शारदा हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। जबकि बेटा अभी 10 वीं क्लास में पढ़ता है। लता के पति बाबू राम मजदूरी कर घर का पालन पोषण करते हैं और लता कपड़े धोने और प्रेस का काम करती हैं।

शौचालय बनवाने के लिए नहीं थे पैसे

लता कहती हैं कि वह बचपन से ही बहुत मेहनती और संघर्षशील रही हैं। पैसे ना होने के कारण वह पढ़ लिख नहीं पाई। लता के मुताबिक, उनका सपना था कि उनके घर में भी शौचालय हो लेकिन तीन बेटियों की शादी करनी थी जिसकी वजह से वह इसके लिए कभी पैसा नहीं जोड़ पाईं।

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शौच के लिए बाहर जाने पर लगता था डर

लता कहती हैं कि जब बेटियां घर के बाहर शौच के लिए जाती थीं तो हर वक्त चिंता बनी रहती थी कि कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए। जब भी उनका परिवार घर से बाहर शौच के लिए जाता तो उन्हें शर्म का सामना करना पड़ता था। उन्होंने कई बार अपने पति से शौचालय बनवाने के लिए जिद की, लेकिन पैसे की कमी की वजह से शौचालय नही बनवा पा रहे थे।

पीएम मोदी से मिली प्रेरणा

लता ने बताया कि जब उन्होंने टीवी पर पीएम नरेंद्र मोदी को स्वच्छता अभियान चलाते और घर-घर शौचालय की बात कहते हुए देखा तभी उन्होंने ठान लिया कि अब चाहे कुछ भी हो उन्हें अपने घर में शौचालय का निर्माण करवाना है। लता कहती हैं कि शौचालय बन जाने के बाद उन्हें बहुत खुशी हुई। वह कहती हैं कि घर में शौचालय ना होने के कारण जिन दिक्कतों का सामना मैंने किया अब वह मेरी बहु और मेरी आने वाली पीढ़ी नहीं करेगी।

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अब लता सबको कर रही हैं जागरूक

लता के मुताबिक, उन्होंने अपनी तीनों बेटियों की शादी से पहले यह पता कर लिया था कि उनके घर में शौचालय है या नही। उनकी बेटियों के लिए कई ऐसे रिश्ते आए जिनके घर में शौचालय नहीं था। इसपर लता ने उनका रिश्ता ठुकरा दिया और घर में शौचालय का निर्माण करवाने की नसीहत दी। लता कहती हैं कि अब वह और लोगों को भी शौचालय निर्माण के लिए प्रेरित करती हैं। वह कहती हैं कि उनकी प्रेरणा से अब तक दो दर्जन से अधिक लोग शौचालय का निर्माण करवा चुके हैं।

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक भी हुए प्रभावित

सुलभ इंटरनेशनल के यूपी प्रभारी अविनाश सिंह ने बताया कि इस संस्था का गठन 5 मार्च 1970 को हुआ था। इसके संस्थापक डॉ. विंदेश्वर पाठक हैं । अविनाश ने बताया कि जब हमें लता के इस सराहनीय कार्य के बारे में पता चला तो हमारी एक टीम उनके घर पहुंची और जानकारी जुटाई। इसके बाद टीम ने यह जानकारी डॉ. विंदेश्वर पाठक को दी। डॉ. विदेश्वर भी लता के इस सराहनीय कार्य से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने लता को दिल्ली बुलाकर सम्मानित करने का फैसला लिया।

स्वच्छता के लिए काम करने पर मिला सम्मान

अविनाश ने बताया कि पीएम मोदी के जन्मदिन के मौके पर लता और स्वच्छता के लिए काम करने वाली चार अन्य महिलाओं को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में रेल मंत्री सुरेश प्रभु भी मौजूद थे।

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