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2022 FIFA World Cup Video: कतर में छाया भारतीय जूता, आइये देखें इस वीडियो में
2022 FIFA World Cup Video: भारतीय कलाकार और मूर्तिकार एम. दिलीफ़ ने टूर्नामेंट से पहले दोहा में एक विशाल फ़ुटबॉल क्लैट जूता बनाया है।
2022 FIFA World Cup Video: भारत भले ही फुटबॉल न खेलता हो और फुटबॉल के प्रति उसकी दीवानगी इस हद तक न हो कि विश्व कप में उसकी टीम इंट्री पा सके। लेकिन भारतवासियों के लिए यह हर्ष की बात है कि कतर के इस फीफा वर्ल्ड कप : कतर में छाया भारतीय जूता!फुटबॉल टूर्नामेंट में इस बार भारत की खूब चर्चा है। चर्चा की वजह भरत की टीम नहीं है। भारतीय कलाकार द्वारा बनाया गया एक जूता है। जिसने सबको अपनी ओर आकर्षित कर रखा है।
भारतीय कलाकार और मूर्तिकार एम. दिलीफ़ ने टूर्नामेंट से पहले दोहा में एक विशाल फ़ुटबॉल क्लैट जूता बनाया है। फाइबर, चमड़ा, फोम शीट और ऐक्रेलिक शीट सहित सामग्रियों से बना यह जूता 17 फीट लंबा, सात फीट ऊंचा और करीब 500 किलो वजन का है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा फुटबॉल जूता माना जा रहा है। दरअसल इस तरह का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। इस लिए रिकॉर्डों की दुनिया में भी इस कलाकार के इस जूते ने बहुत नाम कमाया है। अपनी शिखर हासिल कर लिया है।
दोहा में कटारा कल्चरल विलेज में स्थित यह जूता निश्चित ही बड़ी संख्या में प्रशंसकों का ध्यान आकर्षित करेगा। द पेनिनसुला के साथ एक साक्षात्कार में दिलीफ ने कहा कि वह चाहते हैं कि यह बूट विश्व कप में भारत के प्रतिनिधित्व के रूप में काम करे। दिलीफ़ के अनुसार, वह मानते हैं कि कतर विश्व कप की मेजबानी के आधार पर सभी सांस्कृतिक विविधताओं को गले लगाता है। दिलीफ़ ने कहा, सभी देश यहां इकट्ठा हो रहे हैं। एक ऐसा अवसर है जो देशों की सीमाओं को धुंधला कर देता है। राष्ट्र, जाति, भूमि और भाषा की सीमाएं मिट जाती हैं। दुनिया के सभी लोग यहां एक साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा, "मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह विश्व कप मानवता को और ऊंचाइयों पर ले जायेगा।"
कतर को विदेशियों और प्रवासियों के लिए एक विशाल आकर्षण के रूप में जाना जाता है। क़तर के 30 लाख लोगों में से लगभग एक चौथाई भारतीय हैं, जो वहाँ रहने वाले किसी भी समुदाय से सबसे अधिक संख्या में माने जाते हैं। विश्व कप की तैयारियों में भारत, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के प्रवासी श्रमिकों का बड़ा योगदान रहा है। पिछले एक दशक में इन श्रमिकों को विश्व कप के बुनियादी ढांचे के निर्माण का काम सौंपा गया। हालाँकि, कई रिपोर्टों ने इसके मूल में एक मानवीय संकट का खुलासा किया। द गार्जियन ने 6,500 से अधिक मौतों की खबर दी है। अखबार के अनुसार फुटबाल से सम्बंधित निर्माण कार्यों के लिए लगाए गए श्रमिकों की तुलना "आधुनिक समय की गुलामी" से की गई। जिसमें कई श्रमिक और उनके परिवार घायल हो गए।कर्ज में डूब गए।
भारत 1950 के ब्राज़ील में होने वाले फुटबॉल विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया था । लेकिन उसने अपना नाम वापस ले लिया। इसकी वजह यह थी कि भारत के पास पैसा नहीं था। भारत उन दिनों 1952 के ओलंपिक खेलों पर ध्यान केंद्रित कर रहा था। इसलिए उसका जो फंड था, वह ओलंपिक खेलों में ज़्यादा लग गया था। लिहाज़ा ब्राज़ील में होने वाले विश्वकप टूर्नामेंट के लिए खिलाड़ियों की यात्रा का खर्चा वहन करने की स्थिति में भारत देश उस समय नहीं था। एक और कारण था कि उस समय भारत के पास इतने पैसे नहीं थे कि खिलाड़ी फुटबॉल का जूता पहन सकें। भारत ने यह आग्रह किया था कि उसके खिलाड़ियों को नंगे पैर खेलने की अनुमति दी जाये । लेकिन फ़ीफ़ा ने यह अनुमति देने से इनकार कर दिया था। लोहिया इन कारणों से 1950 के फुटबॉल टूर्नामेंट में भारत की टीम के क्वालिफ़ाई करने के बाद भी भारत खेल नहीं पाया। तब से आज तक क्वालिफ़ाई करने की किसी ऐसी स्थिति में हम नहीं पहुँच पाये कि हम फीकी वर्ल्ड कप में कोई आकर्षण बनते।