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Aman Sehrawat: पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले अमन सेहरावत माता-पिता का साया उठ जाने के बाद कैसे किया अपने सपने को पूरा?

Aman Sehrawat: अमन सेहरावत ने भारत के लिए कांस्य पदक जीताने के बाद बताया। उन्होंने कैसे इस सफर को पूरा किया और अपने माता-पिता को समर्पित किया मेडल

Kalpesh Kalal
Published on: 13 Aug 2024 10:16 AM IST
Aman Sehrawat
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Aman Sehrawat (Source_Social Media)

Aman Sehrawat: पेरिस ओलंपिक में का सफर भारत के लिए मिला-जुला रहा। इस ओलंपिक में कुछ बड़े नामों ने निराश किया, लेकिन कुछ ऐसे सितारें चमके जिनके बारे में ज्यादा किसी को आस नहीं थी। इनमें से ही एक रहे हमारे देश के कुश्ती खिलाड़ी अमन सेहरावत। हरियाणा के झज्जर के रहने वाले 21 साल के इस नौजवान रेसलर ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए इस पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल पर कब्जा करते हुए हमारे देशवासियों को सीना फुलाने का मौका दिया।

अमन ने अपने माता-पिता के गुजर जाने के बाद कैसे सपना किया पूरा?

अमन सेहरावत वो खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपनी 10-11 वर्ष की उम्र में ही माता-पिता को खो दिया। माता-पिता का साया उठ जाने के बाद इस खिलाड़ी ने वो सपना पूरा किया, जो उन्होंने बचपन में देखा था। आज वो ओलंपिक जैसे सबसे बड़े महाकुंभ में पोडियम पर खड़े नजर आए। जिसके बाद उनके माता-पिता अपने इस बच्चे की कामयाबी को ऊपर से देख रहे होंगे। अमन ने अपनी कड़ी मेहनत और इच्छा शक्ति के दम पर ये मुकाम हासिल किया।

अमन ने बताया- बचपन से ही देखा था ओलंपिक मेडल जीतने का सपना

अमन सेहरावत ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि, "मेरा बचपन से ही सपना था कि ओलंपिक में मेडल लेकर आना है। ये सपना अब पूरा हुआ, लेकिन गोल्ड लाने का सपना अब भी बाकी है। लोगों को लगता है कि सफलता आसानी से मिल जाती है, लेकिन इसके लिए मैंने 10 साल कड़ी मेहनत की। इन 10 साल में मैंने एक दिन का भी रेस्ट नहीं लिया।"

ओवरवेट को लेकर भी अमन ने दिया अपना रिएक्शन

इसके बाद अमन से आगे विनेश फोगाट के ओवरवेट के मुद्दे को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, "वजन बढ़ना बड़ी बात नहीं है। मेरा वजन भी करीब 4.5 किलो बढ़ गया था। जिसे मैंने कम किया, लेकिन हम वजन घटाने के बाद एनर्जी बढ़ाने वाली चीजें लेते हैं। ऐसे में कभी-कभी मेरा भी 3 किलो बढ़ जाता है।"

अमन ने कैसे किसा कांस्य पर कब्जा, कर दिया खुलासा

इसके बाद अमन ने आगे कहा कि, "हम लोग पहले से ही प्लानिंग करके आते हैं। शुरू के 4 मिनट में अगर स्कोर क्लोज चला जाए तो कोई बात नहीं, हमें लास्ट के 2 मिनट में जीत के लिए गैप बड़ा बनाना है। इस बार थोड़ी कमी रह गई। मुझे बस इतना ही कहना है कि इस ओलंपिक में जो कमी रही है, वह अगले में न रहे।"

भारत के इस कांस्य पदक विजेता ने अपना पदक अपने दिवंगत माता-पिता को समर्पित किया। उन्होंने भारत के पिछले ओलंपिक के पदक विजेता रवि दहिया के बाहर होने के बाद उन पर आने वाले दबाव को लेकर कहा कि, "कोच साहब ने यही कहा था कि तेरी भी वैसी ही लड़ाई रहेगी। तुझे उसी हिसाब से तैयारी करनी होगी। "



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Kalpesh Kalal

Kalpesh Kalal

क्रिकेट कंटेंट क्रिएटर

जुनून की हद तक क्रिकेट से लगाव।वीरेंद्र सहवाग प्रिय क्रिकेटर।बारह साल की उम्र से क्रिकेट पर लिखना पढ़ना शुरू। 2011 में खेल पत्रकारिता की पारी शुरू।बीते करीब 5 साल से क्रिकेट कंटेंट राइटर ।

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