Amsterdam 1928 to Tokyo 2020 Olympics: जानें एम्स्टर्डम 1928 से टोक्यो ओलंपिक 2020 तक भारत कितने जीते हैं मेडल

Amsterdam 1928 to Tokyo 2020 Olympics: खेलों का महाकुंभ यानी ओलंपिक गेम्स में भारत ने शानदार प्रदर्शन करता चला आ रहा है। भारत ने अब तक कुल 24 ओलंपिक गेम्स में हिस्सा ले चुका है।

Chitra Singh
Written By Chitra Singh
Published on: 8 Aug 2021 4:01 PM GMT
Amsterdam 1928 to Tokyo 2020 Olympics
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एम्स्टर्डम 1928- टोक्यो 2020 ओलंपिक (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया) 

Amsterdam 1928 to Tokyo 2020 Olympics: खेलों का महाकुंभ यानी ओलंपिक गेम्स (Olympic Games) में भारत ने शानदार प्रदर्शन करता चला आ रहा है। वैसे तो भारत ने 1900 के पेरिस ओलंपिक में डेब्यू (Bharat Ka Pahla Olympics) कर चुका था, लेकिन पूर्ण आधिकारिक रूप से भारत ने 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में हिस्सा लिया।

क्या आपको पता है कि भारत ने 1928 से लेकर 2020 तक अब तक कितने मेडल हासिल कर चुका है (How many medals india won in olympics in 2020)? आपको बता दें कि भारत ने अब तक कुल 24 ओलंपिक गेम्स में हिस्सा ले चुका है और इन 24 ओलंपिक खेलों में भारत ने कुल 35 मेडल जीत चुका है। आइए आपको बताते है उन सभी ओलंपिक गेम्स के बारे में, जिसमें भारत ने पदक हासिल किए हैं...

पेरिस ओलंपिक 1900 (Paris Olympics 1900)

साल 1900 के पेरिस ओलंपिक में भारत ने डेब्यू किया था। हालांकि इस दौरान भारत में ब्रिटिश शासन लागू था, लेकिन भारत की तरफ से नार्मन पिचार्ड (Norman Pritchard) ने ओलंपिक में हिस्सा लिया। पेरिस ओलंपिक में नार्मन पिचार्ड ने पुरुषों की 200 मीटर दौड़ और 200 मीटर बाधा दौड़ (Athletics 200 metres hurdles) के स्पर्धा में दो सिल्वर मेडल (Silver Medal) हासिल किया था। चूंकि पिचार्ड एक ब्रिटिश-इंडियन एथलीट थे और ब्रिटिश शासन के नुमाइंदे भी थे, इसलिए उनके द्वारा जीते गए मेडल को भारतीय पदकों में नहीं जोड़ा गया।, जबकि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (ICO) पिचार्ड के द्वारा जीते गए पदक को भारत का ही पदक मानता है।

एम्स्टर्डम ओलंपिक 1928 में भारत का प्रदर्शन (1928 Olympics India)

भारत ने पहली बार एम्स्टर्डम ओलंपिक 1928 (Amsterdam Olympics 1928) में भारतीय हॉकी टीम (1928 Olympics Indian hockey team) के साथ हिस्सा लिया था। ओस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान (1928 Olympics hockey India captain) ध्यानचंद (Dhyan Chand) थे। ध्यानचंद के नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम ने कुल 29 गोल किए थे। खास बात तो यह है कि इस मुकाबले में भारत ने एक भी गोल खाए बिना 29 गोल किए थे और ओलंपिक में पहला गोल्ड मेडल हासिल किया। उस दौरान नीदरलैंड के खिलाफ भारतीय हॉकी टीम के कैप्टन ध्यानचंद ने हैट्रिक बनाया था और पूरे टूर्नामेंट में कुल14 गोल दागे थे। भारत के लिए यह दौर काफी अहम था, क्योंकि गुलामी की जिंदगी जी रहे भारत ने ओलंपिक में पहली बार गोल्ड मेडल जीता (1st Gold Medal in Olympic For India) था।

लॉस एंजिल्स ओलंपिक 1932 (Los Angeles Olympics 1932)

1928 के बाद ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का दबदबा बना रहा। लॉस एंजिल्स ओलंपिक 1932 में ध्यान चंद की टीम ने एक बार ओलंपिक में जलवा बिखरते हुए गोल्ड मेडल हासिल करने में सफल रही। इस ओलंपिक में भारत ने जापान को 11-1 से मात देते हुए एक बड़ी जीत हासिल की। वहीं इस मुकाबले में भारतीय हॉकी टीम का एक नया नाम उभर के सामने आया और वो नाम था- रूप सिंह (Roop Singh)। भारतीय हॉकी टीम में ध्यानचंद के बाद किसी नाम आता है तो नाम है- रूप सिंह का। इस मुकाबले में रूप सिंह एक स्टार खिलाड़ी के तौर पर पूरी दुनिया के सामने आए।

बर्लिन ओलंपिक 1936 (Berlin Olympics 1936)

बर्लिन ओलंपिक 1936 में भारतीय हॉकी टीम (1936 Olympics Hockey) ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल हासिल कर लिया था। इस मुकाबले में भारत ने जर्मनी को 8-1 से करारी शिकस्त दी और गोल्ड मेडल हासिल किया।

लंदन ओलंपिक 1948 (London Olympics 1948)

लंदन ओलंपिक 1948 भारत के काफी खास था, क्योंकि आजादी के बाद भारत पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेने वाला था। इस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने फिर से अपने खेल का दम दिखाया और आजादी के बाद पहला गोल्ड मेडल हासिल किया। आजादी के बाद से भारत ने कुल 24 ओलंपिक गेम्स में हिस्सा लिया और अब तक कुल 28 पदक अपने नाम किये हैं।

हेलसिंकी ओलंपिक 1952 (Helsinki Olympics 1952)

हेलसिंकी ओलंपिक 1952 में भारत ने पहली बार दो पदक हासिल किया था। भारतीय हॉकी टीम मानों की गोल्ड मेडल (Gold Medal) की आदी हो गई थी। हेलसिंकी ओलंपिक 1952 में भारतीय हॉकी टीम ने एक बार फिर नीदरलैंड को 6-1 से हराकर गोल्ड अपने नाम किया था। इस मुकाबले में भारतीय हॉकी टीम में एक नये खिलाड़ी का चेहरा उभर के सामने आया। उस खिलाड़ी का नाम था- बलबीर सिंह सीनियर (Balbir Singh Sr.)।बलबीर सिंह ने हॉकी के फाइनल मुकाबले में पांच गोल दागे और एक नया रिकॉर्ड तैयार किया।

इसी ओलंपिक में दूसरा मेडल हासिल करने वाले खिलाड़ी पहलवान खशाबा दादासाहेब जाधव (Khashaba Dadasaheb Jadhav) का नाम भी जुड़ गया था। उन्होंने कुश्ती में पुरुषों की फ्रीस्टाइल बैंटमवेट में पहला ब्रॉन्ज मेडल जीता और भारत के पहले इंजिविजुअल ओलंपिक मेडलिस्ट बन गए। कहा जाता है कि इन्होंने ओलंपिक में हिस्सा लेने के धन की खातिर दर-दर भटकना पड़ा था तब जाकर ये ओलंपिक में अपना प्रदर्शन कर ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर पाए।

मेलबर्न ओलंपिक 1956 (Melbourne Olympics 1956)

मेलबर्न ओलंपिक 1956 में भारतीय हॉकी टीम ने लगातार छठवीं बार गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। इस ओलंपिक में भारत ने पाकिस्तान की हॉकी टीम को मात देते हुए गोल्ड मेडल को अपने नाम किया था।

रोम ओलंपिक 1960 (Rome Olympics 1960)

साल 1928 से ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का गोल्डन पीरियड रोम ओलंपिक में आकर थम गया। इस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम बेशक जीती लेकिन गोल्ड मेडल हासिल न कर सकी। इस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम पाकिस्तान से 0-1 से हार गई, जिसके कारण टीम को सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा।

टोक्यो ओलंपिक 1964 (Tokyo Olympics 1964)

साल 1964 में हुए टोक्यो ओलंपिक में हॉकी के फाइनल मुकाबले में लगातार तीसरी बार भारत का सामना पाकिस्तान से हुआ। पिछले हार को ध्यान में रखते हुए भारतीय हॉकी टीम ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया और पाकिस्तान को 1-0 से मात देकर एक बार फिर गोल्ड पर अपना हक जताया।

मैक्सिको सिटी ओलंपिक 1968 (Mexico City Olympics 1968)

इस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का कुछ खास प्रदर्शन देखने को नहीं मिला। 1968 में हुए मैक्सिको ओलंपिक में हॉकी के मुकाबले में यूरोप का डंका बजा। वहीं भारतीय हॉकी टीम मैक्सिको, स्पेन और जापान को हरा कर सेमीफाइनल तक पहुंची, जिसमें ऑस्ट्रेलिया से 2-1 से हार गई। इस हार के टीम ने कांस्य पदक के लिए पश्चिम जर्मनी का सामना किया और उसे 2-1 से मात देकर कांस्य पदक हासिल किया।

म्यूनिख ओलंपिक 1972 (Munich Olympics 1972)

म्यूनिख ओलंपिक भारतीय हॉकी टीम के लिए काफी खराब रहा। इस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने बेहतरीन खेली लेकिन आगे के मुकाबले में वह लड़खड़ा गई। वहीं सेमीफाइनल का मुकाबला इस्राइली टीम पर हमले के दो दिन के लिए पोस्टपॉर्न हो गया। शायद इस वजह से भारतीय हॉकी टीम का लय भी बिगड़ा और पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए सेमीफाइनल के मुकाबले में 2-0 से हार गई। इसके बाद भारतीय हॉकी टीम कांस्य पदक हासिल करने के लिए अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए नीदरलैंड को हराया और कांस्य पदक पर अपना नाम दर्ज किया।

मास्को ओलंपिक 1980 (Moscow Olympics 1980)

मास्को ओलंपिक 1980 से पहले भारतीय हॉकी टीम ने मॉन्ट्रियल ओलंपिक 1976 (Montreal Olympics 1976) में हिस्सा लिया, जिसमें खराब प्रदर्शन के कारण भारतीय हॉकी टीम 7वें पायदान पर रही, लेकिन मास्को ओलंपिक में टीम ने फिर वापसी की और स्पेन को 4-3 से हरा कर गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। यह ओलंपिक है, जिसमें भारतीय हॉकी टीम आखिरी बार गोल्ड मेडल हासिल की।

अटलांटा ओलंपिक 1996 (Atlanta Olympics 1996)

अटलांटा ओलंपिक 1996 में भारत को एक कांस्य पदक हासिल हुआ, जिसे एक भारतीय टेनिस खिलाड़ी ने जीता था। इस खिलाड़ी का नाम था- लिएंडर पेस (Leander Paes)। लिएंडर पेस ने टेनिस के इंडिविजुअल राउंड के सेमीफाइनल में आंद्रे अगासी (Andre Agassi) से हार गए थे, जिसके बाद उन्होंने फर्नांडो मेलिगानी (Fernando Meligani) को हराकर कांस्य पदक (Bronze Medal) पर अपना नाम दर्ज किया।

सिडनी ओलंपिक 2000 (Sydney Olympics 2000)

इस ओलंपिक में पहली बार भारतीय महिला ने देश को मेडल दिया था। वेटलिफ्टिंग के 54 किग्रा वर्ग में भारत की कर्णम मल्लेश्वरी (Karnam Malleswari) ने हिस्सा लिया था, जिसमें उन्होंने एंड जर्क में 130 किग्रा भार और स्नैच वर्ग में 110 किग्रा भार उठाकर ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया और ओलंपिक में मेडल हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनी।

एथेंस ओलंपिक 2004 (Athens Olympics 2004)

साल 1980 के बाद ओलंपिक में भारत का खेल बदलने लगा था। 2004 में हुए एथेंस ओलंपिक में भारत के राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (Rajyavardhan Singh Rathore) ने शूटिंग में शानदार प्रदर्शन करते हुए देश को सिल्वर दिलाया। इसी के साथ वे ओलंपिक में मेडल हासिल करने वाले पहले भारतीय शूटर बने, जिसने ओलंपिक के पोडियम अपनी जगह बनाई।

बीजिंग ओलंपिक 2008 (Beijing Olympics 2008)

साल 2008 के बीजिंग ओलंपिक में भारत प्रदर्शन कुछ खास रहा। इस ओलंपिक में भारत ने एक गोल्ड मेडल और ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था। बीजिंग ओलंपिक में भारतीय शूटर अभिनव बिंद्रा (Abhinav Bindra) ने शूटिंग मेंस 10 मीटर एयर राइफल के मुकाबले में हिस्सा लिया, जिसमें फाइनल के अंतिम शॉर्ट में 10.8 का स्कोर कर भारत का पहला गोल्ड मेडल हासिल किया ओर नया इतिहास रचा दिया। वहीं बॉक्सिंग मेंस मिडिलवेट में भारत के मुक्केबाज विजेंदर सिंह (Vijender Singh) ने कार्लोस गौन्गोरा (Carlos Góngora) को 9-4 से हराकर कास्य पदक हासिल किया और ओलंपिक मेडल जीतने वाले पहले मुक्केबाज बने। इसके अलावा कुश्ती में सुशील कुमार ने 66 किग्रा का भार उठाकर ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था।

लंदन ओलंपिक 2012 (London Olympics 2012)

लंदन ओलंपिक में भारत पहली बार 6 मेडलों पर कब्जा करने में सफलता हासिल की थी। इस ओलंपिक में शूटिंग के मेंस 10 मीटर एयर राइफल में गगन नारंग (Gagan Narang) ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था। वही कुश्ती के मेंस 66 किग्रा स्पर्धा में सुशील कुमार ने अपने बेहतर प्रदर्शन के बल पर इस ओलंपिक में पहला सिल्वर मेडल हासिल किया। उधर शूटिंग मेंस 25 मीटर रैपिड पिस्टल में विजय कुमार (Vijay Kumar) ने भारत को दूसरा सिल्वर मेडल दिलाने में बड़ी कामयाबी हासिल की। इसके अलावा इस ओलंपिक में बॉक्सिंग वूमेंस फ्लाईवेट में मैरीकॉम (Mary Kom) ने और कुश्ती मेंस 60 किग्रा में योगेश्वर दत्त (Yogeshwar Dutt) ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। वही इसी ओलंपिक में महिलाओं के बैडमिंटन मुकाबले में साइना नेहवाल (Saina Nehwal) ने चीन की वांग झिन को हराकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया और भारतीय बैडमिंटन में मेडल जीतने वाले पहली खिलाड़ी बन गई।

रियो ओलंपिक 2016 (Rio Olympics 2016)

रियो ओलंपिक 2016 में भारत का कुछ खास प्रदर्शन देखने को नहीं मिला। इस ओलंपिक में भारत मात्र दो ही मेडल हासिल कर सका। बैडमिंटन वूमेंस सिंगल्स में पीवी सिंधु (PV Sindhu) ने सिल्वर हासिल की। वही कुश्ती के वूमेंन 58 किग्रा में किर्गिस्तान की ऐसुलु टाइनीबेकोवा (Aisuluu Tynybekova) को 8-5 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया और ओलंपिक में पदक हासिल करने वाली पहली महिला पहलवान बनी।

टोक्यो ओलंपिक गेम्स 2020 (Olympic Games Tokyo 2020)

टोक्यो ओलंपिक गेम्स 2020 में भारत का अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन रहा। ओलंपिक के दौर में भारत ने पहली बार सात मेडल हासिल किए थे, जिसमें एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। इस ओलंपिक में भारत को पहला मेडल वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) में मिला। भारतीय एथ्लीट मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने 49 किग्रा का भार (Weightlifting Women's 49kg) उठाकर सिल्वर मेडल (Silver Medal) पर अपना नाम दर्ज किया और देश को पहला मेडल दिलाने में सफलता हासिल की।

देश को किस खेल में मिला दूसरा मेडल

ओलंपिक में भारत को दूसरा मेडल दिलाने में भारत की शटलर स्टार पीवी सिंधु (PV Sindhu) कामयाब रही। हालांकि उन्होंने पूरी कोशिश की कि भारत को गोल्ड मेडल मिले लेकिन उन्हें ब्रॉन्ज मेडल से ही संतुष्टि करनी पड़ी। सेमीफाइनल में हार मिलने के बाद बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल करने का एक भी मौका नहीं छोड़ी और विश्व की नंबर-9 चीन की हे बिंग जियाओ (He Bingjiao) को हराकर ब्रॉन्ज मेडल (Bronze Medal) को अपने नाम कर लिया। बैडमिंटन (Badminton) में शानदार प्रदर्शन के बाद भारत को दूसरा मेडल मिला है।

तीसरा मेडल

भारत को तीसरा मेडल हासिल करने में थोड़ा ज्यादा समय लग गया। हालांकि तीसरा मेडल तो पक्का था ही, लेकिन भारत गोल्ड -सिल्वर की चाह बनाए हुए था। लेकिन वो हासिल न हो सका। इस तरह ओलंपिक के 13वें दिन (Tokyo Olympics Day 13) मुक्केबाजी (Boxing) में भारत तीसरा मेडल हासिल करने में सफल रहा। मुक्केबाजी में भारतीय महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश को तीसरा मेडल दिलाने में सफल रहीं।

लंबे समय के हॉकी टीम ने जीता मेडल

41 साल बाद भारत की हॉकी टीम ने ओलंपिक में इतिहास रचा है। इस ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम (Indian men's Hockey Team) ने जर्मनी की टीम को हराकर कांस्य पदक हासिल किया और देश को चौथा मेडल दिलाने में सफलता हासिल की। लंबे अरसे के बाद हॉकी टीम के इस जीत पर पूरा देश खुशी से झूम उठा था।

कब मिला भारत को पांचवा मेडल

टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) में खेले गए कुश्ती प्रतियोगिता में भारतीय पहलवानों की शानदार प्रदर्शन किया। भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया (Ravi Kumar Dahiya) ने कुश्ती (Wrestling Men's freestyle 57kg) में अपने प्रदर्शन के दम पर सिल्वर मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की। इस मुकाबले में उन्होंने रूस के पहलवान जावुर युगुऐव को 7-4 से हराया था।

देश को मिला छठा मेडल

टोक्यो ओलंपिक का आखिरी का दूसरा दिन भारत के लिए काफी शानदार रहा है। इस दिन भारत ने लगातार दो मेडल पर अपना कब्जा जमाया था। इस दिन भारत को छठा मेडल मिला। इस मेडल को हासिल करने के लिए स्टार रेसलर बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) ने पूरी ताकत झोक दी और कांस्य पदक पर अपना नाम दर्ज किया। बजरंग पूनिया ने यह मेडल कुश्ती के फ्रीस्टाइल (Wrestling Men's freestyle 65kg) में कजाखिस्तान के पहलवान नियाजबेकोव को 8-0 से करारी शिकस्त देते हुए जीता था।

आखिरकार देश को मिल ही गया गोल्ड

भारत का ओलंपिक का आखिरी दिन काफी महत्वपूर्ण रहा। पहले दिन से ही गोल्ड की चाह रखने वाले भारतीय खिलाड़ियों ने गोल्ड जीतने की पूरी कोशिश और यही कोशिश ओलंपिक के आखिरी दिन रंग ला दी। भारत ने जेवलिन थ्रो में आखिरी और पहला गोल्ड मेडल जीतकर ओलंपिक का सफर खत्म किया। जेवलिन थ्रो के फाइनल राउंड में भारतीय एथ्लीट नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने 87.58 मीटर तक भाला फेंक एक नया इतिहास रचा और भारत को पहला गोल्ड मेडल (Gold Medal) हासिल करने में बड़ी सफलता हासिल की। भारत को मेडल मिलते ही पूरा देश खुशी से झूम उठा। पूरे देश जैसे त्योहार में जश्न मनाया जाता है, वैसे इस दिन पूरा देश जश्न मनाया गया। वो कहते है न "अंत भला तो सब भला"। बस यही हुआ भारत के साथ भी।

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