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PT Usha: भारत की "उड़नपरी" पीटी उषा राज्यसभा के लिए मनोनीत, जाने उनके करियर से जुड़ी बाते

भारत की उड़नपरी और द पप्योली एक्सप्रेस से मशहूर पीटी उषा को राष्ट्रपति के तरफ से राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। उन्होंने एडियाई गेम्स से लेकर ओलिंपिक तक भारत का नाम रोशन किया है।

Aakash Mishra
Written By Aakash Mishra
Published on: 7 July 2022 1:24 PM IST (Updated on: 7 July 2022 1:26 PM IST)
PT Usha: भारत की उड़नपरी पीटी उषा राज्यसभा के लिए मनोनीत, जाने उनके करियर से जुड़ी बाते
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PM Modi and PT Usha (Image credit: Social media)


भारत की "उड़नपरी" के नाम से मशहूर पीटी उषा को सरकार द्वारा राज्यसभा के लिए नामित किया गया है। उन्होंने ट्रैक-एंड-फील्ड इवेंट में कई उपलब्धियां हासिल की है साथ ही उनके नाम कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिकॉड भी है। अब उन्हें राज्यसभा में खेल को लेकर अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। उन्हें भारत सरकार द्वारा 1983 में अर्जुन पुरस्कार और 1985 में देश का सर्वोच्च पुरस्कार पद्म श्री भी मिल चुका हैं।

पीटी उषा को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर पीएम मोदी ने खुद ट्वीट कर उन्हें बधाई दी। उन्होंने लिखा, "उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाली पीटी उषा हर भारतीय के लिए प्रेरणास्रोत हैं। खेलों में उनकी उपलब्धियों को व्यापक रुप से जाना जाता है, लेकिन पिछले कई सालों में उभरते एथलीटों का मार्गदर्शन करने के लिए उनका नाम उतना ही सराहनीय है। उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने के लिए शुभकामनाएं।"

पीटी उषा को "द पप्योली एक्सप्रेस" के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म केरल के कुट्टाली गांव में हुआ था। उन्होंने पप्योली से अपनी पढाई पूरी की थी। यही कारण है कि उन्हें द पप्योली एक्सप्रेस भी कहा जाता है। उन्होंने अपने करियर में कुल 23 पदक जीते है, जिसमें 14 स्वर्ण पदक है।

पीटी उषा का करियर

एक समय था जब पीटी उषा ट्रैक एंड फील्ड में सब पर भारी थी। वह देश के लिए ओलंपिक फाइनल खेलने वाली पहली महिला एथलीट हैं। वह 1984 के लॉस एंजिलिस ओलंपिक के फाइनल तक पहुंची थी। जहां वह 400 मीटर बाधा दौड़ में चौथे स्थान पर रहीं थी और 1/100 सेकंड से ब्रॉन्ज मेडल जीतने से चूक गई थी। इसके बाद उन्होंने 1985 एशियाई चैंपियनशिप में पांच स्वर्ण पदक जीता। वहीं उन्होंने 1986 एडियाई गेम्स में 4 और 1987 एशियाई चैंपियनशिप में 3 स्वर्ण पदक अपने नाम किए। उन्होंने अपना आखिरी स्वर्ण पदक 1998 एशियाई चैंपियनशिप में जीता था।

खेल से संन्यास लेने के बाद उन्होंने उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स का निर्माण किया। जहां वह प्रतिभाशाली युवाओं को विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान कर उनके हुनर को निखारने का काम करती है।

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