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Tokyo Olympic: टोक्यो ओलंपिक की तैयारी में नहीं छोड़ी गई कोई कसर- पुलेला गोपीचंद

Tokyo Olympics: भारतीय एथलीटों के आत्मविश्वास का तेजी से बढ़ना स्वाभाविक है क्योंकि वे अगले महीने टोक्यो में शुरू होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Shweta
Published on: 23 Jun 2021 1:56 PM IST
कॉन्सेप्ट फोटो
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कॉन्सेप्ट फोटो ( फोटो साभार सोशल मीडिया)

Tokyo Olympics: भारतीय एथलीटों के आत्मविश्वास का तेजी से बढ़ना स्वाभाविक है क्योंकि वे अगले महीने टोक्यो में शुरू होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ियों में अपार आत्मविश्वास और उत्साह के साथ अधीरता को सभी देख व महसूस कर सकते हैं, जो महामारी और इसके कारण पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद उनकी पूरी तैयारी को प्रदर्शित करता है।

लेकिन आश्वासन की यह आभा कहां से आ रही है? एक साल के लिए स्थगित और अब कठिन परिस्थितियों में आयोजित होने वाले टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले 125 एथलीटों में से प्रत्येक ने खेल शुरू होने के पहले शारीरिक, भावनात्मक और प्रतिस्पर्धी रूप से तैयार रहने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

यह कहना उचित होगा कि हमारे बैडमिंटन खिलाड़ी, जिन्हें ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई करने का मौका मिला है, उन्हें वह समर्थन मिला, जो वे चाहते थे। आज, क्वॉलीफाई करने वाले प्रत्येक बैडमिंटन खिलाड़ी की मदद; एक विदेशी कोच, एक फिजियोथेरेपिस्ट और एक स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच द्वारा की जा रही है। यह स्थिति उस समय से बहुत अलग है, जब खिलाड़ी पर इस तरह के व्यक्तिगत ध्यान की कोई व्यवस्था नहीं थी। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसकी शीर्ष देश भी आकांक्षा रखते हैं।

मुझे 'रियो 2016' की याद आती है, जब भारतीय दल को वांछित परिणाम नहीं मिलने के बावजूद, प्रधानमंत्री ने खिलाडि़यों को आगे चलकर 100 प्रतिशत प्रदर्शन देने के लिए प्रोत्‍साहित किया था। मैं उस ओलंपिक टास्क फोर्स का हिस्सा था, जिसे उन्होंने रियो के लिए नियुक्त किया था। मैं देख सकता हूं कि भारतीय खेल में बदलाव की शुरुआत हो रही है और देश में खेल के सन्दर्भ में सकारात्मक और अधिक पेशेवर माहौल बनाने के लिए उच्चतम स्तर से जमीनी स्तर तक गहरी दिलचस्पी ली जा रही है।

पुलेला गोपीचंद भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच

एक उल्लेखनीय बदलाव के रूप में भारत ने एथलीटों को पहले स्थान पर रखा है और भारतीय खेल प्राधिकरण के माध्यम से यह सुनिश्चित किया है कि उनकी सभी जरूरतों को पूरा किया जाए। सुधार की गति को बढ़ाया गया है, क्योंकि सभी ने इसे अत्यावश्यक मानकर कार्य किया। इसका एकमात्र उद्देश्य था –एथलीटों को खेल के सबसे बड़े उत्सव के लिए अच्छी तरह से तैयार होने में मदद करना है।

राष्ट्रीय खेल संघों और भारतीय ओलंपिक संघ के साथ समन्‍वय करते हुए, युवा मामले और खेल मंत्रालय ने यह सुनिश्चित किया कि कोचों के अनुबंध बढ़ाए जाए। देश भर के उत्कृष्टता केंद्रों में सुरक्षित तरीके से राष्ट्रीय शिविरों का फिर से आयोजन किया गया। मैं उम्मीद और कामना कर रहा हूं कि टोक्यो ओलंपिक के लिए किये जाने वाले प्रयास सफल होंगे।

पुलेला गोपीचंद ( फाइल फोटो सोशल मीडिया)

यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है क्योंकि हमने अपने एथलीटों में काफी निवेश किया है। इसका एक अन्य सकारात्मक लाभ यह होगा कि युवाओं को खेल-अपनाने के लिए और अधिक प्रेरणा मिलेगी, जिससे देश का सम्मान बढ़ेगा। वास्तव में यह हमारे लिए एक अवसर है कि हम कोविड-19 महामारी के समय में लोगों के चेहरों पर खुशी का भाव ला सकें।



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