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बायजूस का बीसीसीआई पर करोड़ो का बकाया, 'टाइटल' स्पॉन्सर छोड़ना चाहता है पेटीएम
भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी स्पॉन्सर बायजूस पर कथित रूप से बीसीसीआई का 86.21 करोड़ रुपये का बकाया है। वहीं पेटीएम 'टाइटल' स्पॉन्सर छोड़ना चाहता है।
दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई (BCCI) अपने स्पॉन्सर से करोड़ों रुपया कमाती है। बायजूस (Byju's) भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी को स्पॉन्सर करता है। जबकि भारतीय क्रिकेट टीम की घरेलू स्पर्धाओं की 'टाइटल' स्पॉन्सर फिनटेक कंपनी पेटीएम (Paytm) है। अब खबरें आ रही है कि जर्सी स्पॉन्सर बायजूस पर कथित रूप से बीसीसीआई का 86.21 करोड़ रुपये का बकाया है। वहीं दूसरी ओर 'टाइटल' स्पॉन्सर पेटीएम ने इसे छोड़ने का फैसला किया है। पेटीएम ने अपने अधिकार तीसरे पक्ष को देने का अनुरोध किया है।
बायजूस पर 86.21 करोड़ बकाया
अप्रैल में ही बायजूस और बीसीसीआई ने अपनी साझेदारी भारत में होने वाले 2023 वनडे विश्व कप के अंत तक बढ़ाने पर सहमति जतायी थी जिसमें 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गयी थी। बीसीसीआई की शीर्ष परिषद की बैठक में गुरूवार को इस मुद्दे पर चर्चा की गयी। बीसीसीआई के एक सूत्र ने बैठक के बाद पीटीआई से कहा, ''अब तक बायजूस पर बोर्ड का 86.21 करोड़ रूपये का बकाया है।'
बायजूस ने रखा अपना पक्ष
बायजूस का कहना है कि अनुबंध पर हस्ताक्षर होते ही भुगतान कर दिया जाएगा। बायजूस के प्रवक्ता ने पीटीआई से कहा कि ''हमने बीसीसीआई से करार बढ़ाया है लेकिन इस पर अभी हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। अनुबंध पर हस्ताक्षर होते ही भुगतान करार की शर्तों के अनुसार कर दिया जायेगा। इसलिये हमारी ओर से कोई राशि बकाया नहीं है।''
आपको बता दे कि बायजूस ने पिछले ही महीने अपने कंपनी से 500 लोगों की छटनी की है। कंपनी ने 1000 लोगों को निकालने वाली खबर पर सफाई देते हुए यह बात कही थी।
टाइटल स्पॉन्सर छोड़ना चाहता है पेटीएम
वहीं दूसरी ओर टाइटल स्पॉन्सर फिनटेक कंपनी पेटीएम ने बीसीसीआई से स्पॉन्सर किसी अन्य कंपनी को सौंपने का अनुरोध किया है, जिसपर बोर्ड विचार कर रहा है। अगस्त 2019 में पेटीएम ने भारत में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट के मैचों के 'टाइटल' स्पॉन्सर के तौर पर जुड़ाव चार साल के लिये बढ़ाया था। तय हुए डील के मुताबिक पेटीएम को साल 2019 से 2023 तक टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए 326.80 करोड़ रुपये देने थे। जिससे प्रति मैच यह डील 3.80 करोड़ रुपये की हो गई थी। जो कि पहले 2.4 करोड़ रुपये प्रति मैच थी।