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Chess And Furniture: शतरंज के खेल में कुर्सी भी है बहुत जरूरी, जानें क्या है कुर्सियों की भूमिका
Chess And Furniture: 1978 में विक्टर कोरचनोई और अनातोली कारपोव के बीच विश्व शतरंज चैंपियनशिप में, कुर्सियों का एक्स-रे भी किया गया था ।
Lucknow: शतरंज और फर्नीचर (chess and furniture), आप कह सकते हैं कि इनका भला आपस में क्या लेनादेना है। लेकिन ये सोचना गलत है। शतरंज के खेल में फर्नीचर (furniture in a game of chess) भी बहुत बड़ा स्थान रखता है। देखने में भले ही दोनों में कोई समानता न हो लेकिन शतरंज के खेल में कुर्सियों का एक रंगीन इतिहास रहा है।
1978 में विक्टर कोरचनोई (Victor Korchnoi) और अनातोली कारपोव के बीच विश्व शतरंज चैंपियनशिप में, कुर्सियों का एक्स-रे भी किया गया था ताकि यह जांचा जा सके कि खेल में किसी तरह का गोलमाल तो नहीं किया गया है।
जब शतरंज के खेल के लिए अमेरिका से ख़ास कुर्सी मंगाई गई
बोरिस स्पैस्की और बॉबी फिशर के बीच 1972 की कुख्यात मुठभेड़ में, बॉबी फिशर ने मैच के लिए इंतजाम की गई कुर्सियों को रिजेक्ट कर दिया और अपने लिए खास तौर पर अमेरिका से एक कुर्सी मंगवाई थी।
शतरंज के मुकाबलों में खिलाड़ियों की कुर्सी एक जैसी नहीं होती - यह खिलाड़ी की निजी पसंद पर निर्भर करता है। कोई एक हाई-एंड गेमिंग कुर्सी पर बैठना पसंद कर सकता है, जबकि कोई एक साधारण ऑफिस चेयर की कुर्सी से संतुष्ट हो जाता है।
21वीं सदी में कुर्सी से संबंधित स्कैंडल को बहुत अधिक प्रचारित नहीं किया गया है, लेकिन कुर्सी के महत्व को कम नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिए, विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन ने कुर्सी को शतरंज के उपकरण के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से में से एक के रूप में दर्जा दिया है।इसकी जायज वजह भी है। एक ऐसे खेल में जहां खिलाड़ी पांच घंटे से अधिक समय तक बैठे रह सकते हैं, आरामदायक कुर्सी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आपको कुर्सी परेशान कर रही है या आपको वह पसंद नहीं है, तो आपका फोकस खोना बहुत आसान है।
चेन्नई में चल रहे ओलंपियाड में सिर्फ दो तरह की कुर्सियाँ
बहरहाल, चेन्नई में चल रहे ओलंपियाड में सिर्फ दो तरह की कुर्सियाँ उपलब्ध हैं। वे दोनों नार्मल कुर्सियाँ हैं। इसमें आर्म-रेस्ट है। खिलाड़ियों को खेल में घंटों पीठ दर्द का सामना न करना पड़े, यह सुनिश्चित करने के लिए पीठ पर पर्याप्त कुशनिंग भी है। यदि कोई खिलाड़ी कुर्सी को बदलना चाहता है, तो उसे कभी भी बदला भी जा सकता है। आयोजकों के अनुसार, ओलंपियाड में जो भी कुर्सियां और मेजें देख रहे हैं, वे अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (international chess federation) के निर्देशों के अनुसार हैं। निर्देशों के अनुसार, टेबल की चौड़ाई 85 सेंटीमीटर, लंबाई 110 सेंटीमीटर और ऊंचाई 74 सेंटीमीटर होनी चाहिए। लेकिन कुर्सी के लिए कोई मानक या निर्देश नहीं है।
ओलंपियाड में लगी सभी कुर्सियां दिल्ली में बनी हैं। वहां से उन्हें एआईसीएफ कार्यालय लाया गया। एक बार जब महासंघ ने इसे पारित कर दिया, तो उन्हें मंजूरी दे दी गई। कुल मिलाकर, 2500 कुर्सियों को आयोजन स्थल पर लाया गया है। किसी टूटफूट की स्थिति के लिए कुर्सियों के स्पेयर पार्ट्स भी हैं।
शतरंज के महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद
शतरंज के महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद (Chess great Viswanathan Anand) का कहना है कि वे कुर्सी को लेकर बहुत ध्यान नहीं देते। उनका कहना है कि जो कुर्सी दी जाती है, वह उसी का इस्तेमाल करते हैं।