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Cricket History: भारतीय टीम ने आज ही के दिन रचा था इतिहास, वेस्टइंडीज के धुरंधरों को धूल चटाकर जीता था विश्वकप
लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में भारतीय टीम ने 38 साल पहले आज के दिन रचा था इतिहास। कपिल देव की अगुवाई में भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज की मजबूत टीम को फाइनल मुकाबले में 43 रनों से हराकर पहली बार वर्ल्ड कप पर कब्जा कर लिया था।
Cricket News: 25 जून की तारीख को देश के इतिहास में दो बड़ी बातों के लिए याद किया जाता है। 1975 में आज के ही दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश पर इमरजेंसी थोप दी थी। वहीं दूसरी ओर भारतीय क्रिकेट टीम ने 1983 में आज के ही दिन नया इतिहास रचते हुए विश्व विजेता बनने का गौरव हासिल किया था।
लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में कपिल देव की अगुवाई में भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज की मजबूत टीम को फाइनल मुकाबले में 43 रनों से हराकर पहली बार वर्ल्ड कप पर कब्जा कर लिया था। टूर्नामेंट से पहले किसी को भी भारतीय टीम के विश्व विजेता बनने की उम्मीद नहीं थी मगर भारतीय टीम ने अपने शानदार प्रदर्शन से दिग्गज टीमों को भी धूल चटा दी थी।
सारी दुनिया को कर दिया था हैरान
फाइनल में भारत का मुकाबला वेस्टइंडीज की मजबूत टीम से था जिसने इसके पहले 1975 और 1979 के दोनों विश्वकपों पर कब्जा किया था। क्लाइव लॉयड की अगुवाई वाली वेस्टइंडीज की उस टीम के सामने दिग्गज टीमों को भी पसीना छूट जाता था मगर भारतीय टीम ने सधा हुआ खेल दिखाते हुए वेस्टइंडीज को हराकर सारी दुनिया को हैरान कर दिया।
वेस्टइंडीज की टीम के पास ऐसे खतरनाक गेंदबाजों और धुरंधर बल्लेबाजों की पूरी फौज थी जो किसी भी टीम को हराने में सक्षम थी मगर कपिल देव की अगुवाई में भारतीय टीम ने करिश्माई प्रदर्शन करते हुए कैरेबियाई टीम को हार के लिए मजबूर कर दिया।
भारतीय टीम ने बनाए थे सिर्फ 183 रन
1983 के विश्व कप के फाइनल मुकाबले में कपिल देव टॉस हार गए थे और वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने भारत को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया था। भारतीय टीम फाइनल मुकाबले में अच्छी बल्लेबाजी नहीं कर सकी और पूरी टीम 54.4 ओवर में 183 रनों पर ढेर हो गई। उस समय वनडे मुकाबले 60 ओवर के खेले जाते थे। भारत की ओर से सलामी बल्लेबाज के.श्रीकांत ने 38 रनों की शानदार पारी खेली थी और यही पारी बाद में विश्व कप के फाइनल मुकाबले की सबसे अच्छी पारी साबित हुई। मोहिंदर अमरनाथ ने भारतीय टीम के लिए 26 रनों का योगदान दिया था। भारतीय टीम के 183 रनों पर ढेर होने के बाद किसी को भी भारत के जीतने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि वेस्टइंडीज के पास गॉर्डन ग्रीनिज, डायमंड सेंस, विवियन रिचर्ड्स और क्लाइव लायड जैसे धुरंधर बल्लेबाज थे।
कपिल देव ने लपका था रिचर्ड्स का अद्भुत कैच
वेस्टइंडीज की टीम बल्लेबाजी करने के लिए उतरी तो सबसे पहला झटका बलविंदर सिंह संधू ने दिया जब उन्होंने सिर्फ एक रन के व्यक्तिगत स्कोर पर गार्डन ग्रीनिज को बोल्ड आउट कर दिया। उस समय वेस्टइंडीज की टीम का स्कोर सिर्फ 5 रन था।
हालांकि इसके बाद बल्लेबाजी करने के लिए उतरे विवियन रिचर्ड्स ने ताबड़तोड़ अंदाज में 33 रन ठोक डाले। रिचर्ड्स के अंदाज को देखते हुए किसी को भी भारत के जीतने की उम्मीद नहीं थी मगर उसी समय मदनलाल ने वेस्टइंडीज को टीम को सबसे बड़ा झटका दिया। मदनलाल की एक गेंद पर विवियन रिचर्ड्स ने ऊंचा शॉट खेला और कप्तान कपिल देव ने पीछे की ओर लंबी दौड़ लगाते हुए अद्भुत कैच लेकर रिचर्ड्स को पवेलियन लौटने के लिए मजबूर कर दिया।
140 रनों पर ढेर हो गई वेस्टइंडीज की टीमरिचर्ड्स का आउट होना टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ और वेस्टइंडीज की टीम इसके बाद बिखर गई। 76 रनों पर वेस्टइंडीज के 6 विकेट गिर गए थे। वेस्टइंडीज का कोई भी बल्लेबाज भारतीय गेंदबाजों का डटकर मुकाबला नहीं कर सका और पूरी टीम 52 ओवर में 140 रनों पर आल आउट हो गई। अंतिम विकेट के रूप में माइकल होल्डिंग के आउट होने के साथ ही लार्ड्स में भारतीय क्रिकेट फैंस जश्न मनाने में डूब गए। सेमीफाइनल मुकाबले के बाद फाइनल में भी भारत की ओर से मोहिंदर अमरनाथ ने जोरदार प्रदर्शन किया और 26 रन बनाने के साथ ही वेस्टइंडीज के 3 विकेट भी चटकाए। शानदार प्रदर्शन के लिए मोहिंदर अमरनाथ को मैन ऑफ द मैच का अवार्ड मिला।
जीत के बाद लार्ड्स में फहरा था तिरंगा
भारत की ऐतिहासिक जीत के बाद लार्ड्स के मैदान में सैकड़ों भारतीय क्रिकेट फैंस ने तिरंगा फहरा दिया। देशभर में रेडियो पर कमेंट्री सुन रहे लोगों ने भी रात में ही घरों से बाहर निकलकर जमकर जश्न मनाया। 1983 में विश्व कप जीतने के बाद भारतीय क्रिकेट को नई दिशा मिली। बाद के दिनों में भारतीय क्रिकेट टीम ने कई आईसीसी टूर्नामेंटों में जोरदार प्रदर्शन करते हुए क्रिकेट फैंस को जश्न मनाने का मौका दिया है।