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अलग है मुमताज़ का हौसला और जुनून, जारी है पिता के ठेले से अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैदान का सफ़र
मुमताज़ ने जब स्कूल के दिनों में पहली बार हाथ में हॉकी थामी तो मां ने बहुत डांटा, कई बार पिटाई भी हुई। मगर, अब न सिर्फ स्वीकृति मिल गई बल्कि जब भी पैसों की जरूरत पड़ती तो मां किसी भी प्रकार इंतजाम कर बेटी के लिए नाम रोशन करने की दुआ करती हैं।
लखनऊ: पिता सब्जी का ठेला लगाते हैं। मां घर संभालती हैं और बेटी हॉकी एशिया कप में भारत की अगुवाई कर रही है। गज़ब के जुनून और अभिभावकों की साहसिक सोच ने मुमताज को सच में सरताज बनाने की ठान ली है।
मुमताज़ यानी विशिष्ट
मुमताज़ ने जब स्कूल के दिनों में पहली बार हाथ में हॉकी थामी तो मां ने बहुत डांटा, कई बार पिटाई भी हुई। मगर, जब हॉकी में बेहतर प्रदर्शन करने लगी तो न सिर्फ स्वीकृति दे दी बल्कि जब भी पैसों की जरूरत पड़ती तो मां किसी भी प्रकार इंतजाम कर नाम रोशन करने की दुआ करती हैं। यह कहना है लखनऊ की मुमताज खान का जो लखनऊ स्पोर्ट्स हॉस्टल की खिलाड़ी हैं और इन दिनों इटावा एस्ट्रो टर्फ हॉकी स्टेडियम में यूपी टीम के सेलेक्शन के लिए आयोजित कैंप में प्रतिभाग कर रही हैं।
लखनऊ के कैंट स्थित तोपखाना बाजार निवासी मुमताज के पिता हफीज खान सब्जी का ठेला लगाते हैं और मां कैसर जहां गृहिणी हैं। इसी वर्ष हाईस्कूल की परीक्षा दे चुकी मुमताज का लखनऊ हॉस्टल में तीसरा साल है। फॉरवर्ड खेलने में महारथ रखने वाली मुमताज वर्ष 2016 में रांची में और वर्ष 2017 में रोहतक में नेशनल सब जूनियर महिला हॉकी में दमखम दिखा चुकी हैं।
वर्ष 2015 में छत्तीसगढ़ व 2016 में रांची में नेशनल जूनियर महिला हॉकी में यूपी की ओर से खेल चुकी हैं। इतना ही नहीं दिसंबर 2016 में थाइलैंड की राजधानी बैंकाक में हुए अंडर-18 महिला हॉकी एशिया कप में मुमताज भारतीय टीम की ओर से प्रतिभाग कर चुकी हैं।
सार्थक करना है नाम
रोहतक में 20 से 30 अप्रैल तक आयोजित होने वाली सातवीं सीनियर महिला हॉकी चैंपियनशिप के लिए इटावा स्टेडियम में यूपी टीम के सेलेक्शन के लिए कैंप चल रहा है। मुमताज ने बताया कि फिलहाल उनका लक्ष्य इस कैंप के जरिए यूपी टीम में चयनित होना है। इसके बाद नेशनल टीम का हिस्सा बन भारत के लिए खेलते हुए मुमताज अपने साथ परिवार, लखनऊ, यूपी और देश का नाम वैश्विक स्तर पर चमकाना चाहती हैं। वह लखनऊ स्पोर्ट्स हॉस्टल और चयनकर्ता एसके लहरी का शुक्रिया अदा करते हुए कहती हैं, यदि ये लोग सेलेक्शन न करते तो आज मैं इस मुकाम पर न होती।
डांस का है शौक, मगर आता नहीं
हॉकी को जिंदगी बना चुकी मुमताज को डांस का भी शौक है। हालांकि वह कहती हैं कि मुझे डांस आता नहीं, बस शौक ही है। मुमताज अपने एक भाई, चार बहनों व अभिभावकों के लिए जितना संभव हो करना चाहती है, जिससे उनके परिवार को आर्थिक रूप से मजबूती मिल सके।