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Dhruv Jurel Story: आसान नहीं था युवा बल्लेबाज ध्रुव जुरेल का जीवन, कभी माँ ने बेचे थे गहने
Dhruv Jurel Story: भारतीय टीम के युवा विकेट कीपर बल्लेबाज ध्रुव जुरेल ने रविवार, 25 फरवरी को अपने भीतर के एमएस धोनी को दिखाया
Dhruv Jurel Story: भारतीय टीम के युवा विकेट कीपर बल्लेबाज ध्रुव जुरेल (Dhruv Jurel) ने रविवार, 25 फरवरी को अपने भीतर के एमएस धोनी को दिखाया। जब उन्होंने रांची में भारत को बचाने और टीम को मैच में बनाए रखने के लिए उल्लेखनीय 90 रन बनाए। जुरेल ने कुलदीप के साथ अपनी साझेदारी से भारत को नाजुक स्थिति से बचाया। अपने आदर्श एमएस धोनी के गृहनगर रांची में ध्रुव जुरेल ने अविश्वसनीय 90 रन बनाकर दर्शकों को चकित कर दिया और भारत को सुरक्षित स्थिति में पहुंचाया और सुनिश्चित किया कि इंग्लैंड को बड़ी बढ़त नहीं मिले। इस पारी के बाद हर तरफ ध्रुव की चर्चा शुरू हो गई, लेकिन उनका यहाँ तक पहुंचना किसी बड़े संघर्ष से कम नहीं था।
कौन है ध्रुव जुरेल?
ध्रुव जुरेल (Dhruv Jurel) का जन्म 21 जनवरी 2001 को उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ। उनके पिता आर्मी में अपनी सर्विस दे चुके हैं और भारत के लिए कई बड़े युद्ध भी लड़े हैं। बताया जा रहा है कि उनके पिता नेम सिंह जुरेल जब मिलिट्री में थे, तब उन्होंने कारगिल युद्ध में भी भाग लिया था। उनके पिता का यही मानना था कि ध्रुव उन्हीं की तरह मिलिट्री में भारत को सर्विस दे, लेकिन ध्रुव को कुछ और ही मंजूर था। क्रिकेट की किट के लिए जब ध्रुव के पास पैसे नहीं थे तो उनकी माता ने अपने गहने बेचकर बेटे के लिए किट का इंतजाम किया।
युवा क्रिकेटर को शुरू से ही हमेशा अपनी माँ का साथ मिला। लेकिन, भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हवलदार नेम सिंह जुरेल चाहते थे कि उनका बेटा राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) परीक्षा में सफल हो और देश की सेवा करे। कारगिल युद्ध के अनुभवी जुरेल सीनियर चाहते थे कि ध्रुव इस विरासत को आगे बढ़ाए। लेकिन, वह अपने पिता के नक्शेकदम पर नहीं चलने के लिए क्रिकेट के प्रति ज्यादा आकर्षित थे। उन्होंने क्रिकेट को प्राथमिकता दी। वे यशस्वी जायसवाल के साथ भारत के लिए अंडर 19 वर्ल्ड कप 2020 में भी भाग ले चुके हैं।
जुरेल के पिता ने एक अखबार के साथ बातचीत के दौरान बताया, “मेरे परिवार से किसी ने भी क्रिकेट नहीं खेला है। जिसने भी ध्रुव को बल्लेबाजी करते देखा, उन्होंने कहा, 'लड़का अच्छा है, आप इसे क्रिकेट में डालो'। लेकिन मैं एक पिता हूं और उसके भविष्य को लेकर भी चिंतित था। क्रिकेट नहीं हुआ तो क्या होगा? ध्रुव पढ़ाई में भी उतना अच्छा नहीं था।” बताया यह भी जाता है कि क्रिकेटर बनने के लिए ध्रुव ने पहले आगरा और फिर नोएडा में भी खूब मेहनत की, तब जाकर वे अपनी मंजिल तक पहुँच पाए हैं।
एमएस धोनी को मानते हैं अपना आदर्श
आपको बताते चलें कि क्रिकेटर ध्रुव जुरेल (Dhruv Jurel) भारत के महान कप्तान और विकेट कीपर बल्लेबाज एमएस धोनी को अपना आदर्श मानते हैं। उनका मानना है कि वे विकेट किपिरिंग और बल्लेबाजी में माही को अपना गुरु समझते हैं। आईपीएल के दौरान जुरेल को अपने हीरो एमएस धोनी से भी कुछ सलाह भी मिली थी। जुरेल ने आईपीएल के दौरान द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था, ''यह दूसरी बार था, जब मैं उनसे मिल रहा था। लेकिन मैंने उनसे पहली बार बात की।''
इस दौरान ध्रुव जुरेल (Dhruv Jurel) ने कहा, “मैंने उनसे पूछा, आपने पूरी जिंदगी नंबर 6 और 7 पर बल्लेबाजी की है और इतना अच्छा प्रदर्शन किया है। रहस्य क्या है और क्या वह अपनी टीम के लिए यह काम करते समय कुछ अलग करता है?” उन्होंने आगे बताया, “धोनी ने मुझसे कहा, 'यह एक धन्यवाद रहित काम है, इसमें सफलता से ज्यादा असफलताएं हैं, इसलिए ज्यादा मत सोचो। फिनिशर बनने की एकमात्र अच्छी बात यह है कि आप सबसे खराब की उम्मीद करते हैं और उसके अनुसार तैयारी करते हैं। हर दिन आप मैच खत्म नहीं कर सकते।”
गौरतलब है कि रांची के टेस्ट मैच में जब भारत ने 7 विकेट खो दिए, उसके बाद जूरेल ने टीम के लिए मोर्चा संभाला और धोनी की तरह ही पारी को आखिर तक लेकर गए। हालाँकि, टॉम हार्टले की एक अविश्वसनीय डिलीवरी से जुरेल की साहसिक पारी समाप्त हो गई। उस दौरान पूरे भारतीय ड्रेसिंग रूम और इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने विकेटकीपर के प्रति अपनी सराहना व्यक्त की। जुरेल ने 149 गेंदों पर 90 रन बनाए और उनकी पारी में 6 चौके और 4 छक्के शामिल थे। इसी पारी के कारण भारत को मैच में वापसी करने का मौका भी मिला।