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B'DAY: माही के जीवन के अनछुए फैक्ट, देंगे आपको पॉजिटिव इफेक्ट
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महेंद्र सिंह धोनी इंडियन क्रिकेट टीम का जाना माना नाम है जो किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उन्हें लोग माही और धोनी नाम से भी पुकारते है। वैसे तो हम सब जानते है कि धोनी एक अच्छे बल्लेबाज और बेहतरीन विकेटकीपर है। धोनी आज क्रिकेट की दुनिया में चमकता सितारा भले है, लेकिन उनका बीता हुआ कल कड़ी मेहनत, दुख दर्द के बाद मिली कामयाबी को बयां करता है।
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धोनी को कैप्टन कूल भी कहा जाता है। इंडियन क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान धोनी ने 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 वर्ल्ड कप में जीत दिलाई और अपनी कप्तानी से टेस्ट और वनडे मैचों में इंडिया को शिखर पर पहुंचा दिया था। उनके जानने वालों का कहना है कि धोनी बेहतरीन प्लेयर के साथ बेहतर इंसान भी है। वो जीत को खुद की जीत नहीं मानते है, बल्कि पुरी टीम को इसका श्रेय देते है जिसके कारण टीम के सभी खिलाड़ी भी उनका सम्मान करते है ।
महेंद्र सिंह धोनी फिलहाल रांची में है वे शनिवार को रांची पहुंचे। धोनी को एयरपोर्ट पर देखते ही उनके फैंस ने उन्हें घेर लिया। धोनी ने कई लाेगों को ऑटोग्राफ भी दिया। इसके बाद वे खुद अपनी गाड़ी ड्राइव कर अपने घर पहुंचे। इस बार धोनी अपना बर्थडे (7 जुलाई) बेटी जीवा और पूरे परिवार के साथ रांची में ही मनाएंगे, क्योंकि धोनी अपने होमटाउन में इस बार लम्बा वक्त गुजारने वाले हैं।आइए आपको महेंद्र सिंह धोनी के जीवन के उतार चढ़ाव के बारे में...
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बचपन की मुफलिसी
आज धोनी के पास दुनिया की तमाम दौलत भले है, लेकिन उनका बचपन बहुत ही मुफलिसी में बीता। धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को रांची के मेकन कॉलोनी में रहने वाले फोर्थ ग्रेड कर्मी पान सिंह के घर में हुआ था। धोनी के पिता का नाम पान सिंह है जो अल्मोड़ा जिले के तलासलाम गांव के रहने वाले थे।
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काम की तलाश में अल्मोड़ा की सुंदर पहाडियों को छोड़ में लखनऊ आए। फिर रांची गये। जहां उनको मेकन में नौकरी मिली। शुरुआती दिनों में धोनी के पिता को भी दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ी थी, लेकिन बाद में पदोन्नति हो गयी थी। धोनी की मां का नाम देवकी देवी है। उनका एक बड़ा भाई भाई नरेंद्र और एक छोटी बहन जयंती है। जो टीचर है।
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कैसे पड़ा क्रिकेट से वास्ता
धोनी के पिता श्यामली कॉलोनी में जल सप्लाई के लिए पम्प ऑपरेटर का काम थे जहां पर डीएवी जवाहर मंदिर,श्यामली है। इसी स्कूल से धोनी ने पढ़ाई की है। क्रिकेट से धोनी का नाता पहली बार तब पड़ा जब 1984 में रणजी ट्राफी के दौरान अपने पिता के साथ रांची के स्टेडियम में जाते थे उनके पिता को वहां जलापूर्ति का काम दिया गया था। उस वक्त उनकी उम्र महज 4-5 साल रही होगी। धोनी बचपन में एडम गिलक्रिस्ट के बहुत फैन रहे है। सचिन और लता मंगेशकर के भी मुरीद है।
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धोनी का पहला प्यार
आज दुनिया धोनी को भले ही सफल क्रिकेटर को रूप में जानें,लेकिन बचपन में उनको फुटबॉल खेलना पसंद था और वे एक अच्छे फुटबॉलर भी थे। शायद बेहतरीन फुटबॉलर होने की वजह से ही उन्हें अच्छा विकेटकीपर बनने में मदद मिली।इसके अलावा धोनी बैडमिंटन के भी माहिर खिलाड़ी थे जिसके कारण उनका जिला स्तर पर इन खेलो में चुनाव कर लिया जाता था ।
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स्पोर्टस टीचर ने दिया क्रिकेट का सितारा
कहते है अगर किस्मत बदलनी हो तो उसे बदलने में पूरी कायनात मिल जाती है। कुछ ऐसा ही मासूम सात साल के धोनी के साथ हुआ। ये पहले ही बताया कि धोनी फुटबॉल खेलते थे और अपनी टीम गोलकीपर थे। इस छोटी सी उम्र में उनके जीवन में एक मोड़ आया जिससे वो फुटबॉल की जगह क्रिकेट खेलने लगे।
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हुआ ये कि उनके खेल प्रशिक्षक केशव चन्द्र बेनर्जी ने क्रिकेट में नियमित विकेटकीपर के प्रजेंट नहीं रहने के कारण धोनी को विकेटकीपिंग करवाने लग गए थे क्योंकि फुटबॉल में गोलकीपर के लिए विकेटकीपिंग करना आसान था | धोनी इससे पहले कभी क्रिकेट नहीं खेले थे, लेकिन क्रिकेट में आने के बाद 2-3 साल तक लगातार विकेटकीपिंग करते रहे थे और कमांडो क्रिकेट क्लब के रेगुलर विकेटकीपर बन गये थे। जब विकेटकीपिंग के बाद उनकी बल्लेबाजी की बारी आई तो उसमे भी उन्होंने कमाल कर दिया था धोनी दसवी क्लास के बाद क्रिकेट में ज्यादा ध्यान देने लग गए थे।
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क्रिकेटर बनने से पहले देखे कई दौर
धोनी ने 2001 से 2003 तक वो खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टीटी का काम भी किया। जो ग्रेड 9 श्रेणी की नौकरी थी जो मिडिल क्लास फैमिली के लिए सम्मान की बात थी। धोनी ने 1998-99 सत्र में बिहार के अंडर 19 टूर्नामेंट खेले थे जहां पर उन्होंने आठ पारियों में 185 रन बनाए थे। 1999-2000 में बिहार फाइनल में पहुंचा और धोनी को क्रिकेट नायडू ट्रॉफी में खेलने का मौका मिला था।
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इस ट्रॉफी में टॉस जीतकर बिहार ने बल्लेबाजी करते हुए 357 रन बने, जिसमे धोनी ने 12 चौकों और दो छक्कों की मदद से सर्वाधिक 84 रन बनाए थे। धोनी ने इस टूर्नामेंट में 9 मैचों में 488 रन बनाए थे और इस टूर्नामेंट के बाद उनको पहली श्रेणी में खेलने का मौका मिला था ।
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मांगी हुई किट और बहन की चाऊमीन के साथ होती थी प्रैक्टिस
टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के पास करोड़ों की संपत्ति, दर्जनों बल्ले और शानदार किट हो, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब वो बड़ी बहन के हाथ बनी चाऊमीन को टिफिन में भरकर उधार की किट के साथ अभ्यास करने जाते थे । धोनी के करीबी लोगों और मित्रों को कहना है कि वे ऐसे व्यक्ति है जिसने जमीन और आसमान दोनों का सफर देखा है।
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उनके जीवन के सफरनामे पर अगर गौर फरमाएंगे तो धोनी ने बचपन में बहुत तंगहाली देखी, ऐसे परिवार से संबंध रहा जिसका क्रिकेट से कोई वास्ता नही रहा, लेकिन ईमानदार कोशिश और दोस्तों की किट के अभ्यास ने उन्हें कामयाब बना दिया। गरीबी धोनी की राह में कभी भी रोड़ा नहीं बनी। इसका कारण था इसे लेकर वो हमेशा पॉजिटिव सोच रखते थे।
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धोनी की सबसे बड़ी खास बात थी कि वो अपनी राह में आने वाले हर एक मौके को भुनाना जानते थे। इसी विलक्षण गुण ने उन्हें आज इतना ऊपर पहुंचा दिया है। हमें देखने में भले ही लगता है, लेकिन भारतीय टीम का कप्तान बनने तक का उनका सफर कतई आसान नहीं रहा है।
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मेकॉन में रहें लेकिन नहीं मिली मेकॉन टीम में जगह
धोनी मेकॉन कॉलोनी में पले-बढ़े। एक क्रिकेट खिलाड़ी के तौर पर उनकी पहचान बनने लगी थी, लेकिन उन्हें मेकॉन की टीम में जगह नहीं मिली। इससे धोनी निराश नहीं हुए इसके बाद सीसीएल टीम में जगह बना ली।
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धोनी का संघर्ष उनके दोस्त की जुबानी
बतौर खिलाड़ी धोनी के संघर्ष के गवाह रहे उनके प्रशिक्षक, दोस्त और मेकॉन के खिलाड़ी जितेंद्र कुमार सिंह जिनका कहना है कि धोनी की सबसे बड़ी पूंजी उनका आत्मविश्वास है। एक जगह उन्होंने लिखा है कि मेकॉन के लिए खेलने के दौरान जब मैं प्रैक्टिस के दौरान दिन में चार मैच आयोजित कराता था, तब वह चारों मैचों में खेला करते थे। वह 200 लड़कों में सबसे अलग दिखा करते थे।
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उन्हें यह देखकर बहुत दुख होता था कि प्रतिभा का धनी होने के बावजूद धोनी बिना किट और अच्छे जूतों के बिना आते थे। ये देखकर उनसे सब प्रभावित थे। उन्होंने ये भी लिखा कि धोनी उस क्रिकेटर का नाम है, जो दिल से ईमानदार और सीधा-साधा है और जिसने कभी भी खुद को किसी अन्य से दोयम नहीं समझा। इसी गुण ने धोनी को जमीन से आसमान तक पहुंचा दिया है।
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हमसफर के रूप में चुना दून की साक्षी रावत को
वैसे कामयाबी के बाद इंसान का नाम किसी ना किसी के साथ आसानी से जुड़ जाता है। वैसे धोनी भी इससे अछूते नहीं रहे। दीपिका पादुकोण, लक्ष्मी रायत जैसी एक्ट्रेस से भी जुड़ा, लेकिन उन्होंने चकाचौंध की दुनिया से हटकर आम लड़की साक्षी रावत से शादी की। आज उनकी एक बेटी जीवा है। कहा जाता है कि धोनी कहते है कि जीवा के बिना उनकी जिंदगी अधूरी है।
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धोनी से जुड़ी कुछ जानी-अनजानी बातें
महेंद्र सिंह धोनी के बालों के स्टाइल भी जगजाहिर और उसके कई दीवाने रह चुके है। एक समय में युवाओं ने धोनी हेयर स्टाइल को खूब अपनाया था। धोनी को मोटरबाइक्स का भी बहुत क्रेज हैं। उनके पास एक से बढ़कर एक करीब दो दर्जन मोटर बाइक हैं। कारों के दीवाने धोनी के पास हमर जैसी कई महंगी कार भी है।
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एमएस धोनी वर्ल्ड के सबसे ज़्यादा कमाई करने वाले क्रिकेटर रहे हैं। पिछले कुछ सालों से उनकी औसत आमदनी 150 से 190 करोड़ रुपये सालाना रही है। धोनी अपने राज्य झारखंड में सबसे ज़्यादा टैक्स अदा करने वाले शख्स रहे हैं।
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आध्यात्म के प्रति भी धोनी का झुकाव बहुत है। उनके करीबियों का कहना है कि धोनी अपनी जीत के बाद या चाहे जब भी रांची आते है तो यहां के देवड़ी मंदिर जाना नहीं भूलते है।
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जब मिला मौका दिखा दिया दम
धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी पहली ही गेंद पर चौका जड़ दिया था और इसके बाद सहवाग के साथ मिलकर उन्होंने पाकिस्तानी गेंदबाजों की धुनाई कर दी | सहवाग 74 रन बनाकर आउट हो गये जो उन्होंने केवल 40 गेंदों पर बनाये थे। दोनों ने 62 गेंदों में 96 रन की सांझेदारी की थी।
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सहवाग के आउट होने पर गांगुली औए गांगुली के आउट होने के बाद द्रविड़ आये जिससे रनों की गति धीमी हो रही थी। धोनी अपनी शैली में धीरे धीरे खेल रहे थे और दूसरी तरफ धोनी गेंद को सीमा रेखा के पार पहुचकर दर्शको का मनोरंजन कर रहे थे | लम्बे बालों वाले महेंद्र सिंह धोनी को उस मैच ने रातों रात स्टार बना दिया। अगले दिन सारी मीडिया धोनी की सराहना करने लगी थी |
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