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HBD Sunil Gavaskar: कोई नहीं तोड़ पाया लिटिल मास्टर के ये रिकॉर्ड, डेब्यू सीरीज में ही कर दिया था कमाल
Happy Birthday Sunil Gavaskar: पूर्व भारतीय ओपनर और कप्तान सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) आज अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं।
HBD Sunil Gavaskar: पूरी दुनिया में अपनी बल्लेबाजी से डंका बजाने वाले पूर्व भारतीय ओपनर और कप्तान सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) 72 साल के हो गए हैं। आज ही के दिन 1949 मुंबई में उनका जन्म हुआ था। लिटिल मास्टर (Little Master) के उपनाम (Sunil Gavaskar Nickname) से मशहूर गावस्कर ने अपनी बेहद मजबूत तकनीक के बल पर पूरी दुनिया के गेंदबाजों के पसीने छुड़ा दिए थे। वे तेज गेंदबाजों के साथ ही स्पिनरों का भी काफी विश्वास के साथ सामना किया करते थे।
उन दिनों वेस्टइंडीज की तेज गेंदबाजी का सामना करना दुनिया के बड़े से बड़े बल्लेबाज के लिए काफी मुश्किल काम था मगर वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू सीरीज (Sunil Gavaskar Debut Series) में ही अपनी शानदार बल्लेबाजी से गावस्कर ने हर किसी का दिल जीत लिया था। मजे की बात यह है कि उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ ही सबसे ज्यादा 13 शतक लगाए। गावस्कर ने 1987 में क्रिकेट रिटायरमेंट (Sunil Gavaskar Last Match) लिया था मगर 34 साल बाद भी उनके कई रिकॉर्ड आज भी कायम हैं।
पहली सीरीज में ही बना डाले इतने ज्यादा रन
गावस्कर ने अपने करियर में 125 टेस्ट खेले और इस दौरान उन्होंने 34 शतकों (Sunil Gavaskar Test Match Centuries) की मदद से 10,122 रन बनाए। उन्होंने 108 वनडे में 3092 रनों का योगदान किया और इस दौरान एक शतक जड़ा था। गावस्कर की बल्लेबाजी तकनीक काफी मजबूत मानी जाती थी और इसका परिचय उन्होंने अपनी डेब्यू सीरीज में ही दे दिया था।
1971 में वेस्टइंडीज (IND vs WI 1971 Test Series) के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में उन्होंने डेब्यू किया था और इस दौरान गावस्कर ने 154.80 कई औसत से 774 रन बना डाले थे। अपनी डेब्यू सीरीज में ही उन्होंने चार शतक और तीन अर्धशतक जड़े थे। दुनिया का कोई भी दूसरा बल्लेबाज आज तक डेब्यू सीरीज में गावस्कर के रनों का रिकॉर्ड (Sunil Gavaskar Highest Score) नहीं तोड़ सका है। एक सीरीज में गावस्कर की ओर से बनाया गया यह रिकॉर्ड आज तक कोई भारतीय खिलाड़ी नहीं तोड़ पाया।
तीन बार दोनों पारियों में जड़े शतक (Sunil Gavaskar Centuries)
अपने कॅरियर के दौरान गावस्कर ने तीन बार टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक जड़ने का कमाल दिखाया था। यह कमाल दिखाने वाले वे इकलौते भारतीय हैं। 1971 में डेब्यू सीरीज में उन्होंने पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ 124 और 220 रनों की पारी खेली थी। इसके बाद 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची टेस्ट में उनकी 111 और 137 रनों की पारी को आज भी याद किया जाता है। इसी साल उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में भी दोनों पारियों में शतक लगाया था। कोलकाता टेस्ट में उन्होंने 107 और 182 रनों की नाबाद पारी खेलकर सबका दिल जीत लिया था।
सबसे ज्यादा शतक वेस्टइंडीज के खिलाफ
वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों का मुकाबला करना दिग्गज बल्लेबाजों के लिए भी काफी मुश्किल था मगर गावस्कर ने अपने कॅरियर में सबसे ज्यादा शतक वेस्टइंडीज के खिलाफ ही लगाए। उस समय वेस्टइंडीज की टीम में एंडी रॉबर्ट्स, जोएल गार्नर, माइकल होल्डिंग और मैलकम मार्शल जैसे तूफानी गेंदबाज शामिल थे मगर गावस्कर ने इन सभी का सामना करते हुए 27 टेस्ट मैचों में 13 शतक जड़े। वेस्टइंडीज के खिलाफ कोई भी बल्लेबाज आज तक इतने ज्यादा शतक नहीं लगा सका है। गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 2749 रन बनाए और यह रिकॉर्ड भी आज तक कायम है।
चौथी पारी में चार शतकों का कमाल
किसी की टेस्ट मैच की चौथी पारी में बल्लेबाज करना काफी मुश्किल माना जाता है क्योंकि चौथी पारी के दौरान पिच से गेंदबाजों को काफी मदद मिलने लगती है, लेकिन गावस्कर ने अपने कॅरियर में चौथी पारी में भी चार शतक जड़े हैं। यह रिकॉर्ड आज तक कोई भी भारतीय खिलाड़ी नहीं तोड़ सका।
सचिन तेंदुलकर ने अपने कॅरियर के दौरान चौथी पारी में तीन शतक जड़े जबकि विराट कोहली और मोहम्मद अजहरूद्दीन चौथी पारी में दो-दो शतक जड़ चुके हैं। वैसे इस मामले में पाकिस्तान के बल्लेबाज यूनुस खान सबसे आगे हैं जिन्होंने चौथी पारी में पांच शतक जड़े थे।
गावस्कर का यह रिकॉर्ड आज तक नहीं टूटा (Sunil Gavaskar Record)
टेस्ट मैच में पहली गेंद खेलने वाले ओपनर को स्ट्राइकर ओपनर कहा जाता है। स्ट्राइकर ओपनर के रूप में भी गावस्कर ने टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा रन बनाए हैं। नंबर एक बल्लेबाज के रूप में उन्होंने 186 पारियों के दौरान 8511 रन बनाए हैं। यह रिकॉर्ड आज तक नहीं तोड़ा जा सका है।
इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज ग्राहम गूच दूसरे नंबर पर हैं जिन्होंने स्ट्राइकर ओपनर के रूप में 7598 रन बनाए थे। क्रिकेट के जानकारों का कहना है कि 34 साल पहले क्रिकेट को अलविदा कहने वाले गावस्कर की बल्लेबाजी तकनीक को आज भी याद किया जाता है और दूसरे बल्लेबाजों को उसका अनुसरण करने की सलाह दी जाती है।
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